G.N.D.H पार्किंग बोली कैंसिल…..प्रबंधन पर लगा धक्केशाही का आरोप….LEGAL NOTICE दरकिनार

मजे की बात….एक ऊंचे कद का नेता ले रहा दिलचस्पी

वरिष्ठ पत्रकार मलकीत बराड़.राजेश शर्मा.मुकेश बावा.अमृतसर। 

गुरु नानक देव अस्पताल की पार्किंग स्थल को लेकर होने वाली बोली को स्थगित कर दिया गया। क्योंकि, बोली देने के लिए कोई आवेदनकर्ता पहुंचा ही नहीं। वहीं, जीएनडीएच प्रबंधन पर धक्केशाही करने का संगीन आरोप है। जबकि, बोली के लिए नियुक्त की गई चिकित्सक टीम का तर्क था कि सारा काम कानून के मुताबिक किया गया। आरोप सरासर गलत है। चर्चा, इस बात की भी थी कि बोली से पहले एक आवेदनकर्ता द्वारा दायर की गई याचिका पर कानूनी नोटिस पंजाब एंड हरियाणा से भेजा गया था। इसके बावजूद बोली करवा दी गई। प्रबंधन समिति का कहना था कि उन्हें कोई रोक का नोटिस नहीं मिला है, लेकिन, नोटिस का जवाब चिकित्सा अधीक्षक द्वारा भेज दिया गया। एक समय अस्पताल में काफी तनावपूर्ण स्थिति हो गई थी, लेकिन, बोली को अगले समय के लिए टाल दिया गया। इस बार पुराने आवेदनकर्ता को दरकिनार करने का भी आरोप लगा है। मजे की बात यह भी रही कि इस बार अमृतसर की राजनीति का एक ऊंचे कद का नेता ने भी इस बोली से पहले दिलचस्पी दिखाई। बताया जा रहा है कि उसका बेहद करीबी पार्किंग स्थल का ठेका लेने का काफी इच्छुक था। लेकिन, अंतिम समय उसने अपना नाम वापस ले लिया। 

गुरु नानक देव अस्पताल में पार्किंग ठेका के लिए पिछले दिनों अस्पताल प्रबंधन ने अखबार में एक विज्ञापन जारी किया था। उसमें ठेका के लिए सभी शर्तों के मुताबिक 13 दिसंबर का समय निर्धारित किया गया। नियमों के मुताबिकों हर प्रकार की जानकारी दी गई। इस बीच ठेके को लेने के लिए सिर्फ 3 आवेदनकर्ता ही पहुंचे। सभी ने 5-5 लाख का डीडी दिया। इस बार ठेके की कीमत कम से कम 35 लाख तक निर्धारित की गई। गौर करने वाली बात रही कि जो सबसे पुराना इस पार्किंग का ठेका चला रहा था। उसे अस्पताल प्रबंधन ने नजरअंदाज किया। आरोप लगा कि बिना नोटिस दिए उन्हें यहां से रफा दफा किया गया। पुराने पार्किंग स्थल वाले ने कानून का सहारा लेते हुए अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की। उसमें बताया गया कि अस्पताल ने उसके साथ सरासर धक्केशाही की। अदालत ने अस्पताल प्रबंधन से जवाब मांग लिया। फिलहाल, अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि उन्होंने इसका जवाब अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत को दे दिया। किसी प्रकार से कोई रोक नहीं थी, इसलिए बोली कराई जा रही है। किसी को नकारा नहीं जा रहा है, शिकायतों के कारण ही पहले वाले ठेकेदार का आवेदन नहीं लिया। एक ऊंचे कद के नेता द्वारा अपने करीबी को ठेका दिलाने वाली बात भी खूब चर्चा का विषय बना। फिलहाल, इस पर किसी ने कोई कटाक्ष नहीं किया। फिलहाल, ठेके की बोली को अगले समय के लिए टाल दिया गया। 

…नियम क्या कहते है

नियमों के मुताबिक, अस्पताल में पार्किंग का ठेका उस आवेदनकर्ता को दिया जाता है जिसका व्यवहार तथा सभी दस्तावेज भी पूरे हों। किसी प्रकार का कोई आपराधिक रिकार्ड दर्ज नहीं होना चाहिए। मांगे गए दस्तावेज पूरे होने चाहिए। अगर, किसी का पुराना ठेका चल रहा है तो नियमों के मुताबिक, दोबारा उसे ठेका देने में कोई ऐतराज नहीं होता है, लेकिन, कुछ ठोस शिकायतों के आधार पर ठेका नहीं देने पर अस्पताल प्रबंधन विचार कर सकता है, लेकिन, अस्पताल प्रबंधन ने पुराने ठेकेदार को बिल्कुल ही नजरअंदाज किया। जो कि नियमों के मुताबिक, सरासर गलत है। 

पुराने ठेकेदार के अस्पताल प्रबंधन पर आरोप

पुराने ठेकेदार नीरज शर्मा ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाया कि उसके साथ सरेआम धक्केशाही की गई। उनका अस्पताल में ठेका कई सालों से चल रहा है। हमेशा नियमों के मुताबिक ही काम किया। किसी को तंग परेशान करने की कोई शिकायत आज तक नहीं आई। कुछ गरीब तथा असहाय लोगों की मदद ही की। इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन द्वारा उनके खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज होने का दावा करते है। नियमों के मुताबिक, उसे ठेके के बोली की पहल मिलनी चाहिए थी, लेकिन उनसे अस्पताल प्रबंधन ने आवेदन तक नहीं लिया। ताजुब की बात है बिना तजुर्बे वालों को इस ठेके की बोली में शामिल होने का न्योता दे दिया गया। हालांकि, उच्च न्यायालय ने अस्पताल से जवाब मांगा है, लेकिन मुझे नहीं लगता है कि इन्होंने कोई जवाब दिया होगा। मैं भी चुप नहीं रहने वाला हूं कि फिर से अपने साथ हो रही धक्केशाही के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए जा रहा हूं, मुझे उम्मीद है कि अदालत में उसे इंसाफ मिलेंगा। 

…सब नियमों के मुताबिक चल रहा–अस्पताल प्रबंधन

इस पार्किंग की बोली के लिए चिकित्सा अधीक्षक ने जेपी अत्री चिकित्सक के अधीन एक कमेटी गठित की। बताया जा रहा है कि इस कमेटी में अन्य चिकित्सकों को मिलाकर कुल 6 संख्या है। अत्री ने बताया कि सारा काम कानून के दायरे में रहकर किया गया। बकायदा एक विज्ञापन  अख़बार में जारी किया गया। पुराने पार्किंग वाले ठेकेदार पर चिकित्सकों तथा बाहरी वाहनों को भीतर लगाने की शिकायतें थी, इसलिए उसका आवेदन नहीं लिया। फिलहाल, बोली देने वाला कोई नहीं पहुंचा है, इसलिए टाल दिया गया। उन पर लगे सभी आरोप बेबुनियाद है। 

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