शहादत के सात दिनों बाद तिरंगे में लौटे हिमवीर अक्षय पठानिया, सैन्य सम्मान से हुआ अंतिम संस्कार

जब तक सूरज चांद रहेगा अक्षय तेरा नाम रहेगा,के जयघोष से गूंजा

रुण बैंस.पठानकोट । 

अरुणाचल प्रदेश के भारत-चाइना बॉर्डर की जीरो लाइन पर गश्त कर रहे सेना की 19 जैक राइफल्स के सात जवान 6 फरवरी को वहां आए बर्फीले तूफान की चपेट में आने से शहादत का जाम पी गए थे। जिनमें से जिला पठानकोट के गांव चक्कड़ निवासी 24 वर्षीय राइफलमैन अक्षय पठानिया भी शामिल था। जिनकी तिरंगे में लिपटी पार्थिव देह उनके पैतृक गांव चक्कड़ पहुंची, जहां पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

मामून कैंट से आई सेना की 9 जैक राइफल्स के जवानों ने शस्त्र उलटे कर, हवा में गोलियां दागते हुए व बिगुल की गौरवशाली धुन के साथ शहीद को सलामी दी। ज्ञात रहे कि गत दिवस अरुणाचल में मौसम बेहद खराब होने की वजह से इन सातों जवानों की पार्थिव देह को लेकर आने वाला सेना का विमान एयरपोर्ट से उड़ान नहीं भर सका। जिसके चलते सेना की ओर से सडक़ मार्ग के जरिए उक्त सातों जवानों के शवों को तेजपुर तक लाया गया, जहां से आज सेना के ए.एन 32 विमान के जरिए एयरलिफ्ट कर उन्हें पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन लाया गया और उसके पश्चात सेना के वाहनों के जरिए उनके पार्थिव शवों को आगे उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया।    

एयरपोर्ट से गांव चक्कड़ तक अक्षय के सम्मान में बिछी फूलों की बिसात

शहीद अक्षय पठानिया की पार्थिव देह को लेकर जब सेना के जवान एयरपोर्ट से लेकर उसके गांव की तरफ जाने लगे तो एयरफोर्स स्टेशन के गेट के बाहर क्षेत्र के सैकड़ों युवाओं ने हाथों में तिरंगे लिए अपने क्षेत्र के लाडले की शहादत को नमन किया तथा सैन्य वाहन के आगे मोटरसाइकिलों के काफिले के साथ गांव तक उसकी पार्थिव देह लेकर आए तथा जिस रास्ते से शहीद अक्षय पठानिया की तिरंगे में लिपटी पार्थिव देह गुजरी, लोगों ने फूलों की बिसात बिछा क्षेत्र के लाडले को भावभीनी श्रद्घांजलि अर्पित की तथा सारा पठानकोट जब तक सूरज चांद रहेगा, अक्षय तेरा नाम रहेगा, शहीद अक्षय पठानिया अमर रहे, भारतीय सेना जिंदाबाद व भारत माता की जय के जयघोष से गूंज उठा। रास्ते भर में लोगों ने शहीद अक्षय पठानिया के होर्डिंग लगा रखे थे।         

मां के कंधे पर विदा हुए अक्षय, सेहरा बांध दी अंतिम विदाई

शहीद राइफलमैन अक्षय पठानिया की तिरंगे में लिपटी पार्थिव देह जब गांव चक्कड़ पहुंची तो समूह गांववासियों की आंखों से अश्रू धारा बह निकली। पत्थर की मूर्त बनी अक्षय की माता रितू पठानिया ने जब ताबूत में बंद बेटे को देखा तो उसकी करुणामयी चीखें पहाड़ों का कलेजा छलनी कर रही थी। मां बोली उठ अक्षय देख तेरी मां तुझे पुकार रही है आज तू मां का हाल नहीं पूछेगा, आज क्यों तू गहरी नींद सो गया है। मां की यह बातें सुन हरेक की आंखें नम हो उठीं। मां ने जब शहीद बेटे के सिर पर सेहरा सजा व उसकी अर्थी को कंधा देकर उसे अंतिम विदाई दी तो सारा गांव शहीद की बहादुर माता जिंदाबाद के जयघोष से गूंज उठा। वहीं बहन रवीना पठानिया व भाई अमित पठानिया ने जब तिरंगे में लिपटे अपने छोटे भाई अक्षय को देखा तो वो रोते हुए कहने लगे कि आज उनकी एक भुजा उनसे जुदा हो गई है, उसके बिना हमारी दुनियां ही उजड़ गई है।  

गांव में बने शहीद की यादगार:कुंवर विक्की

शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की ने कहा कि चक्कड़ गांव जिले का एकमात्र ऐसा गांव है, जिसमें 90 प्रतिशत के करीब सैनिक देश सेवा कर रहे हैं। अक्षय पठानिया ने अपना बलिदान देकर इस गांव का नाम रोशन किया है,इसलिए वह सरकार से अपील करते है कि शहीद राइफलमैन अक्षय पठानिया की याद में गांव में एक यादगार गेट बनाने के साथ-साथ सरकारी स्कूल का नाम इनके नाम पर रखा जाए ताकि यहां की युवा पीढ़ी उनके बलिदान से प्ररेणा लेते हुए भारतीय सेना में भर्ती होकर राष्ट्र निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकें।  

इन्होंने अर्पित की भावभीनी श्रद्घांजलि

इस अवसर पर शहीद की माता रितू पठानिया, दादी सत्या देवी, पिता रिटा.हवलदार सागर सिंह पठानिया व बड़े भाई अमित पठानिया के अलावा शहीद की यूनिट के कैप्टन वी एस संधू, कैप्टन जसबीर सिंह, नायब सूबेदार विमल कुमार, शहीद मेजर विवेक भंदराल के पिता कर्नल पी एस भंदराल, परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की, शहीद सिपाही मक्खन सिंह के पिता हंसराज, पूर्व मंत्री मास्टर मोहन लाल, सुजानपुर से विधायक दिनेश सिंह बब्बू, ठाकुर अमित मंटू, नरेश पुरी, सुरिन्द्र महाजन, अखिल भारतीय हिन्दु सुरक्षा समिति के प्रदेश चेयरमैन सुरिन्द्र मन्हास, मार्कीट कमेटी के चेयरमैन एडवोकेट भानू प्रताप सिंह, हवलदार अवतार सिंह, हवलदार बलविन्द्र सिंह, सूबेदार मेजर सी एस मन्हास आदि ने रीथ चढ़ाकर शहीद को श्रद्घांजलि अर्पित की। तत्पश्चात शहीद के बड़े भाई अमित पठानिया ने अपने छोटे भाई की चिता को मुखाग्नि दी।  

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