मामला मार्किट कमेटी मुख्यालय एवं पंजाब अनुसूचित एवं जनजाति आयोग समक्ष पहुंचापीड़ित ने लगाई इंसाफ की गुहार….कहा—आरोप साबित होने पर सभी के खिलाफ हो कानूनी कार्रवाई
एक सत्तारूढ़ सरकार के नेता पर संरक्षण देने का लगा आरोप …..सभी तथ्य-प्रमाण पेश कर पीड़ित ने खड़े कर दिए एक-एक पर सवाल
एसएनई नेटवर्क.अमृतसर।
पंजाब में सत्ता परिवर्तन उपरांत जनता के जहन में नया विश्वास तथा उम्मीद जागी थी कि आम आदमी पार्टी प्रदेश में भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त कर देगी। लेकिन, ऐसा नहीं हो पाया। क्योंकि, पंजाब मार्किट कमेटी अमृतसर के सचिव एवं अन्य सीनियर अधिकारियों पर एक शख्स ने संगीन आरोप लगा कर प्रदेश की आप सरकार पर बड़े सवाल खड़े कर दिए। मार्किट सचिव ने एक दलित कारोबारी का टेंडर रद्द कर , उसकी कंपनी को काली सूची में डाल दिया। वास्तव में, कंपनी का टेंडर सरकारी दस्तावेज में पास किया गया। एक भाजपा नेता के इशारे पर इस टेंडर को रद्द करने का संगीन आरोप लगा है। इतना ही नहीं, पंजाब में सत्तारूढ़ पार्टी के एक बड़े कद के नेता पर भी , इन्हें संरक्षण देने का संगीन आरोप लगा है। पीड़ित ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत मान से इस केस को गंभीरता से लेने की गुहार लगाते हुए कहा कि जिन-जिन का इस मामले में हाथ है , उनके खिलाफ आरोप साबित होने पर कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की मांग की।
बुधवार देर सायं एक दलित कारोबारी ने एक निजी होटल में प्रेस वार्ता दौरान सभी के खिलाफ पूरे प्रमाण के साथ एक-एक के खिलाफ सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि मैं देश का एक सच्चा नागरिक हूं। अपनी कंपनी के नाम पर कर के अलावा सभी दस्तावेज कानूनी प्रक्रिया के तहत पूरे किए है। पिछले दिनों मार्किट कमेटी अमृतसर में हर वर्ष की तरह ऑनलाईन टेंडर निकाला। टेंडर 5 करोड़ से ऊपर का था। ऑनलाइन दस्तावेज संबंधी जानकारी भर दी गई। 20 फीसद पूर्व में नकद जमा करने की शर्त निर्धारित की गई। मार्किट कमेटी सचिव से छुट्टी की वजह से दो दिन का समय पैसे जमा कराने के लिए मांगा गया, जिसे उन्होंने स्वीकृति कर लिया। मांगे गए बैंक संबंधित दस्तावेज तथा चेक लेकर दो दिन उपरांत सचिव के पास पहुंचे। आरोप लगाए कि सचिव ने उनकी कंपनी को बिना किसी कारण , उसे 2 वर्ष के लिए काली सूची में डाल दिया। आरोप लगाए कि सचिव तथा कुछ शीर्ष अधिकारियों के समक्ष उन्हें दलित समाज के प्रति गलत भाषा का प्रयोग किया।
मामला अनुसूचित एवं जनजाति आयोग के पास शिकायत के रूप में पहुंचा। इसके अलावा चंडीगढ़ मुख्यालय मार्केट कमेटी के पास पहुंच गया। मामले की रिपोर्ट आना शेष है। आरोप लगाए कि सचिव ने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि, यह टेंडर एक भाजपा नेता लेना चाहता है। उसने राजनीतिक दबाव डालकर फर्जी तरीके से उनकी कंपनी को काली सूची में डाल दिया। नियमों के मुताबिक, काली सूची में डालने से पूर्व नोटिस भेज कर 15 दिन के भीतर जवाब मांगा जाता है। जबकि, ऐसा बिल्कुल नहीं किया। इस मामले में सत्तारूढ़ पार्टी के उच्च कद के नेता सब को संरक्षण दे रहे हैं।
अनुसूचित-जनजाति आयोग कर रही मामले की जांच पड़ताल
पता चला है कि शिकायतकर्ता ने इस मामले में मार्केट कमेटी के सचिव द्वारा जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल करने की एक शिकायत अनुसूचित-जनजाति आयोग के समक्ष की। आयोग ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए कमेटी गठित की है। कमेटी ने शिकायतकर्ता तथा सचिव के बयान दर्ज कर लिए है। फिलहाल, रिपोर्ट आना शेष है।
2 लाख रुपए रिश्वत मांगने के लगे आरोप
इस मामले में पीड़ित ने आरोप लगाया कि मार्केट कमेटी सचिव ने उनसे दो लाख रुपए की रिश्वत की मांग की। जिसे उन्होंने इसलिए इंकार कर दिया, क्योंकि वह हर कार्य इमानदारी तथा सही ढंग से करते है। आरोप लगाए कि सचिव को यह बात नागवार लगी, इसलिए उसने बदला लेने की नीयत से उनका टेंडर तो रद्द किया ही, जबकि, उनकी सही कंपनी को दो वर्ष के लिए काली सूची में डाल दिया।
मामला मार्केट कमेटी के पास…….सभी आरोप गलत
मार्केट कमेटी के सचिव ने कहा कि मामला मार्केट कमेटी की उच्च स्तरीय टीम के पास है। संबंधित मामले की जांच चल रही है। इस बारे में कुछ खास नहीं कह सकता। इतना जरूर कहूंगा जो भी मेरे ऊपर आरोप लगाए जा रहे हैं। वह सब एकदम झूठे है। इनका कोई आधार नहीं है। एक साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। जांच में सब स्पष्ट हो जाएगा कि सच-झूठ क्या है।
मेरा कोई लेनदेन नहीं है इस मामले में
भाजपा के नेता ने कहा कि उनका इस मामले में कोई लेनदेन नहीं है। मैं भाजपा का एक छोटा नेता हूं। हमेशा ही बुराई के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। प्रदेश में आप की सरकार है। मैं खुद आप द्वारा वादे नहीं पूरे होने पर उनके खिलाफ धरना लगा चुका हूं। आरोप सरासर झूठे है।