बेदर्द इंसानियत….दलित किशोरी के कपड़े फाड़े अश्लील हरकतें की….जान बचाने के लिए मां पहुंची तो परिवार ने मारपीट शुरु कर दी..अपराध को छुपाने के लिए उल्टा चोरी की शिकायत दर्ज कराई

अब पुलिस पर पीड़ित परिवार के साथ इंसाफ नहीं करने के लग रहे संगीन आरोप….दलित संगठन पीड़ित परिवार के समर्थन में उतरा

चेतावनी…गुनहगारों को जल्द सलाखों के पीछे नहीं धकेला तो पूरे पंजाब में होंगे रोष-प्रदर्शन

एसएनई नेटवर्क.अमृतसर। 

यहां की एक दलित किशोरी के कपड़े फाड़ कर , उसके साथ अश्लील हरकत करने एवं मारपीट करने के एक शख्स पर संगीन आरोप लगे हैं। इतना ही इस गलत में उसका साथ परिवार के सभी सदस्यों द्वारा देने का भी संगीन आरोप लगा है। पुलिस पीड़िता की सुनवाई करने के बजाय, इस वारदात को अंजाम देने वाले को सरेआम संरक्षण दे रही हैं। मामला पंजाब के जिला अमृतसर के थाना कैंटोनमेंट क्षेत्र से जुड़ा हैं। युवती को ब्लैकमेल करते हुए एक अश्लील वीडियो बनाकर, उसे सोशल मीडिया पर वायरल करने के संगीन आरोप लगे हैं। ऊपर से पुलिस के समक्ष शख्स ने झूठी कहानी बनाकर दलित युवती के खिलाफ चोरी का झूठा आरोप लगा दिया है, जिस पर पुलिस इस बुरे काम को अंजाम देने वाले को साफ तौर पर बचा रही हैं। 

थाना कैंटोनमेंट की प्रभारी एसएचओ खुद महिला है। इसके बावजूद पीड़ित किशोरी की किसी प्रकार से सुनवाई नहीं कर रही हैं। पीड़ित काफी सहम गई हैं। पीड़ित परिवार के समर्थन में दलित संगठन ने सरेआम पुलिस को चेतावनी दे डाली है कि अगर जल्द पीड़ित किशोरी की सुनवाई नहीं करती है तो वह पूरे पंजाब में पुलिस के खिलाफ रोष प्रदर्शन करेंगे। पीड़ित परिवार को हर हाल में इंसाफ दिलाने का संगठन ने भरोसा दिया। 

शुरू से ही दलित समाज के खिलाफ कुछ लोगों ने उन्हें दबाने का प्रयास किया। इन सभी मामलों में ज्यादातर एक बात सामान रहीं कि आरोपी को शासन तथा प्रशासन द्वारा बचाने की पूरी कोशिश हुई। अंतिम में पीड़ित परिवार को अदालत का ही दरवाजा खटखटाना पड़ा। अदालत ने हमेशा ही पीड़ित के पक्ष में फैसला सुनाकर पुलिस तथा शासन को फटकार लगाई। शायद, इतना कुछ होने के बावजूद पुलिस तथा शासन सबक लेने को तैयार नहीं हैं। इसलिए, जुर्म को दबाने में समय-समय पर प्रयास किए जाते रहे हैं। दलित को प्रताड़ित करने तथा अश्लील हरकत एवं मारपीट करने जैसे कृत्य को अदालत ने जघन्य अपराध की श्रेणी में डाला है। अपराधियों के खिलाफ अदालत ने कठोर से कठोर सजा देकर समाज में एक अच्छा संदेश भी दिया हैं। अब देखना होगा कि इस मामले में पीड़ित परिवार को इंसाफ मिल पाता है या फिर मामले को दबा दिया जाता हैं। 

मामले की पूरी सच्चाई…जानिए, इस रिपोर्ट में…?

मामला 25 मई का बताया जा रहा है। एक गरीब दलित परिवार की महिला किसी के घर काम करती हैं। उस दिन बेटी भी साथ आती हैं। मां बाहर काम कर रही होती है तथा बेटी भीतर कमरे की सफाई कर रही होती है। बेटी को शख्स पकड़ लेता है। बचाव के लिए पीड़ित युवती हाथ-पांव जोड़ती है तो उसके कपड़े फाड़ दिए जाते हैं। मां भीतर आती है तो उसके साथ शख्स मारपीट करने लग पड़ता है। शख्स के साथ अन्य उनकी अश्लील वीडियो बना लेते हैं। बड़ी मुश्किल से जान बचाकर मां बेटी वहां से भाग जाती हैं। उल्टा, शख्स अपना रसूख डालकर संबंधित थाना की चौकी दरोगा को मामला दबाने के लिए हर संभव कोशिश करता हैं। पीड़ित किशोरी मां के समक्ष दरोगा के आगे रहम की भीख मांगते हुए, इंसाफ की गुहार लगाती है। लेकिन, दरोगा जी..खाकी का रौब दिखाते हुए उन्हें वहां से भगा देता है। किसी प्रकार से शिकायत लेने से साफ तौर पर मना कर दिया जाता है। 

दलित संगठन ने उठाई आवाज

अमृतसर के एक दलित संगठन के युवा नेता के पास पीड़ित परिवार का मामला पहुंचा तो उन्होंने पीड़ित परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए रूपरेखा तैयार की। संबंधित चौकी के प्रभारी से मुलाकात कर पीड़ित युवती के बयान दर्ज करने के लिए बोला गया। लेकिन, दरोगा जी, उल्टा बयान दर्ज कराने वालों की वीडियो बनाने लग पड़े। बोला कि इन पर चोरी के आरोप है, इसलिए वे इस मामले में कुछ नहीं कर सकते। इसके बाद पीड़ित ने एक शिकायत पत्र संबंधित थाना प्रभारी को दिया। अभी तक इस मामले को लेकर किसी प्रकार से न कोई जांच पड़ताल आरंभ हुई है और नहीं कोई कार्रवाई की गई। 

संपर्क करने पर जांच अधिकारी ने दो बार काट दिया फोन

थाना कैंटोनमेंट की प्रभारी एसएचओ राजिंदर कौर से दो बार संपर्क किया तो उन्होंने दोनों बार फोन को काट दिया। काफी देर प्रतीक्षा करने के उपरांत फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया तो फोन स्विच ऑफ आ रहा था। 

एसीपी ने नहीं उठाया फोन

उत्तरी क्षेत्र के एसीपी को भी कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया। लेकिन, उन्होंने भी फोन को एक बार भी नहीं रिसीव किया। लोगों की सेवा में हमेशा उपस्थित रहने का दावा करने वाली पुलिस क्यों नहीं फोन उठा रही है, इससे एक बात के संकेत मिल गए है कि पुलिस इस मामले को दबाने के लिए शायद पूर्ण रूप से प्रयास कर रही हैं। 

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