VIRUL VIDEO–”मैनें भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई, इसलिए, मुझे झूठा फंसाया”,

DEEPAK BHANDRI

एडिटर इन चीफ विनय कोछड़.अमृतसर/चंडीगढ़। 

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27 वर्ष की सच्ची पत्रकारिता, दिल में दर्द, आंखों में सच्चाई , गोदी मीडिया का झूठा प्रचार (बिना कोई पुख्ता सबूत), जानबूझकर उस पत्रकार को फंसाया गया, जिसने हमेशा भ्रष्टाचार की पोल खोली है। बात यहां आकर नहीं समाप्त होती है क्योंकि, दिल्ली के सूत्रों से इस बात का खुलासा हुआ है कि दीपक भंडारी जैसे वरिष्ठ पत्रकार किसी बड़े षड्यंत्र का शिकार हुए है। उन्हें एक सरकारी बाबू जो कि एक केंद्रीय पार्टी का लाड़ला था, उसने यह खेल रचा। उसका साथ निभाने वाले वो लोग थे, जिनके खिलाफ एक सच्चे पत्रकार ने दिन-रात कर उनके काले कारनामों का खुलासा किया था। यहां पर  यह भी पता चल रहा है कि वरिष्ठ पत्रकार के खिलाफ झूठे केस में फंसाने की पटकथा एक माह पहले ही लिख दी गई थी। देश के एक बड़े नेता को ट्वीट करने से पहले सब कुछ गुमराह करके बताया गया। इस केस से जुड़ी सच्चाई के बारे गहनता से जांच की जाए तो उसमें साबित हो जाएगा, असल में सच्चाई क्या थी, किन-किन लोगों ने षड्यंत्र रच कर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले वरिष्ठ पत्रकार को झूठा फंसाया गया। 

वायरल वीडियो का सच

सोमवार को सोशल मीडिया में एक वीडियो खूब तेजी से प्रसारित हुआ। वीडियो वरिष्ठ पत्रकार दीपक भंडारी का था। उन्होंने वीडियो में पूर्व में कहा कि देश के समाचार पत्रों ने लिखा कि वह ड्रग पैडलर है, लेकिन, ऐसा बिल्कुल नहीं है। उनके पास एनडीपीएस एक्ट के तहत निर्मित दावा का बकायदा लाइसेंस है। हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई, झूठे केस में मुझे फंसा दिया गया। 2 निजी अस्पताल यहां से केंद्रीय नारकोटिक्स एजेंसी ने दावा किया कि वहां से इतनी मात्रा में नशीली दवा बरामद हुई। पूछना चाहता हूं कि जो दवा बरामद हुई, क्या वे लोग नशेडियो को बेच रहे थे। उन्हें क्या आवश्यकता है। यह तो सिर्फ मरीज के दर्द के लिए इस्तेमाल की जाती है। बकायदा उसका सरकार की तरफ से लाइसेंस जारी किया जाता है। जो कि सबसे के पास है। एक सरकारी अधिकारी ने बदला लेने की सूरत में यह घिनौना काम किया है, कोई बात नहीं जब हमारा समय आएगा तो देख लेंगे।  जानबूझकर, मेरी पत्नी, भाई,भाभी, बच्चों को इस केस में शामिल किया गया। जो कि सरासर गलत है, बूढ़े मां-बाप को फंसाने का प्रयास किया जा रहा है। कोई बात नहीं, इस पर उनकी कानूनी टीम काम कर रही है। जल्द उन्हें कानूनी तौर पर राहत मिल जाएगी। हैरान करने वाली बात यह है कि उनके साथी डाक्टर राकेश शर्मा को किस बात पर इस केस में फंसाया गया। जिनका कोई दूर-दूर तक कोई लेनदेन ही नहीं है।  माफी मांगता हूं , आपसे ..जिन्हें झूठा फंसाया गया। मैं आपका एहसान कभी नहीं भूल सकता हूं। 

एक सरकारी बाबू है केंद्रीय पार्टी का लाडला

सूत्रों के हवाले से जो खुलासा हुआ है उससे पता चला कि पिछले समय वरिष्ठ पत्रकार भंडारी ने एक सरकारी बाबू के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले में पोल खोली थी, इतना ही नहीं राज्य सरकार ने उसके खिलाफ विजिलेंस जांच के आदेश जारी कर दिए। वह बाबू जो कि केंद्रीय पार्टी का खास लाड़ला था, उसने दिल्ली दरबार जाकर एक पटकथा लिखी कि उसे ब्लैकमेल किया जा रहा है। केंद्रीय पार्टी के एक विंग का खासा होने के नाते उसकी हर बात को केंद्रीय टीम को माननी पड़ी। इसलिए मामले को एनसीबी के हवाले कर दिया। सबूत इस बात का तब ही मिल जाता है कि जब एक केंद्रीय नेता द्वारा इस मामले में ट्वीट किया जाता है। 

सवाल…..क्या एक पत्रकार काम भी नहीं कर सकता है

भंडारी जैसे कई पत्रकार है जो कि पत्रकार को देश सेवा तथा समाज की सेवा तथा (भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे) के खिलाफ आवाज उठाते है। उन्हें पत्रकारिता से होने वाली कोई भी आय से किसी प्रकार से लेनदेन नहीं होता है। फिर भी समाज में इस प्रकार के शैतान लोग है जो कि उनके खिलाफ षड्यंत्र रचने का प्रयास हर समय करते रहते है।  लेकिन उनके मंसूबे कभी नहीं कामयाब हो पाएंगे, क्योंकि, सच्चाई की लड़ाई लड़ने वाला हमेशा ही जीत हासिल करता है। 

पत्रकार यूनियन को आना होगा एक मंच पर

चूंकि, मामला एक वरिष्ठ पत्रकार के साथ जुड़ा है। ऊपर से उक्त पत्रकार को झूठा फंसाया गया है। ऐसे में प्रत्येक पत्रकार यूनियन को राजनीति से ऊपर उठकर वरिष्ठ पत्रकार दीपक भंडारी के समर्थन में आना होगा। अगर सभी एक मंच पर इकट्ठा हो जाते है तो भंडारी परिवार को राहत मिल सकती है। इस समय वह बिल्कुल ही अकेला महसूस कर रहे है। परिवार इस दुख की घड़ी में इधर उधर भटक रहा है समय है कि यूनियन को इकट्ठा कर उनकी हर संभव मदद करनी चाहिए, ताकि हर किसी को पता चल सके कि सच्चाई के साथ पत्रकार यूनियन भंडारी परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। 

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