अमृतसर पुलिस की जांबाजी को सलाम….12 घंटे में कत्ल को सुलझा कर किया कमाल….महिला के पति की हत्या के लिए प्रेमी ने किलर को दिए थे 2.70 लाख …..पुलिस ने सख्ती से पूछा तो तोते की तरह कबूला गुनाह…प्रेमी-प्रेमिका एवं किलर गिरफ्तार

13 वर्ष पुराना चल रहा था प्रेम-प्रसंग…पति पिछले 14 वर्ष से दुबई की निजी कंपनी में चलाता था ट्राला

14 दिन पहले परिवार से मुलाकात करने के लिए वापस घर लौटा था….पति को पहले से ही पत्नी पर था शक

रास्ते से हटाने के लिए महिला ने प्रेमिका संग कुछ दिन पहले रची थी साजिश

क्राइम रिपोर्टर.अनिल भंडारी.पवन शर्मा.अमृतसर।

दो दिन से अमृतसर पुलिस की कार्यप्रणाली की काफी किरकिरी हो रही थी। 24 घंटे में शहर के भीतर तीन अलग-अलग जगह हत्या हो गई। पुलिस को सरकार एवं जनता के समक्ष जवाब देना काफी कठिन हो चुका था। लेकिन, अमृतसर पुलिस ने हर किसी का मुंह बंद करने के लिए इन केस को सुलझाने में जुट गई। बड़ी सफलता , अमृतसर पुलिस को तब हासिल हुई, जब उसने 12 घंटे में ही हरिंदर सिंह हत्याकांड को सुलझा लिया। हत्या को अंजाम देने वाले मृतक की पत्नी सतनाम कौर, प्रेमी अर्शदीप सिंह तथा किलर वरिंदर सिंह को हत्या में इस्तेमाल की गई पिस्टल एवं मोटरसाइकिल को बरामद कर लिया। फिर एक बार अमृतसर पुलिस ने अपना जांबाजी का परिचय देकर हर किसी का दिल जीत लिया। पुलिस ने कथित अपराधियों के खिलाफ थाना छेहरटा में हत्या की धारा के अधीन नामजद किया। अदालत में पेश किया। वहां से दो दिन की पुलिस न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। 

प्राथमिक जांच में सामने आया कि पुलिस ने मृतक की पत्नी का रिकॉर्ड तथा उसकी कॉल डिटेल को खंगाला, जब पुलिस को पता चला कि लंबे समय से मृतक की पत्नी की एक नंबर कई वर्षों से  लंबी बातचीत की बात सामने आई। पता लगाया तो यह नंबर अर्शदीप सिंह का था। अर्शदीप सिंह के साथ सतनाम कौर की हत्या से पहले कई बार फोन पर बातचीत हुई। पुलिस ने सतनाम कौर को हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ की तो उसने अपना जुर्म कबूल लिया। पुलिस ने हत्यारोपी अर्शदीप को उसके घर एवं किलर को छेहरटा रोड से गिरफ्तार किया। इनके कब्जे से हत्या में इस्तेमाल की गई पिस्टल एवं मोटरबाइक को बरामद कर लिया। 

देर सायं पुलिस लाइन में रखी प्रेस वार्ता में पुलिस आयुक्त अरुण पाल ने पुष्टि करते कहा कि पुलिस ने इस हत्याकांड को तकनीकी एवं खास मुखबिरों की टीम की मदद से सुलझा लिया। पत्नी ने ही अपने प्रेमी के साथ मिलकर हत्या की वारदात को अंजाम देने की योजना बनाई थी। हत्या के लिए सुपारी 2.70 लाख वरिंदर सिंह किलर को दी गई। हत्या को इस प्रकार से अंजाम दिया गया कि लगे की लूट की वारदात थी। लेकिन, पुलिस की जांबाज टीम ने हर पहलू का सहारा लेकर, उसे बढ़िया तरीके से सुलझा लिया।  

गुरुद्वारा जा रहे था हरिंदर सिंह परिवार सहित….तब दिया गया हत्या को अंजाम

पुलिस आयुक्त ने बताया कि हत्या को अंजाम देने से पहले ही पूर्ण रुप से योजना बना ली गई थी। हत्यारों को इस बात का पता था कि हरिंदर सिंह सुबह सवा तीन बजे गुरुद्वारा साहिब में माथा टेकने जा रहा हैं। पहले से ही दोनों हत्यारे घात लगाकर खड़े हो गए। रास्ते में उसे रोक कर लूटने का प्रयास किया। हरिंदर ने विरोध किया तो उसके सिर तथा पेट पर गोली दाग दी गई। मौके पर ही हरिंदर सिंह ने दम तोड़ दिया। हरिंदर सिंह से पर्स एवं मोबाइल छीन कर ले गए, ताकि पुलिस को लगे कि लूट की वारदात को अंजाम दिया गया। 

ऐसे हुआ पुलिस को शक

पुलिस की प्राथमिक शक मृतक की पत्नी पर तब हुआ, जब लुटेरों ने उसे तथा उसकी दो बच्चियों को बिल्कुल ही नहीं कुछ कहा, इस पहलू पर पुलिस ने अपनी छानबीन शुरु की। पुलिस ने महिला के मोबाईल काल डिटेल को खंगाला तो उसका फोन एक नंबर पर काफी लंबे से बातचीत होने की बात सामने आई। पता लगाया तो उक्त नंबर किसी अर्शदीप सिंह के नाम पर था। अर्शदीप भी मृतक के घर के पास का ही रहने वाला हैं। महिला को पुलिस ने हिरासत में लेकर, उसके समक्ष सभी प्रमाण सामने रखे तो महिला ने तोते की तरह अपना जुर्म कबूल कर लिया। उसके बाद पुलिस ने प्रेमी अर्शदीप सिंह तथा हत्यारे वरिंदर सिंह को गिरफ्तार कर लिया। 

यह अंधे इश्क ने ही ले ली जान

पिछले 14 वर्ष से मृतक हरिंदर सिंह दुबई की एक निजी कंपनी में ट्राला चलाता था। परिवार की हर ख्वाहिश को पूरा करने के लिए , वहां पर दिन-रात मेहनत करता था। परिवार की खुशी तथा उनके हर सपने को पूरा करने के लिए वहां से पैसे भेजता था। लेकिन, पीछे से महिला सतनाम कौर का क्षेत्र के रहने वाले अर्शदीप सिंह के साथ प्रेम हो गया। दोनों काफी लंबे समय से एक-दूसरे के साथ मुलाकात करते थे। पति को पत्नी के चलन का शक हुआ तो उसने अपनी पत्नी पर नजर रखनी शुरू कर दी। अंधे इश्क में डूबी पत्नी को अपने पति यह बात अच्छी नहीं लगी। उसने प्रेमी के साथ मिल कर पति को ठिकाने लगाने के लिए योजना बनाई। 

यह जांबाज पुलिस अधिकारियों की रही अहम भूमिका

सबसे पहले , इस केस को बारीकी से समझने तथा तह तक पहुंचाने की सूझबूझ जिला अमृतसर पुलिस आयुक्त आईपीएस अजय पाल सिंह की थी। उसके उपरांत टीम में एडीसीपी सिटी (टू) प्रभजोत सिंह, एडीसीपी आईपीएस स्थानीय अजय गांधी, एसीपी पश्चिमी पीपीएस गुरविंदर सिंह, थाना छेहरटा प्रभारी एसएचओ गुरविंदर सिंह को इस केस को सुलझाने के लिए अहम किरदार निभाया। इनका आपसी तालमेल ही, इस के बिल्कुल निकट पहुंचाने में मददगार साबित हुआ। 

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