SNE NETWORK.MOGA.
किसान जगमोहन सिंह ने पिछले 15 साल से धान के कटाई के बाद पराली नहीं जलाई। जगमोहन सिंह का कहना है कि पर्यावरण स्वच्छता के महत्व को समझते हुए उन्होंने 15 साल पहले धान की पराली जलाना पूरी तरह से बंद कर दिया था। इसके बाद वह हर साल कंबाइन से धान की कटाई के बाद खड़ी पराली में पलवार लगाकर आलू की बिजाई करते हैं। उन्होंने कहा कि वह धान की सीधी बिजाई भी करते हैं। वह पंजाब के मोगा जिला के गांव जे सिंह वाला के रहने वाले है।
उन्होंने यह भी कहा कि पराली को जमीन में मशीन के साथ मिलाकर गेहूं की फसल की तुलना में आलू की फसल से अधिक कमाई कर रहे हैं क्योंकि उन्हें गेहूं के एक सीजन की तुलना में आलू की तीन गुना फसल मिलती है। जगमोहन सिंह ने कहा पिछले 15 साल से पराली को नहीं जलाया ताकि पर्यावरण खराब न हो। सरकार पराली को खेत से उठाने के लिए और पराली को मिट्टी के साथ मिलाकर अगले फसल के लिए जमीन तैयार करने के लिए मशीन गांव-गांव में पहुंचाया ताकि छोटे किसान पराली को आग न लगाएं। उन्होंने कहा कि लोगों से मेरी अपील है कि पराली को न जलाया जाए, ताकि पंजाब का पर्यावरण साफ रहे। सभी किसान एकजुट होकर पंजाब को पराली के धुएं से मुक्त करें और पंजाब के पर्यावरण को शुद्ध रखें।
पराली के 872 मामले
पंजाब में रविवार को लगातार चौथे दिन पराली जलाने के रिकॉर्ड मामले दर्ज किए गए। रविवार को एक दिन में 162 नए मामलों के साथ पंजाब में अब तक पराली जलाने के कुल मामलों की संख्या 872 हो गई है। साल 2022 में इसी दिन पराली जलाने के 120 मामले और साल 2023 में 154 मामले आए थे।