एसएनई नेटवर्क.अमृतसर।
ग्रामीण क्षेत्र के हर चौपाल , चौराहे तक कांग्रेस की आवाज बुलंद करने वाले, कांग्रेस के सच्चे सिपाही बलदेव शर्मा का पिछले दिनों लंबी बीमारी की वजह से निधन हो गया। गरीबों के मसीहा के रूप में अपनी अलग पहचान बनाने वाले बलदेव शर्मा ने कांग्रेस के लिए 50 साल के लगभग अपनी पारी को निभाया। आतंकवाद के दौर से लेकर, महामारी कोविड-19 के दौरान लोगों तक राशन से लेकर, उनकी हर दुख-तकलीफ को कम किया। इस काम में उनके बच्चों ने खूब साथ निभाया। लगभग 25 वर्ष तक ग्राम नौशहरा के सरपंच रहें। इनके देहांत को लेकर राजनीति से लेकर सामाजिक वर्ग के लोगों ने परिवार के प्रति संवेदना जताई। मालूम हुआ है कि पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष राजा वडिंग, सदन के विपक्षी नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भी शर्मा के निधन पर परिवार के प्रति गहरी संवेदना जताई।
बचपन से ही दिवंगत नेता बलदेव शर्मा का राजनीति के प्रति काफी रुझान था। बताया जाता है कि इनके पिता भी कांग्रेस के नेता रहे हैं। उन्हें देखकर बचपन से छात्र राजनीति में कदम रखा। फिर बाद में युवक कांग्रेस से लेकर सीनियर कांग्रेस में वह अलग-अलग पद पर अपनी ड्युटी को पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से निभाया। आतंकवाद के काले दौर में शर्मा ने ग्रामीण क्षेत्र में कांग्रेस का झंडा बुलंद किया। कई बार आतंकी धमकियां मिली। बिना जान की परवाह किए बैगर शर्मा ने समाज के प्रति अपने काम को जारी रखा। पूर्व मंत्री गुरमेज सिंह के शर्मा बेहद करीबी थे। शर्मा को ग्रामीण फंड के लिए पूर्व मंत्री ने कभी कमी नहीं आने दी। क्षेत्र का विकास शहर से भी बढ़कर कराया। वर्तमान में वह यहां के लोगों के दिल में अपनी अलग पहचान बनाई। खासकर, गरीबों के लिए तो शर्मा मसीहा से कम नहीं थे। क्योंकि, उनकी हर जरूरत को अपना समझ कर पूरा किया।
गरीबों की आंखों में आंसू, बोले हमारे माई-बाप थे
दिवंगत नेता बलदेव शर्मा के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले कुछ जरूरतमंद एवं निर्धन लोगों ने अपनी बात साझा करते कहा कि बलदेव शर्मा एक उच्च कोटि के इंसान थे। हमेशा, जरूरतमंद एवं निर्धन लोगों की आवाज़ बनें। जरूरत पड़ने पर किसी को कभी इंकार नहीं किया। बल्कि उनकी समस्या का निदान किया। आज वह हम सब के बीच नहीं है, लेकिन उनके कार्य को कभी नहीं भुलाया जा सकता हैं। इन लोगों की आंखों में सिर्फ तो सिर्फ आंसू ही थे। बोले, शर्मा जी हमारे माई-बाप थे।
एक समय था आतंक से कांपती थी दुनिया, लेकिन शर्मा ने किया डटकर मुकाबला
दशक 1980 के उपरांत पंजाब में आतंक का काला दौर शुरू हुआ। बेकसूर लोगों को चुन-चुनकर मारा जाने लगा। इन आतंकियों की गोली का कई कांग्रेसी नेता शिकार हुए। उस दौरान शर्मा ने अपनी जान की परवाह किए बगैर आतंक के खिलाफ पार्टी का झंडा बुलंद किया। शर्मा को जान से मारने की धमकियां मिली। उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए कोई अंगरक्षक नहीं रखा, बल्कि फौलाद की तरह उनका सामना किया।
दिल्ली हाईकमान तक शर्मा की थी चर्चा
पार्टी के लिए सच्चे सिपाही के तौर पर अलग पहचान रखने वाले शर्मा की आल इंडिया कांग्रेस हाईकमान के कार्यालय में एक समय काफी चर्चा थी। इनके एक करीबी ने बताया कि दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तथा राजीव गांधी तक, इनके नाम की चर्चा थी। क्योंकि, पंजाब में कई शीर्ष पद पर रहते हुए कई सराहनीय तथा नहीं भूलने वाले काम किए। अंतिम समय तक शर्मा ने पार्टी के प्रति पूरी निष्ठा के साथ अपनी ड्यूटी को निभाया।