लेखक विनय कोछड़.अमृतसर।
वैश्विक तौर पर चौथा स्तम्भ के नाम से जाना जाने वाला पत्रकारिता दायरा अब समाज के कुछ दबदबा रखने वालों की गलत शक्तियों की वजह से पत्रकारों की सच्चाई को दबाया जा रहा है। इतना ही नहीं, कानून को गुमराह करके सच्ची कलम चलाने वाले पत्रकार क्षेत्र से जुड़े महिला तथा पुरुष समाज को दबाने का पूरा यत्न किया जा रहा है। ताजा मामला पंजाब के जिला अमृतसर क्षेत्र से जुड़ा है। लगभग 30 वर्ष के करीब समाज में निर्धन तथा जरूरतमंद की आवाज बनकर अपनी कलम से पिरोकर उन्हें इंसाफ दिलाने वाली सच्ची पत्रकारिता के नाम जानने वाली महिला पत्रकार ममता देवगन पर एक अधिवक्ता ने झूठा पर्चा दर्ज करा दिया। इससे एक बात साबित हो गई है कि अधिवक्ता के समक्ष कानून झुक गया तथा आनन-फानन में मामला दर्ज कर लिया गया। महिला पत्रकार अमृतसर प्रेस क्लब में वरिष्ट पद पर अपनी सेवाएं भी दे रही है। प्रेस क्लब ने महिला के समर्थन में एकजुट होने का परिचय देते हुए जिला पुलिस आयुक्त के समक्ष केस की जांच-पड़ताल निष्पक्ष तरीके से करने की मांग की। लेकिन, अब देखना होगा कि हमेशा से ही एक-दूसरे से बिखरे पत्रकार महिला जांबाज पत्रकार के समर्थन में कितनी देर तक खड़े रहते है।
इतिहास , इस बात की साक्षी रही है कि जांबाज पत्रकारिता के साथ काम करने वालों पर हमेशा ही कानून द्वारा बिना जांच-पड़ताल किए, उनके खिलाफ झूठा पर्चा दर्ज कर दिया जाता है। शायद, उन्हें इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं है कि पत्रकार दायरा ही आपके काम को बिना जांच-परख , उसे अपनी सुर्खियों में पिरोता है। हमेशा आपकी जांबाजी को सलाम ठोकता है। लेकिन, पत्रकार का मामला सामने आता है तो यहीं लोग समाज में दबदबा रखने वालों के आगे झुक जाते है तथा पत्रकार की काबिलियत तथा जांबाजी को दरकिनार करते हुए, उनके खिलाफ बिना जांच-पड़ताल किए मामला दर्ज कर देते है। मामला देवगन जैसी पहली महिला पत्रकार नहीं, कई देश-विदेश में ऐसी महिला पत्रकार है, जिनके खिलाफ पुलिस ने झूठा पर्चा दर्ज किए।
कहते है कि सच्चाई में बहुत दम है, लड़ाई लंबी है, लेकिन जीत को हमेशा ही सच्चाई की होती है। अब, चूंकि महिला वरिष्ठ पत्रकार ममता देवगन के खिलाफ एक अधिवक्ता ने अपनी रंजिश का बदला लेने के लिए उसके खिलाफ मामला दर्ज करा दिया। लेकिन, महिला पत्रकार के साहस तथा बहादुरी की वजह से प्रदेश-देश के पत्रकार यूनियन ने समर्थन देने का ऐलान कर दिया। हैरान करने वाली बड़ी बात यह है कि जिस पुलिस अधिकारी ने महिला पत्रकार के खिलाफ मामला दर्ज किया, क्या उन्होंने इस मामले के तह तक पहुंचने की कोशिश की या फिर किसी बड़े दबाव के कारण उन्हें पर्चा दर्ज करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
अक्सर, देखा गया है कि पुलिस इतनी जल्दी पर्चा नहीं करती है। अन्य मामलों में देखा गया कि फरियादी को हमेशा ही इस बात का हवाला देकर टाल दिया जाता है कि अभी मेडिकल रिपोर्ट आएगी। उसके बाद ही कानूनी कार्रवाई होगी। लेकिन अधिवक्ता तथा पत्रकार वाले केस में महिला पत्रकार का इस केस का दूर-दूर तक कोई लेनदेन ही नहीं है। उसके बावजूद महिला पत्रकार के खिलाफ फर्जी केस कर दिया गया।
खबर नहीं लगाने पर डाला गया दबाव
महिला पत्रकार ममता देवगन ने बताया कि यह मामला अधिवक्ता तथा दूसरी पार्टी के बीच कोई मामला था। एक पत्रकार होने के नाते तो उन्होंने , इस मामले की सच्चाई को लेकर खबर प्रकाशित करनी थी। आरोप लगाए कि इस मामले संबंधी अधिवक्ता से जब पक्ष लेने के लिए फोन किया तो उन्होंने खबर नहीं प्रकाशित करने के लिए दबाव डाला। पुलिस ने एक बार भी नहीं , उनसे पक्ष या फिर बयान लेने के लिए थाना बुलाया। अधिवक्ता के बयान पर उनके खिलाफ झूठा पर्चा दर्ज कर दिया गया।
खबर लिखने का पत्रकार का अधिकार
शायद अधिवक्ता को इस बात का बिल्कुल ज्ञान नहीं है या फिर जानबूझकर अंजान बन रहे है कि एक प्रकार से पत्रकार का कर्म तथा मौलिक अधिकार होता है कि वह अपनी खबर को लिख सकता है। उसे खबर नहीं लगाने पर कोई भी मजबूर नहीं कर सकता है। खबर लगाने से रोकना , कानून के मुताबिक, अपराध माना जाता है।
इन्होंने किया समर्थन
अमृतसर प्रेस क्लब के अध्यक्ष राकेश गिल, सचिव पंकज शर्मा, कोषाध्यक्ष विशाल शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार तथा पत्रकार यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष जसबीर सिंह पट्टी, जर्नलिस्ट एसोसिएशन के पंजाब अध्यक्ष जोगिंदर अंगुरला, जिला गुरदासपुर के अध्यक्ष आजाद शर्मा, आल इंडिया पत्रकार यूनियन (डिजीटल मीडिया) के सचिव अनिल भंडारी, पत्रकार यूनियन संरक्षक राजेश शर्मा, सचिव नवीन राजपूत, विनय कोछड़, यूनियन प्रांतीय सदस्य गुरजिंदर माहल, महासचिव मलकीत सिंह ने महिला पत्रकार के समर्थन में ऐलान किया। उन्होंने मांग की कि पुलिस महिला पत्रकार के खिलाफ दायर किया झूठा पर्चा तत्काल रद्द करें, अन्यथा पंजाब स्तर पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
सरकार पर भी बड़ा सवाल…क्या सच्चे पत्रकार को दिलाएंगी इंसाफ
प्रदेश की आप नेतृत्व सरकार के मुख्यमंत्री ने अपनी शपथ दौरान पंजाब की 3 करोड़ जनता को वचन दिया था कि उनके शासन काल में किसी प्रकार से कोई राजनीति हस्तक्षेप नहीं होगा। जनता के साथ जुड़े हर वर्ग को इंसाफ दिया जाएगा। ममता देवगन पत्रकार से पहले प्रदेश की आम नागरिक है। उनके खिलाफ भी पुलिस ने बिना जांच-पड़ताल किए मुकदमा दर्ज कर दिया। पत्रकार जगत प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत से मांग करता है कि इस केस को गंभीरता से लेते हुए एक उच्च स्तरीय कमेटी से जांच कराए। जांच में अगर आरोप गलत निकलते है तो शिकायतकर्ता एवं कार्रवाई करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। अगर ऐसा संभव होता है तो आप की पंजाब सरकार की कार्यप्रणाली का संदेश पंजाब की जनता में एक अच्छा जाएगा।