तरनतारन प्रशासन की बड़ी चूक….बिना स्वास्थ्य जांच के भूखे पेट किशोरावस्थाओं को वैक्सीन लगाई…मामले ने पकड़ा तूल तो जिला अधिकारी ने डाला पर्दा….जिला आयुक्त ने दिए जांच-पड़ताल के आदेश

प्रतीकात्मक तस्वीर

आरोप …डीपी ने छात्रों को थप्पड़ जड़ वैक्सीन लगाने पर किया मजबूर…अभिभावकों में रोष को साफतौर पर दबाया…..अब प्रशासन अपनी  भूल पर जता रहा पछतावा

अमित मरवाहा.तरनतारन।

पंजाब के जिला तरनतारन प्रशासन की बड़ी चूक सामने आई। बुधवार को लगने वाली किशोरावस्थाओं को वैक्सीन, बिना स्वास्थ्य जांच-पड़ताल, भूखे पेट ही लगा दी गई। फिर क्या था, कई किशोर चक्कर महसूस करने लगें तो कई उल्टियां करने लगें। आनन-फानन में तरनतारन के बड़े स्कूल ने मामले को दबाने का प्रयास किया। इतना ही नहीं, वहां के डीपी पर आरोप लगा है कि छात्रों को थप्पड़ जड़ कर वैक्सीन लगाने के लिए मजबूर किया।

अभिभावकों ने स्कूल के खिलाफ रोष जाहिर किया तो प्रबंधन ने अपनी धौंस जमाकर दबाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। किसी प्रकार से जिला शिक्षा अधिकारी के पास मामला मीडिया के माध्यम से पहुंचा तो इस पर पर्दा डालने के लिए हर संभव प्रयास किया गया। आखिरकार, जिला आयुक्त को इस मामले पर कड़ा संज्ञान लेते हुए, जांच-पड़ताल के निर्देश देने ही पड़े। तब जाकर अभिभावकों का गुस्सा ठंडा हो पाया। फिलहाल, स्कूल प्रबंधन तथा प्रशासन मीडिया के समक्ष अपनी भूल को लेकर पछतावा भी महसूस कर रहा है। 

दरअसल, यहां के एक स्कूल में किशोरावस्था वाले छात्रों को दो दिन से डोज लगाने का स्वास्थ्य विभाग का कार्यक्रम चल रहा है। डोज 15-18 आयु के बीच वाले छात्रों को लग रही है। मंगलवार को एक निजी स्कूल में अभिभावकों को बिना सूचित किए, उनके बच्चों को भूखे पेट तथा बिना स्वास्थ्य जांच-पड़ताल के वैक्सीन लगा दी गई। मामला तब गरमा गया, जब एक फलेरी (सफेद चमड़ी रोग संबंधित) छात्र की तबीयत बिगड़ गई। जानकारी मुताबिक, उसे चक्कर आने लगे। दिल खराब होने लगा। स्कूल प्रबंधन तमाशा देखता रहा। 

परिजनों को इस बात का पता चला तो वह स्कूल पहुंच गए। बताया जा रहा है कि लगभग 50 के करीब छात्रों के अभिभावक अपने बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर स्कूल पहुंच गए। उन्होंने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ रोष जताया तो मामला मीडिया तथा सोशल मीडिया में वायरल हो गया।

जिला शिक्षा अधिकारी पर मामले पर पर्दा डालने के आरोप लगे, जबकि जिला आयुक्त ने मामले की जांच-पड़ताल का आश्वासन देकर मामले को शांत किया। फिलहाल, क्षेत्र में स्कूल तथा प्रशासन की इतनी बड़ी चूक को लेकर काफी चर्चा हो रही है। मामला प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा स्वास्थ्य मंत्री के पास पहुंच गया। अभिभावकों द्वारा एक पत्र स्कूल तथा स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर लिखा गया। उन्होंने कार्रवाई करने के लिए मांग की । अब देखना होगा सरकार, इस मामले पर क्या कोई कार्रवाई कर पाती है या फिर ठंडे-बस्ते में ही निकल जाएगा।

कड़वा सवाल….क्यों मामले पर डाला गया पर्दा

जिला तरनतारन के शिक्षा अधिकारी हर भगवंत सिंह से एक बड़ा सवाल है, क्यों उन्होंने , इस बड़े मामले पर पर्दा डालने का प्रयास किया। बड़ी चूक बच्चों की जान तक ले सकती थी। केंद्र सरकार की मुहिम को स्थानीय प्रशासन क्यों इतनी बड़ी लापरवाही के साथ चला रहा। अगर प्रशासनिक अधिकारी चाहते तो वह बड़ा कदम उठा सकते है। अगर ऐसा संभव हो पाता तो शायद भविष्य में फिर से इतनी बड़ी गलती दोहराने के बारे कोई सोच भी नहीं सकता। 

मामले की जांच सही कदम

इस पूरे मामले में जिला-आयुक्त  कुलवंत सिंह  ने मामले के जांच के आदेश जारी कर एक सही कदम उठाया। अब जांच-पड़ताल में साफ तौर सामने आ जाएगा कि गलती किसी की तरफ से हुई। कौन-कौन गलती का जिम्मेदार था। उसके उपरांत गलती करने वालों के खिलाफ प्रशासन क्या बड़ी कार्रवाई करता है, उस आदेश पर भी निर्भर करेगा। 

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