राहुल का संदेश…..एकजुटता देख कांग्रेस की विचारधारा का हुआ अहसास…..वर्करों के साथ चर्चा कर लिया जाएगा सीएम चेहरा पर फैसला
एसएनई न्यूज़.चंडीगढ़।
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी वीरवार को पंजाब दौरे पर रहे है। इस दौरान अमृतसर के सच्चखंड श्री हरमंदिर साहिब में नतमस्तक हुए। उनके साथ पंजाब कांग्रेस के कई मंत्री तथा विधायक शामिल रहे है। खास बात, उनके दौरे को स्पेशल बनाने के लिए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी तथा पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्वू राहुल गांधी के साथ-साथ , हां से हां मिलाकर, उनके आगे-पीछे दिखाई दिए। इस दौरान , कांग्रेस के कई वरिष्ठ लीडरशिप ने उनकी अनुपस्थिति पर किए गए सवाल को सिरे से नकार भी दिया। राहुल के साथ चन्नी-सिद्वू की एक साथ तस्वीरें देखकर सीएम चेहरे को लेकर संदेश तथा सस्पेंस पैदा कर दिया।
जालंधर में कांग्रेसी वर्करों के साथ वर्चयुल बैठक दौरान राहुल गांधी ने साफ संदेश देते कहा कि आज उन्हें सिद्वू-चन्नी की आपसी एकजुटता को देखकर उनमें कांग्रेस की विचारधारा अहसास किया। सीएम चेहरा को लेकर आम वर्करों के साथ उनकी चर्चा जारी है जिन चेहरे पर आम सहमति बनती है, उसे ही सीएम चेहरा घोषित किया जाएगा। उधर, चन्नी तथा सिद्वू ने राहुल गांधी के संदेश पर सहमति जताते कहा कि पार्टी जिस चेहरे पर सीएम के नाम पर घोषणा करती है। उसके साथ मिलकर काम किया जाएगा। साथ ही कसम खाई जाएगी कि सहयोग दिल से किया जाएगा।
फिलहाल, चर्चा इस बात की चल रही थी कि राहुल गांधी अपने दौरे दौरान सीएम चेहरा घोषित कर सकते है, जबकि राहुल गांधी ने ऐसा नहीं करके सभी बातों पर विराम लगा दिया। अब राहुल गांधी ने आम वर्करों के साथ चर्चा पर फैसला छोड़ दिया है। इससे पूर्व नवजोत सिंह अपने पंजाब माडल की चर्चा भी करते आए। जिनकी कुछ बातों पर राहुल गांधी ने भी सहमति जताई।
चरणजीत सिंह चन्नी ने अपने सीएम कार्यकाल के दौरान कामकाज पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि जनता के साथ किए वादे सभी पूरे किए। सरकार ने काम पूरी ईमानदारी से निभाया। जनता उनके काम से संतुष्ट है। उन्हें उम्मीद है कि फिर कांग्रेस सत्ता में आने वाली है।
मेड इन पंजाब का सपना दिखाया
राहुल गांधी ने वर्करों तथा पंजाब की आम जनता तक मेड इन पंजाब का सपना दिखाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के आने पर आम-जनता का हर वह सपना पूरा होगा, जो उसने मन के भीतर सोच रखा है। हर कार्य जनता का घर बैठे ही पूरा होगा। शासन में पंयाचत को ओर अधिक शाक्तियां पंजाब में मिलेगी। परिवहन, केबल, रेत खनन सब कुछ सामप्त कर दिया जाएगा। इसका फायदा आम जनता तक पहुंचाया जाएगा। हम लोगों को जोड़ना चाहते है नाकि तोड़ना। आप लोगों ने हमें बहुत प्यार दिया। उम्मीद करता हूं कि आगे भी मिलता रहेगा। मनमोहन सिंह जी से बहुत कुछ सीखने को मिला है। वर्करों तथा नेताओं की आपसी एकजुटता से पता चलता है कि कांग्रेस की विचारधारा इनमें है।
किसान-मजदूर ने हिला दिया केंद्र सरकार
उन्होंने कहा कि पंजाब के किसान तथा मजदूर में काफी एकजुटता है। वे दिल से सच्चे तथा ईमानदार है। कड़ी मेहनत की मिसाल की चर्चा देश ही पूरे विश्व में होती है। देश में तीन काले कृषि कानून को वापिस लेने के लिए, इनकी ऐकता तथा इरादे ने सरकार को मजबूर कर दिया। इनके नेक इरादे ने सरकार को हिला कर रख दिया। अंत में प्रधानमंत्री को यह पारित बिल वापिस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
बड़ा सवाल–कब तक जारी रहेगी
सिद्वू-चन्नी की एकजुटताराहुल के समक्ष चन्नी-सिद्वू ने एकजुटता की मिसाल तो पैदा कर दी, जबकि बड़ा सवाल यह है कि यह कार्य कहीं राहुल गांधी तथा हाईकमान तक अपना सहीं संदेश पहुंचाने के लिए तो नहीं किया गया। क्योंकि, हर कोई इस बात का साक्षी है कि सिद्वू जैसे व्यक्तित्व वाले नेता जी का पता नहीं होता है कि सार्वजनिक स्टेज पर अपनी पार्टी के कार्यों पर सवाल खड़ा करने शुरु कर देते है। इसमें वे अपनी सरकार तथा सीएम पर निशाना साधने से भी नहीं पीछे हटते है। इस बात को लेकर पार्टी के कई वरिष्ठ नेता हाईकमान तक संदेश तथा लिखित में शिकायत दे चुके है। मगर एक बात है कि सिद्वू की हर न-हां पर राहुल गांधी अपनी सहमति जता देते है। अब अगर राहुल, इस बार भी सिद्वू के मामले में जरा सी भी चूक करते है तो पंजाब चुनाव में कांग्रेस को प्रतिकुल असर देखने को मिल सकता है।
हाईकमान के लिए सबसे बड़ा मुश्किल समय
इस समय कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा मुश्किल समय है। क्योंकि, वह पंजाब में अब तक सीएम चेहरा घोषित नहीं कर पाई। इसके पीछे हाईकमान यह सोच रही है कि अगर सिद्वू-चन्नी में किसी एक का नाम सीएम चेहरे के लिए घोषित कर दिया तो उसका प्रभाव चुनाव में प्रतिकुल पड़ सकता है। क्योंकि , सिद्वू भीतर ही भीतर सीएम बनने के पूरे इच्छुक है। इसके लिए उन्होंने अपने बातों तथा फैसलों के माध्यम से इस बात का संदेश भी पहुंचा दिया है। जबकि, चन्नी का सीएम चेहरे का नाम नहीं घोषित करके, कांग्रेस को इस बात का भयं भी सता रहा है कि इससे पंजाब में अनुसूचित जाति का वोट बैंक, उनके हाथ से फिसल सकता है। क्योंकि, जिस प्रकार से चन्नी ने अपनी सरकार के कार्यकाल दौरान कार्य किए, उसे लेकर अनुसूचित जाति में कांग्रेस का एक अच्छा संदेश गया। कुल मिलाकर कांग्रेस हाईकमान सीएम चेहरे के नाम की घोषणा को लेकर मुश्किल समय से गुजर रही है।
सीएम चेहरा घोषित नहीं करना हमेशा कांग्रेस के लिए रहा हार का कारण
इतिहास इस बात का साक्षी रहा है कि जब-जब कांग्रेस ने चुनाव पूर्व सीएम चेहरा का ऐलान नहीं किया, उसे तब-तब हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2012 के चुनाव के दौरान कांग्रेस किसी का नाम सीएम चेहरा के लिए घोषित नहीं किया। उस दौरान कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2017 में राहुल गांधी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह का नाम सीएम चेहरा के लिए घोषित कर दिया तो कांग्रेस भारी बहुमत के साथ सत्ता में वापिस आई। अब देखना होगा कि कांग्रेस हाइकमान सीएम चेहरे का नाम घोषित करती है या फिर चन्नी-सिद्वू के नाम पर चुनाव लड़ती है।