वरिष्ठ पत्रकार.फाजिल्का।
यहां के पुलिस थाना प्रभारी तथा एएसआई पर गंभीर आरोप है। आरोप लगाने वाली पार्टी ने उनके साथ मारपीट, अन्य पार्टी से समझौता करने का दबाव डालने की बात कहीं। फिलहाल, मामला पुलिस प्रमुख के पास पहुंच चुका है। पूरे प्रकरण के बारे जांच के आदेश जारी कर दिए गए। पुलिस पर इतना संगीन आरोप लगाया जाना, कहीं न कहीं एक गंभीर जांच का विषय बन जाता है। प्राथमिक जांच में सामने आया कि 2 पक्ष का आपस में किसी बात को लेकर पुरानी रंजिश चल रही है। इसमें एक पक्ष का एएसआई बेहद करीबी रिश्तेदार बताया जा रहा है। इसलिए, शिकायतकर्ता पक्ष को समझौता करने के लिए लगातार दबाव डाला जा रहा है।
शिकायत में शिकायतकर्ता पक्ष ने बताया कि थाना के प्रभारी तथा एएसआई , उन्हें लंबे समय से प्रताड़ित कर रहे है। जानबूझकर, उन्हे सताया जा रहा है। शिकायत वापस लेने तथा अन्य पक्ष के साथ समझौता करने के लिए लगातार दबाव डाला जा रहा है। आरोप लगाया कि इतना ही नहीं, पुलिस उन्हें बिना गिरफ्तारी वारंट के घर से उठाकर ले गई। आरोप लगाया कि लगभग 3 घंटा उन्हें इधर-उधर लेकर सरकारी गाड़ी में घूमाती रही। उन पर दबाव डाला गया कि समझौता कर लिया जाए। मना करने पर उनके साथ धक्का-मुक्की तथा मारपीट की गई। बेबस पीड़ित पक्ष ने बताया कि साहब वे लोग पेशे से मजदूर है। बड़ी मुश्किल से घर का निर्वाह होता है। हम किसी के साथ विवाद नहीं करते है। सिर्फ घर से काम तथा काम से घर तक ही उनकी दूरी है। बेवजह पुलिस उन्हें बार-बार तंग कर रही है। गुहार लगाते कहा कि उन्हें इंसाफ मिलना चाहिए। मांग की पुलिस थाना प्रभारी तथा एएसआई के खिलाफ जांच की जाए। आरोप साबित होने पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

जानिए, क्या है पूरा मामला
मामला, पंजाब के जिला फाजिल्का के एक क्षेत्र से जुड़ा है। 2 पक्ष में शादी के रिश्ते को लेकर किसी के बात करने पर आपसी रिश्तों में आई खटास से जुड़ा है। एक पक्ष दूसरे पक्ष से पुरानी रंजिश रखता है। उस पर आरोप लगा है कि वह अन्य पक्ष प्रताड़ना दिलाने के लिए पुलिस का दुरुपयोग कर रहा है। आरोप लगा कि पुलिस को उन्हें प्रताड़ित करवाने के लिए मोटी रिश्वत दे चुका है। ऊपर से उसका जांच-पड़ताल करने वाला एएसआई काफी करीबी रिश्तेदार है। उन्हें कानूनी दांव पेंच बताकर पूरा सहयोग कर रहा है। चूंकि, मामला पुलिस प्रमुख के पास पहुंच चुका है। कड़ा संज्ञान लेते हुए पीड़ित पक्ष को इंसाफ दिलाने के लिए पूरा भरोसा दिया गया। किसी बड़े पुलिस अधिकारी को जांच के आदेश जारी कर दिए गए।
पीड़ित परिवार की मांग
पीड़ित परिवार ने हाथ जोड़ कर पुलिस तथा चुनाव आयोग से मांग की कि उन्हें कानूनी तौर पर इंसाफ दिया जाए। पेशे से काफी गरीब है। मजदूरी कर घर का निर्वाह बड़ी मुश्किल से चलता है। वह कभी नहीं इन झमेलों में नहीं पड़े है। लेकिन, पुलिस तथा अन्य पक्ष ने उन्हें झूठा फंसाने के लिए पूरा प्रयास कर रहे है। लेकिन, बुराई के समक्ष झुकेंगे नहीं उन्हें कानून पर पूरा भरोसा है। सच्चाई की ही जीत दर्ज होगी।
पुलिस पर खड़े हुए सवाल
यह मामला काफी गंभीर है। एक थाना प्रभारी से लेकर एएसआई पर इतने गंभीर आरोप लग जाना कहीं न कहीं पुलिस की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े हो जाते है। पुलिस का काम सिर्फ आम-जनता की पीड़ा को ध्यान से सुनना तथा उन्हें इंसाफ दिलाना होता है, नाकि, पीड़ित पक्ष के दबाव डाल कर उन्हें अन्य पक्ष से समझौता करने के लिए विवश करना होता है। अगर मामला कहीं न कहीं चुनाव आयोग के संज्ञान में आ जाता है तो दोनों पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है। नौकरी भी जा सकती है।
पुलिस का पक्ष
जिन 2 पुलिस कर्मचारियों पर शिकायतकर्ता ने संगीन आरोप लगाया, उनका थाना प्रभारी तथा अन्य पुलिस कर्मचारी ने खंडन किया। उनके मुताबिक, 2 पक्ष की आपस में पुरानी रंजिश है। थाना में समझौता करने के लिए आवश्यक बुलाया गया। मारपीट या फिर धक्का मुक्की, समझौता करने की बात को पुलिस ने सिरे नकार दिया। बोला कि पुलिस कानून के दायरे में रहकर काम करती है। किसी को प्रताड़ित नहीं करती है।