पूर्व नगर-सुधार ट्रस्ट चेयरमेन पम्मा के बेटे शिवा सरीन की अदालत ने फिर से जमानत याचिका रद्द की
नितिन धवन.जालंधर।
90 करोड़ जीएसटी बोग्स बिलिंग घोटाला के मामले में पूर्व नगर-सुधार ट्रस्ट बटाला के चेयरमेन पवन कुमार पम्मा के बेटे शिवा सरीन की जमानत याचिका इस बात को लेकर जालंधर जिला सत्र एवं अतिरिक्त न्यायाधीश सरबजीत सिंह धालीवाल ने नामंजूर कर दी कि जमानत के दस्तावेज के साथ सेल के असली बिलिंग के दस्तावेज ही नहीं लगाए गए। इस मामल को लेकर अदालत ने शिवा सरीन की दूसरी जमानत याचिका रद्द की। इस केस को लेकर सीजीएसटी की तरफ से अधिवक्ता जीके अगिनोत्री , जबकि आरोपी की तरफ से अधिवक्ता बलराम शक्ति पेश हुए।
इस केस को लेकर न्यायाधीश के समक्ष लंबी बहस चली। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने अदालत के समक्ष बताया कि उनके मुक्विल शिवा सरीन बेकसूर है तथा पहले वह बटाला में कृषि से संबंधी संयत्रों को बेचने का धंधा करते थे। कुछ समय पहले उन्हें आर्थिक तौर पर काफी नुक्सान हुआ। इस धंधे को बंद कर ट्रेडिंग संबंधी अलग-अलग चीजों का कारोबार शुरु कर दिया। परिवार के सदस्यों के नाम पर कंपनी बनाई गई, जबकि सारा काम खुद निगरान करते रहें है। कोई जीएसटी से संबंधी धोखाधड़ी का काम नहीं किया।
विभाग के अधिवक्ता ने कहा कि आरोपी ने अपने परिवार के नाम पर कई फर्जी कंपनियां बनाई। जिन-जिन जगह पर कंपनी चल रही थी, उनमें बटाला तथा दिल्ली के बारे बताया गया। बटाला को छोड़कर दिल्ली के पते पर कोई कंपनी वहां पर मौजूद नहीं थे। ऐसे में अपराधी ने सरकार तथा विभाग के साथ धोखा किया। बिल चेक किए तो सभी फर्जी पाए गए। इतना ही नहीं, उन बिल के हिसाब से चेक किया तो सेल तथा बिक्री असल में हुई ही नहीं थी। धंधे की सभी एंट्रियां फर्जी थी।
न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की दलील सुननें के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि आरोपी जमानत किस आधार पर मांग रहा है। जमानत याचिका के दस्तावेज के साथ कोई सेल के बिल ही नहीं लगाए है। अगर याचिका-कर्ता वाक्य में जमानत चाहता है तो अपनी सेल के असली बिल जमानत याचिका के साथ लगाए। उसके बाद अदालत इस पर पुर्नविचार कर सकती है।
विभाग दावा कर रहा है बड़ा खुलासे का
सीजीएसटी के एक विभागीय अधिकारी ने नाम नहीं छापने के सूरत में आने वाले दिनों में इस केस के संबंध में बड़ा खुलासा करने का दावा कर रहा है। उनके मुताबिक, शिवा सरीन की फर्जी कंपनियों संबंधी विभाग के हाथ पक्के प्रमाण लगे है। उसमें इसके साथ कई लोग ऐसे भी संलिप्त है, जिनको विभाग जांच में शामिल कर सकता है। यह रेकैट अकेला नहीं, बल्कि कई लोगों की मिलीभुगत के साथ चल रहा था। फिलहाल, इस मामले को लेकर पूर्व नगर-सुधार ट्रस्ट का चेयरमैन का परिवार शांत होकर बैठा है तथा कोई प्रतिक्रिया देने से बच रहा है।