वरिष्ठ पत्रकार.अमृतसर (चंडीगढ़)।
विख्यात समाजसेवक इंद्रजीत सिंह उदासीन ने कहा कि प्रतिवर्ष की तरह 1-6 जून को चलने वाला शहीदी घल्लूघारा इस बार काफी शांतमय तरीके से मनाया गया। इसके लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी), स्थानीय प्रशासन का काफी अहम रोल रहा। इसके लिए प्रमुख तौर पर बधाई के पात्र है। वर्ष 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार दौरान कौम के लिए कईयों ने शहादत दी थी। उनकी शहादत को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। वह कौम के हीरो है, और आगे भी इसी तरह से रहेंगे। लेकिन, दुख की बात यह है कि सिखों की सिरमौर संस्था पंजाब में खालिस्तान का समर्थन करने की तो हर बार बात करती है, यद्यपि, आज तक किसी एक गांव को गोद नहीं लेकर वहां का खालसा माहौल बनाने में कामयाब नहीं रही। इंद्रजीत सिंह उदासीन ने ये प्रगटावा सोशल मीडिया में लाइव होकर अपनी वीडियो में किया।
उन्होंने कहा कि अगर एसजीपीसी चाहे तो पंजाब का कोई एक गांव को गोद ले सकती है। वहां पर बच्चों के लिए एक पाठशाला खोल सकती है। उन्हें खालसा के प्राचीन इतिहास, हमारी छठी पातशाही, हरी सिंह नलुआ, शाम सिंह अटारी जैसे शहीदों की शहादत के बारे ज्ञान दे सकती है। मीरी-पीरी का क्या पुराना इतिहास है। क्यों, हमारे गुरुओं ने हथियारों को उठाया, इन सब के बारे एसजीपीसी की मौलिक ड्यूटी बनती है कि वह अपने सिख बच्चों तथा युवाओं को ज्ञान देने के लिए प्रदेश के हर गांव-कस्बा में पाठशाला को अधिक से अधिक खोलें, इसके लिए शिक्षा पूर्ण तौर पर नि-शुल्क होनी चाहिए।
आरोप–चिकित्सा केंद्र में सरेआम लूट-खसूट
इंद्रजीत सिंह उदासीन ने सरेआम आरोप लगाया कि एसजीपीसी के जितने भी चिकित्सा केंद्र है, वहां पर इलाज तथा दवा के नाम लूट-खसूट होती है। हालांकि, इन संस्थान का नाम हमारे गुरुओं के नाम से रखा गया है। ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए, संस्था को इसमें सुधार करना चाहिए। इतना महंगा इलाज कराना हर किसी के बस की बात नहीं होती है। कई बार देखने में आया है कि गरीब महंगे इलाज की वजह से अपनों को खो बैठते है। एसजीपीसी के पास फंड की कोई कमी नहीं है। इसलिए, अगर कुछ गरीब या फिर मजबूर का नि-शुल्क इलाज भी करना पड़े तो संस्था कोई फर्क नहीं पड़ता है।
सलाह-शिक्षा का लंगर बांटे एसजीपीसी
इंद्रजीत सिंह ने एसजीपीसी को सलाह देते कहा कि उन्हें लंगर लगाने की जगह शिक्षा का लंगर लगाना चाहिए। हर गांव-कस्बा में गुरुओं के इतिहास के बारे जानकारी देने के लिए अधिक संख्या में पाठशाला खोली जानी चाहिए। सभी को ज्ञान एकदम निशुल्क दिया जाना चाहिए। गुरुओं के इतिहास, श्री अकाल तख्त साहिब के बारे जानकारी देनी चाहिए। इसका सिख इतिहास का क्या महत्व आने वाली पीढ़ी को पता लगना चाहिए।