एसएनई नेटवर्क.अमृतसर।
विश्व के चौथे स्तंभ (पत्रकारिता) पर आए दिन अत्याचार में काफी इजाफा हो रहा हैं। हैरान करने वाली बात है कि जिन-जिन पत्रकारों पर अत्याचार हुए, वह अब भी इंसाफ की उड़ीक में बैठे हैं। ताजा मामला, पंजाब के जिला अमृतसर का सामने आया। गत दिवस शहीद प्रेस एसोसिएशन (रजि.) के चेयरमेन (पत्रकार) अमरेंद्र सिंह पर पुलिस द्वारा मारपीट करने का आरोप लगा। मामला पुलिस अधिकारियों के समक्ष पहुंच चुका हैं। जल्द ही मारपीट करने वाले पुलिस मुलाजिमों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन मिला। उधर, इस मामले को लेकर शहीद प्रेस एसोसिएशन से जुड़े बड़े पदाधिकारियों ने पुलिस कार्रवाई पर बड़ा सवाल खड़े करते हुए, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई से लेकर नौकरी से निष्कासित करने की मांग कर डाली। चेतावनी देते कहा कि अगर, उनकी जायज मांग पर पुलिस ने अमल नहीं किया तो पत्रकार संगठन सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होंगे।
शहीद प्रेस एसोसिएशन की आरटीआई (विंग) के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सेन एक प्रेस विज्ञिप्त जारी कर पुलिस की कार्रवाई पर कड़ा ऐतराज जताते कहा कि उन्हें कोई भी कार्रवाई करने से पूर्व एक बार अवश्य सोचना चाहिए था। रास्ते में खड़ा होकर बातचीत करना, हर भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार हैं, अगर कोई जिम्मेदार नागरिक पुलिस को गलत काम के बारे सूचना देता है तो पुलिस की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह उनकी बात को ध्यान से सुनें तथा कानून के दायरे में रहकर काम करें, नाकि , अपने पुलिस डंडे की धौंस जमाकर , बिना वजह बेकसूर के खिलाफ मारपीट शुरु कर दें। इनका इशारा , पत्रकार अमरेंद्र सिंह के खिलाफ दो पुलिस मुलाजिमों द्वारा की गई मारपीट की तरफ था।
उन्होंने बताया कि अमरेंद्र सिंह एक सच्चे तथा ईमानदार व्यक्ति हैं। हमेशा ही, उन्होंने पत्रकारों के लिए सच की लड़ाई के लिए अपनी ड्यूटी निभाई। उन्होंने तो सिर्फ पुलिस मुलाजिमों से इतना ही कहा था कि विश्व प्रसिद्ध श्री हरिमंदिर साहिब के पास कई होटल में गलत काम चल रहे है, इनके खिलाफ पुलिस को नकेल कसनी चाहिए। पता नहीं उक्त मुलाजिमों की क्या मंशा थी, जिस वजह से उनके साथ मारपीट की। पूरे पंजाब का पत्रकार भाईचार बिल्कुल चुप नहीं बैठने वाला हैं। यह बात पत्रकार समाज में फैल चुकी हैं। पुलिस को इस हरकत के लिए जवाब देना होगा। मांग की कि उक्त मुलाजिमों के खिलाफ एक कमेटी गठित की जाए। आरोप साबित होने पर कानूनी तथा विभागीय कार्रवाई भी होनी चाहिए, ताकि पत्रकार समाज को इंसाफ मिल सकें।
डंडे पर कसी जाए नकेल
देश के वरिष्ठ पत्रकारों में मलकीत सिंह, राजेश शर्मा, नवीन राजपूत जैसें सैकड़ों पत्रकारों ने एक सुर में यही बात दोहराई कि चाहे पत्रकारों के आपस में वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन, हम सब एकजुट हैं। कोई भी पत्रकार काम कर रहा है, उसे काम करने देना चाहिए। उसके मौलिक अधिकार तथा स्वतंत्रता के खिलाफ षड्यंत्र नहीं रचना चाहिए। पुलिस को एक बात समझ लेनी चाहिए कि उन्हें भी कानून के दायरे में रहकर ही काम करना चाहिए, नाकि, अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करना चाहिए। मांग उठाई कि बेवजह लहराए जाने वाले पुलिस के डंडे पर नकेल कसनी की जरूरत हैं।

शहीद भगत सिंह परिवार का समर्थन
इस पूरे प्रकरण को लेकर शहीद भगत सिंह परिवार पत्रकारों के समर्थन में उतर आया। शहीद भगत सिंह की भतीजी जसमीत कौर ने पत्रकार के साथ हुई मारपीट को लेकर पुलिस प्रशासन की कड़े शब्दों में निंदा की। उन्होंने कहा कि अमरेंद्र सिंह एक नेक इंसान हैं। कभी वह कानून के बाहर नहीं गए। समाज तथा पत्रकारों के हितों के लिए लड़ाई लड़ी। अगर, उन्होंने पुलिस मुलाजिमों को गलत काम के बारे जानकारी दी तो उनकी ड्यूटी बनती थी कि कानून के मुताबिक , इस मामले पर कार्रवाई करते नाकि, उल्टा पत्रकार के साथ मारपीट करते। अगर पुलिस ने इंसाफ किया तो ठीक, अन्यथा शहीद भगत सिंह का परिवार पत्रकार के समर्थन में कड़ा संघर्ष करेंगा।