पवन कुमार.अमृतसर।
शायद लोग आज भी कुछ साल पहले हुई जोड़ा फाटक रेल दुर्घटना को नहीं भुला पाए, क्योंकि, जख्म इतने गहरे थे कि मरहम भी काम नहीं कर पाए। कई परिवार तो उस हादसे में बिल्कुल ही तबाह हो गए। उस दौरान राजनीति खूब हुई, किसी ने एक दूसरे पर कीचड़ उछालने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वर्तमान में हालत फिर वैसी ही है, जो तब थे। ट्रैफिक की समस्या , जाम लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। खास बात यह है कि ट्रैफिक पुलिस तथा संबंधित थाना मोहकम्मपुरा की पुलिस तो बिल्कुल ही नहीं यहां पर नजर आती है। लोगों का आरोप है कि इसके लिए अमृतसर पुलिस आयुक्त , ट्रैफिक डीसीपी तथा मोहकमपुरा थाना पुलिस है, जो अपने कर्तव्य को बिल्कुल नहीं समझती है।

सोमवार के दिन मोहकमपुरा थाना के अधीन क्षेत्र जोड़ा फाटक का नजारा भयभीत करने वाला था। पूरा दिन सड़क पर जाम लगा रहा। वाहनों की कतार लगभग 2 किलोमीटर के करीब थी। हर किसी का बुरा हाल था। अपने-अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए हर कोई जद्दोजहद करता दिखाई दिया। बच्चे गर्मी में पसीनों पसीन थे, ऊंची-ऊंची रो रहे थे। लेकिन शर्म की बात यह है कि कोई ट्रैफिक पुलिस का मुलाजिम जाम को दूर करने के लिए दिखाई नहीं दिया। स्थानीय लोगों का आरोप था कि दोपहर के समय 2 मुलाजिम खड़े थे, लेकिन, जब जाम लंबा लगा तो वहां से खिसक गए। एक राहगीर ने पुलिस को फोन पर सूचित भी किया, लेकिन, हैरान करने वाली बात यह रही कि कोई पुलिस मुलाजिम वहां पर ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए नहीं भेजा गया।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस तो सिर्फ तो सिर्फ आम नागरिकों को तंग करने के लिए खड़ी होती है। देर सायं कामकाजी लोगों को बिना किसी आधार पर रोक लिया जाता है । दस्तावेज पूरे होने के बावजूद भी उन्हें तंग किया जाता है। जबकि, आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने वाले सरेआम पुलिस को चकमा देकर फरार हो जाते है तथा उनके खिलाफ कोई भी एक्शन नहीं लिया जाता है। एक राहगीर ने बताया कि जोड़ा फाटक घटना को वे लोग आज भी नहीं भुला पाए, क्योंकि, उस हादसे में हमने अपनों को खोया था। शायद, उस समय भी कहीं न कहीं पुलिस की बड़ी चूक थी। पुलिस व्यवस्था नमात्र थी। भीड़ अधिक थी जिसे पुलिस काबू नहीं पाई और एक बड़ा हादसा हो गया। उस हादसे को देखकर पुलिस को वर्तमान में सबक लेना चाहिए, लेकिन, शायद उन्हें इस बात को कोई कसर नहीं है।
…….लाख-लाख पुलिस की पगार, फिर भी ड्युटी में नहीं है मुस्तैद
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि एक-एक पुलिस मुलाजिम लाख-लाख मासिक पगार ले रहा है, उसके बावजूद वे लोग अपनी ड्युटी में बिल्कुल ही नहीं मुस्तैद है। मौका मिलने पर वे लोग मैदान छोड़ कर भाग जाते है, ऊपर से आम जनता परेशान रहती है। इसमें उन्हें किसी से कोई नहीं लेना देना नहीं है। आखिर, जनता के टैक्स के पैसे से इन्हें पगार हासिल होती है तो जनता का अधिकार है कि वह उनसे पूछ सकती है कि आप ड्युटी को क्यों नहीं सही ढंग से निभाते है। सोमवार का जाम शायद ही उन लोगों को कभी नहीं भूल पाएगा जिन-जिन ने इस पीड़ा को सहन किया। इसमें कई राहगीरों का मानना था कि आज हम लोग अपने सही समय पर गंतव्य तक नहीं पहुंच पाए, इसके साफ तौर पर पुलिस प्रशासन जिम्मेदार है या फिर जिन-जिन की ड्युटी थी वो लोग कसूरवार है। उन्होंने मांग की कि इस विषय पर जांच होनी चाहिए। जो लोग कसूरवार पाए जाते है, उनके खिलाफ बड़ी कार्रवाई भी होनी चाहिए, ताकि, यह पीड़ा एक तरह से सबके लिए सबक बन जाए।

जानिए, रिपोर्ट में कितने घंटा रहा जाम
ग्राउंड रिपोर्ट से पता चला है कि जोड़ा फाटक जाम सोमवार के दिन लगभग 3-4 घंटा लगा रहा। यह जाम लगभग 3 किलोमीटर पार था। एकदम जाम में सारी ट्रैफिक थम गई। हॉर्न की आवाज कानों तक पहुंचती रही। हर कोई जाम से निकलने के लिए जद्दोजहद करता दिखाई दिया। इस बीच वाहन चालकों के बीच-बीच में नोकझोंक भी हुई। वाहन-चालक एक दूसरे के साथ मारपीट तक भी उतर आए, लेकिन, बचाव इस बात का रहा कि बीच में कुछ सूझवान लोगों ने उन्हें समझा कर माहौल को शांत कराया। चिंता इस बात की रही कि ट्रेनों की आवाजाही से कोई बड़ी घटना न हो जाए। लेकिन, इस बार फाटक के गेट मैन ने पुराने घटना को अपने जहन में बैठा कर नियमों का पालन पूरे होशोहवास से किया।