नारी सशक्तिकरण की अलग मिसाल सपना..दिली जज्बा से बेसहारा-अनाथ-महिलाओं के लिए कर दिखाया सराहनीय काम

जवान-बेटा तथा पति की मृत्यु उपरांत अंतिम क्षण तक समाज सेवा में लिख दी जिंदगी…सक्षम प्रयास के लिए हमेशा शुक्रिया करती है भगवान का

कुमार सोनी.अमृतसर। 

नारी सशक्तिकरण के रूप में अलग मिसाल कायम करने  वाली  सपना भाटिया जिंदु किसी भी पहचान की मोहताज नहीं है। समाज के लिए सराहनीय कार्य करने का दिल से उनका जज्बा है। पति व जवान बेटे की मौत उपरांत, अपनी जिंदगी के अंतिम क्षण तक समाज के लिए अच्छे काम करने का प्रण किया। अब तक सैकड़ों बेसहारा महिलाएं तथा बच्चियों को नया जीवन देने के साथ-साथ , उन्हें अपने पैरों पर खड़ा कर नारी सशक्तिकरण में एक अहम रोल निभा रही है। अनाथ आश्रम, अंध-विद्यालय कई बेसहारों को पेट भर खाना देने के साथ उनकी हर जरूरत को पूरा करने में खुद की जमा पूंजी का इस्तेमाल , इन नेक कार्य में कर रही है। 

सपना भाटिया के मुताबिक, जीवन में इंसान को धरती में एक बार अवसर मिलता है। उस जीवन में इंसान को अच्छे काम करने के लिए आगे रहना चाहिए। इसी सोच के मुताबिक वर्ष 2012 से उन्होंने अपना जीवन , समाज के इस वर्ग को समर्पित कर दिया। छोटा बेटा पढ़ाई के साथ-साथ निजी क्षेत्र में काम करता है। खुद के जीवन में, उसे अपने बेटे की पूरी-पूरी सपोर्ट भी है। हर सुबह एक अच्छी सोच के मुताबिक , काम करना शुरू कर दिया जाता है।

अंध-विधालय, नारी निकेतन जाकर, वहां पर रहने वाले जरूरतमंद के साथ अपना दिन बीतना तथा हर बात को ध्यानपूर्वक तरीके से सुनकर, उनके हर दुख-सुख में अपनापन नज़र आता है। इन परिस्थितियों को दूर या फिर समाधान निकालने के लिए हर संभव प्रयास किया जाता है। उनके मुताबिक, यह सब सदस्य उनके अपने ही परिवार के ही सदस्य है। कोई बहन, कोई भाई की तरह , इनके साथ रिश्ता निभाया जा रहा है। 

इतना ही नहीं, यह सब उन्हें अपने एक रिश्तेदार की उपाधि देकर बुलाते है। उनके मुताबिक, इस प्रकार का कहने से उन्हें अच्छा लगता है तथा उनके लिए कुछ करने में आत्मा को शांति मिलती है। एक ही सपना समाज में जाएं कि कैसे कुछ महिलाओं ,बच्चियों के साथ होने वाले अत्याचार को रोका जाए तथा उन्हें कैसे इंसाफ दिलाया जाए।

नेक मिसाल का उदाहरण

बेसहारा, अनाथ 20 वर्षीय गुड़िया को कानूनी रूप से गोद लेकर समाज के लिए नेक उदाहरण पेश की। गुड़िया के बचपन में माता-पिता का देहांत हो गया। मौसी ने पालन-पोषण किया। कुछ अर्से पूर्व वह भी एक बीमारी के चलते दुनिया से चल बसी। मां के सा बचपन में ही गुरुद्वारा साहिब में सेवा करती रही। मासी के देहांत उपरांत गुरुद्वारा साहिब में सेवा करने के लिए रह पड़ी।

गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने गुड़िया को सुरक्षित हाथ में सुपुर्द करने का बड़ा फैसला लिया। उन्होंने सपना से संपर्क किया। उन्होंने एक अच्छी मिसाल पेश करते हुए अपना एक कदम आगे बढ़ाते हुए बच्ची को जीवनभर के लिए अपनी संतान बनाने का फैसला लिया। बच्ची को अपने पैर पर खड़ा करने के लिए मां सपना ने एक सराहनीय फैसला लेते हुए, बुटीक तथा सिलाई-कढ़ाई के परीक्षण के लिए आवेदन भर दिया। 

सपना के मुताबिक, वह चाहती है कि बेटी आगे जाकर किसी के समक्ष हाथ न फैलाए तथा दुनिया के समक्ष अपनी काबिलियत का परिचय दे सके। लड़कियां समाज में कई गुणा उन्नति कर चुकी है। वह विश्वास के साथ कह सकती हूं कि गुड़िया भी आगे जिंदगी में उन्नति कर  प्रदेश की एक अच्छी मिसाल बनेगी।

समाज के हर वर्ग को संदेश देते सपना ने कहा कि हर किसी को लड़की-महिला के प्रति सम्मान के रूप में देखना चाहिए। यह मत सोचना चाहिए कि वे हमारे ऊपर बोझ  है। लड़कों से बढ़कर लड़कियां समाज में परिवार तथा देश का नाम ऊंचा कर रही है। 

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