खुशखबरी-खुशखबरी….अब लाचोवाल टोल प्लाजा में वाहन चालकों को नहीं देना पड़ेगा टोल टैक्स…..सीएम ने कराया टोल-फ्री….15 साल कंपनी वाहन चालकों से ऐंठती रही टोल टैक्स, नहीं कराई मरम्मत, रिपोर्ट में आई सच्चाई सामने

वरिष्ठ पत्रकार.होशियारपुर। 

गुरुवार को होशियारपुर का लाचोवाल टोल प्लाजा बंद करा दिया गया। यह कार्य पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के आदेश पर हुआ। आरोप लगाए कि अगर कंपनी के अधीन सड़क की मरम्मत तक नहीं हुई तो किस बात पर टोल प्लाजा चला सकते हैं।

अनुबंध अग्रवाल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड नामक कंपनी के पास था। अब वाहन चालकों को किसी प्रकार से टोल-प्लाजा की अदायगी नहीं करनी पड़ेगी। लोगों ने पंजाब के मुख्यमंत्री के इस फैसले का दिल से स्वागत किया। उधर, कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों ने राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। पुलिस प्रशासन को उनके खिलाफ लाठीचार्ज करने का मामला भी सामने आया। लगभग 15 वर्ष तक (2007 से लेकर 2022) कंपनी के पास अनुबंध था।

कितने पैसे में बनी थी सड़क

जानकारी के मुताबिक, 28 किलोमीटर की सड़क पर निर्माण राशि 8 करोड़ के करीब खर्च हुई थी। चौंकाने वाली बात रही कि 15 वर्ष में एक बार भी कंपनी ने सड़क की मेनटेनस तक नहीं कराई। लंबे समय से लोग मुख्यमंत्री को शिकायत दे रहे थे। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए एक उच्च स्तरीय कमेटी से जांच पड़ताल कराई। उसमें कंपनी की गड़बड़ियां सामने आई। 

प्रतिदिन 1.94 लाख इकट्ठा होती थी राशि

रिपोर्ट में दावा किया गया कि इस टोल प्लाजा से प्रतिदिन 1.95 लाख रुपए राशि इकट्ठा होती हैं। 15 वर्ष तक कंपनी ने 105 करोड़ इकट्ठा किया। इसके बावजूद एक पैसा भी सड़क की मरम्मत पर खर्च नहीं किया गया। रिपोर्ट में यह भी साफ तौर पर लिखा गया कि कंपनी ने एक शर्त को नहीं माना हैं। सरेआम कानून को कंपनी ने अपने हाथ में लिया। 

नियमों की उड़ी खुलेआम धज्जियां

रिपोर्ट में पाया गया कि टोल प्लाजा कंपनी ने नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई। नियमों से हटकर कंपनी ने निजी बैंक में खाता खुलाया। जबकि, नियमों के मुताबिक, सरकारी बैंक में खाता चाहिए था। इशारों-इशारों में सीएम भगवंत मान ने सत्तारूढ़ पार्टियों पर भी निशाना साधा हैं। उन्होंने साफ तौर पर संदेश दे दिया कि वह जनता के एक-एक पैसे का हिसाब लेंगे। कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने से भी नहीं पीछे हटेंगे। 

ऐसे दर्ज हुआ मामला

रिपोर्ट मुख्यमंत्री के मेज पर आने के उपरांत वह हरकत में आ गए। उन्होंने इस संबंध में सरकारी अधिवक्ता (एजी) से सलाह ली। उनकी रिपोर्ट के आधार पर कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया गया। सीएम ने इस बात का भी संदेश दे दिया कि जरुरत पड़ने पर कंपनी को काली सूची में भी डाला जा सकता हैं। जनता का पैसा है, इसलिए पाई-पाई का हिसाब लेकर वसूली भी की जाएगी।  

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