सरकार पर लगे नहीं मदद करने के आरोप… 6 लाख रुपए खर्च मंगवाया वापस भारत शव
वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र देवगन.बरनाला।

चंदन जिंदल की पिछले दिनों यूक्रेन में ब्रेन हेमरेज के उपरांत अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। मृत देह शनिवार को बरनाला पहुंचा। मां-बाप का इकलौता चिराग था। सरकार पर परिवार द्वारा लगाई गई शव को वापस नहीं लाने की मदद की गुहार को नजरअंदाज करने के आरोप लगे है। शनिवार को चूंकि चंदन जिंदल के शव को बॉक्स में बंद गाड़ी में से नीचे उतारा गया तो उनके माता पिता अपने इकलौते बेटे को देखकर अपना सिर पीटने लगे। उन्हें संभालना मुश्किल हो गया था।
माता किरण जिंदल रो रो कर बक्से को पीट कर कह रही थी कि जल्दी मेरे बेटे को बक्से से निकालो, उसका दम घुट रहा होगा। बक्से को खोला गया तो किरन ने कहा कि एक बार तो बक्से से उठ जा मेरे चंदन, तुझे भेजा कैसे था और तू लौटा कैसे है, तुझे अपनी मां पर बिलकुल तरस नहीं आया। यह कहकर वे जोरों से रोने लगती। पिता शीशन कुमार का भी रो रो कर बुरा हाल था।
वर्ष 2018 में गया था चंदन यूक्रेन
चंदन जिंदल यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए 2018 में गया था। वह चौथे वर्ष की पढ़ाई कर रहा था। दो फरवरी की रात उसे ब्रेन अटैक आया था और वह कोमा में चला गया था। चार फरवरी को डॉक्टरों ने उसका ऑपरेशन किया। बेटे की देखभाल करने के लिए पिता शीशन कुमार जिंदल व ताया कृष्ण कुमार जिंदल यूक्रेन चले गए। इसी दौरान युद्ध शुरू हो गया और चंदन जिंदल की वहां के अस्पताल में मौत हो गई थी। एक मार्च को ताया कृष्ण कुमार जिंदल वापस बरनाला लौट आए थे और कुछ दिन बाद शीशन कुमार जिंदल भी वहां से लौट आए थे।
पीड़ित परिवार का कहना…नहीं मदद मिली सरकार से कोई
पीड़ित परिवार को चंदन जिंदल की मृतक देह यूक्रेन से भारत लाने में छह लाख का खर्च आया। मृतक चंदन के चचेरे भाई नीरज जिंदल ने बताया कि चंदन का शव वहां से मंगवाने के लिए छह लाख रुपये खर्च आया है। उसकी मृतक देह को बरनाला लाने के लिए पीड़ित परिवार की केंद्र व पंजाब सरकार ने कोई मदद नहीं की और न ही कोई यत्न किया, उन्होंने अपने यत्नों व अपने खर्च से ही मृतक चंदन के शव को बड़ी मुश्किल से भारत व दिल्ली से बरनाला ला पाए हैं।