300 वर्ष पूर्व पाकिस्तान के सनखतरे गांव से शुरू हुई थी विधि, स्वतंत्रता के उपरांत परिवार बस गया गुरदासपुर के तहसील बटाला
खासियत—–संतान प्राप्ति की दुआ करने पर होती है पूरी मुराद
नितिन धवन.बटाला गुरदासपुर।वैश्विक स्तर पर आधुनिक इलाज की प्रक्रिया काफी उन्नत हो चुकी है। विज्ञान ने हर बीमारी का इलाज ढूंढ लिया है। जबकि, इसके विपरीत वर्तमान में भी सांप (नाग देवता) के द्वारा फूंकार से लोग, इसका इलाज पुरानी प्रक्रिया से कराने का बेहतर विकल्प समझते है। पंजाब के जिला गुरदासपुर की तहसील बटाला शहर में रहने वाला आनंद परिवार सदियों से कख (सांप के फूंकार) का इलाज प्राचीन विधि के साथ कर रहा है। अब तक दो लाख से ऊपर लोगों का सही ढंग से इलाज कर , उन्हें ठीक किया जा चुका है।
300 वर्ष पूर्व पाकिस्तान के जिला नारोवाल के अधीन गांव सनखतरे के रहने वाले बाबा संतोख नाथ योगी महाराज ईशाधारी नाग देवता के समय से यह प्रक्रिया चली आ रही है। बटाला के आनंद परिवार के सदस्य विजय कुमार उर्फ टोनी आनंद ने जानकारी देते बताया कि बाबा जी ने अंतिम समय दौरान आनंद परिवार को बख्श के रूप में वरदान दिया था कि उनकी आने वाले पीढ़ियां सांप के की फूंकार से किसी को हुए कख ठीक करने में महारत होगी।
इतना ही नहीं, बटाला में स्थित प्राचीन मंदिर श्री इच्छाधारी नाग देवता में आनंद परिवार के लोग दूर-दूर से भंडारण के दौरान माथा टेकने के लिए पहुंचते रहेगे। दिलचस्प पहलू यह है कि आनंद परिवार के एक वर्ष के बच्चे में इस प्रकार की कला की महारत है।
इस बार भंडारा बटाला के प्राचीन मंदिर इच्छाधारी नाग देवता में 19 नवंबर शुक्रवार वाले दिन को है। बताया जाता है कि यह भंडारा खासतौर पर पुण्य वाले दिन ही होता है। इस दौरान पंजाब तथा विदेश में बसे आनंद तथा अन्य परिवार के लोग स्पेशल तौर पर दर्शन करने के लिए पहुंच रहे है। इनके खाने-पीने तथा रहने के लिए खास प्रबंध किया गया।
बताया जा रहा है कि बटाला में इस दिन बाजार तथा सड़कों में काफी रौनक होती है, जबकि दर्शन करने वालों की लंबी-लंबी कतार लग जाती है। खास बात यह है कि इस मंदिर में अगर किसी को संतान प्राप्ति न हों, तो वह यहां पर सच्चे मन से माथा टेक लाता है। उसकी कुछ माह में कोख हरी भरी हो जाती है।
मंदिर संचालक विजय कुमार उर्फ टोनी ने बताया कि वह खुद इस बात के गवाह है कि कई परिवार में , उन्होंने देखा कि जिनकी लंबे समय से संतान प्राप्ति नहीं हो रही थी। मगर यहां पर सेवा कर तथा श्रद्धा से माथा टेकने के बाद उनके घर बालक ने जन्म लिया।
इलाज की क्या है विधि
मंदिर के संचालक विजय उर्फ टोनी आनंद ने बताया कि अगर किसी भी व्यक्ति को सांप के फूंकार से कख हो जाए तो उसके इलाज के लिए पांच बार चांडा (फांडा) किया जाता है। फांडा के दौरान देग के पत्तों तथा राख का विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है। गंभीर से गंभीर रोगी के कख का इलाज कर दिया जाता है।
मिट्ठी रोटी का लगता है लंगर
भंडारे वाले दिन विशेष रूप से मिट्टी रोटी का लंगर लगाया जाता है। लंगर की विशेषता दूर-दूर तक है। पंक्ति में बैठकर भक्तों को लंगर परोसा जाता है। सारा दिन लंगर की व्यवस्था रहती है। रात को माता की चौकी कराई जाती है। भक्तों का कहना है कि सच्चे दिल से इस मंदिर में आकर कुछ मन में मांग लिया जाए तो जल्द ही मुराद पूरी हो जाती है।