वरिष्ठ पत्रकार.अमृतसर।
दूसरे दिन भी पंजाब के सरकारी डॉक्टर (पीसीएमएस) अपनी लंबित मांगों को लेकर हड़ताल पर रहें। जलियांवाला बाग शहीदी स्मारक सिविल अस्पताल के सभी डॉक्टर सुबह 8 बजे कामकाज छोड़ कर हड़ताल पर चले गए। कुल मिलाकर 40 की संख्या रही। सिर्फ आपातकालीन सेवाएं को छोड़ कर सभी सेवाएं 11 बजे तक ठप कर दी गई। एक सुर में नारा गूंजा, साड्डा हक एथे रख, भगवंत मान सरकार…। लगभग 600 के करीब मरीज परेशान होकर घर वापस लौट गए। सभी ने बोला कि डॉक्टर-सरकार के बीच चल रहे संघर्ष में वे क्यों लोग पीस रहे हैं, इसमें इन्हें आम-जनता से लेकर आने वाले मरीजों को जवाब देना होगा। 11 सितंबर को प्रदेश के स्वास्थ्य से मुलाकात होगी। अगर बैठक में कोई नतीजा निकल कर आता है तो ठीक है, अन्यथा अगली रणनीति में 6 घंटा हड़ताल करने की योजना तैयार की गई। सबसे प्रमुख मांग डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर किया गया है।
मंगलवार , पंजाब के सरकारी अस्पताल की घड़ियों में जब सुई पर 8 बजे तो सभी हड़ताली डॉक्टर आपसी एकता की परिचयता देते हुए इकट्ठा हो गए। सभी अस्पताल परिसर में हड़ताल पर बैठ गए। सभी के चेहरों पर सरकार के खिलाफ रोष दिखाई दिया, क्योंकि, मांगे जायज होने के साथ लंबे समय से लंबित भी है। कोई सरकार भी उसे मानने को तैयार भी नहीं है। हर किसी सरकार ने इन डॉक्टरों को सिर्फ तो सिर्फ भरोसा देने के अलावा कुछ नहीं किया। अब डॉक्टरों ने भी मन बना लिया है कि वे तो अपना हक लेकर ही छोड़ेंगे , उससे कम वे कुछ मानने को भी नहीं तैयार है।
पीसीएमएस के शीर्ष सदस्य डा.जगरूप सिंह , डा.परमवीर सिंह सिद्धू, डा.मधुर पोद्दार ने बताया कि पिछले 10 साल से उनकी सुरक्षा को लेकर सरकार के समक्ष की जा रही मांग को हर बार नजरअंदाज किया। सिर्फ तो सिर्फ झूठे आश्वासन ही मिलें। उनकी हर मांग पूर्ण तौर पर जायज है। स्टाफ की बहुत कमी चल रही है। डॉक्टर लगने को कोई तैयार नहीं है। 1-1 डॉक्टर से अतिरिक्त काम लिया जा रहा है। उन पर मानसिक दबाव है। सरकार बेपरवाह, लेकिन प्रदेश की मान सरकार उनकी पुकार ही नहीं सुन रही है। इसलिए, मजबूर होकर संघर्ष की राह पकड़ रहे है। 11 को मंत्री से बैठक उपरांत कोई सकारात्मक परिणाम निकल कर आता है तो ठीक है, अन्यथा 6 घंटा प्रतिदिन हड़ताल रखी जाएगी।
उधर, दूसरे दिन भी मरीज खासा परेशान रहें। लगभग 600 मरीज अपना इलाज करवाएं बैगर घर वापस लौटने के लिए मजबूर हुए। हर किसी के चेहरे पर गुस्सा तथा रोष भी दिखाई दिया। लेकिन, दबी जुबान में सिर्फ यहीं कहा कि उनका क्या कसूर है, जो उन्हें परेशान होना पड़ा है। सरकार को चाहिए कि डॉक्टरों की जायज मान लें तथा उन्हें परेशान होने से बचा लिया जाए। उनके पास इलाज के लिए एकमात्र सिविल अस्पताल है।
जानें, कौन-कौन सी सेवाएं रही चालू
पहले से ही तय कर रखा है कि हड़ताल दौरान आपातकालीन, महिला विशेषज्ञ, कानूनी चिकित्सा जैसी कुछ सुविधाएं है, उन्हें किसी तरह से भी बांधित नहीं होने दिया जाएगा। यह तीन सेवाएं सिविल अस्पताल में निरंतर चालू रही। 11 बजे के उपरांत फिर से ओपीडी जैसी बंद सेवाओं को प्रतिदिन की तरह बहाल कर दिया गया। लेकिन, मरीजों की संख्या तब नामात्र ही देखने को मिली। अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले दिनों में मरीजों की चिंता बढ़ सकती है। इसके लिए सरकार को उचित कदम उठाना होगा।
यह है प्रमुख मांग
1) सुरक्षा अहम मुद्दा है, काफी लंबे से चल रहा है।
2) उन्नति से लेकर भत्ता में लंबे समय से बढ़ोतरी नहीं की गई।
3) प्रतिमाह पगार में कई बार अड़चन आ जाती है, उस प्रक्रिया को सरल किया जाना अति आवश्यक है।
4) सबसे बड़ा चिंता का विषय है कि कई वर्षों से डॉक्टरों की भर्ती काफी कम संख्या में की जा रही है, 1-1 चिकित्सक 5-5 अतिरिक्त काम करने के लिए मजबूर हो रहा है। मानसिक तौर पर बोझ बढ़ा है।
5) पगार कई वर्षों से नियमों के मुताबिक इजाफा नहीं किया जा रहा है। इसे लेकर भी चिकित्सकों का सरकार के प्रति रोष है।