वरिष्ठ पत्रकार.तरनतारन (झब्बाल)।

मां की आंखों में आंसू नहीं थम रहे….परिवार गम में डूबा हैं। क्योंकि, घर का चिराग हमेशा-हमेशा के लिए बुझ चुका हैं। मां के साथ हर रिश्तेदार विलाप तो जरुर कर रहा है, लेकिन, लाल की मां उस गमगीन माहौल में अपनी सुध बुध खो चुकी हैं। मामला, पंजाब के सीमांत क्षेत्र तरनतारन के झब्बाल में स्थित गांव गगूभाऊं के एक परिवार का हैं। 30 वर्षीय जुगराज सिंह को उसकी बिजनेस पार्टनर महिला पर उसे (जुगराज) को घर बुलाकर जहर देने का संगीन आरोप लगा। पुलिस ने पीड़ित परिवार की नहीं सुनी तो उन्होंने चब्बाल के थाना समक्ष धरना लगा दिया। लगभग 3-4 घंटा के उपरांत पुलिस ने पीड़ित परिवार को लिखित में महिला के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का आश्वासन दिया तो फिर जाकर देर सायं मंगलवार धरना समाप्त हुआ।
जानकारी के मुताबिक, 30 वर्षीय जुगराज सिंह परिवार का काफी लाडला था, खासकर, मां की आंखों का दुलारा था। वह एक महिला पार्टनर के साथ बिजनेस करता था। महिला पार्टनर पर संगीन आरोप लगा है कि घर बुलाकर जुगराज को जहर दिया। उसके उपरांत , जुगराज की कुछ घंटा के भीतर मृत्यु हो गई। परिवार ने पुलिस को सूचित किया। पुलिस के अधिकारी एवं अन्य पुलिस संख्या घटनास्थल पहुंची। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर 174 की कार्रवाई कर दी।
पीड़ित परिवार का आरोप था कि उन्होंने पुलिस को बयान दिया की कि महिला ने जुगराज सिंह को जहर दिया, जिस वजह से उसकी मौत हो गई। लेकिन, पुलिस ने एक नहीं पीड़ित परिवार की सुनी। पीड़ित परिवार के दर्द बारे किसान संगठन तथा कुछ राजनीतिक पार्टियों को पता चला तो उन्होंने मंगलवार दोपहर को थाना के समक्ष विशाल धरना लगा दिया। सड़क जाम कर दी गई। पुलिस तथा सरकार के खिलाफ पीड़ित परिवार ने नारेबाजी की। यह देख पुलिस प्रशासन के हाथ पांव फूल गए।
घटनास्थल पर पुलिस के बड़े अधिकारी पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवार को कई बार समझाने का प्रयास किया। लेकिन, परिवार लिखित में महिला के खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर अड़ा रहा। अंत में पुलिस प्रशासन को पीड़ित परिवार की बात को मानना पड़ा। उन्होंने परिवार के बयान पर महिला के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर दी। फिलहाल, महिला की गिरफ्तारी के बारे पुलिस ने कोई पुष्टि नहीं की।
…..शायद यहां तक नहीं पहुंचता मामला
अगर पुलिस पूर्व में ही पीड़ित परिवार का दर्द समझ लेती तो शायद, धरना लगाने की नौबत ही नहीं आती। क्योंकि, पुलिस द्वारा मामले को हल्का लिया गया। इससे कहीं न कहीं पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा होता हैं। इस मामले में पीड़ित परिवार ने पुलिस के जिम्मेदार अधिकारी तथा कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की मांग भी कर रहा हैं। अब देखना होगा कि पुलिस विभाग अपने जिम्मेदार पुलिस अधिकारी तथा कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करता है या फिर उनकी कार्यप्रणाली को बचाने पर पर्दा डाल देती है।
राहगीर-वाहन हुए परेशान
एक तरफ पीड़ित परिवार इंसाफ की मांग कर रहा था। सड़क को पूर्ण रुप से जाम कर दिया गया। वहीं, दूसरी तरफ राहगीरों एवं वाहन चालकों को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हैरान करने वाली बात है कि पुलिस ट्रैफिक को डायवर्ट करने में भी नाकाम रही। जिन चालकों को अन्य रास्ते का ज्ञान था, वहीं बस अपने गंतव्य तक पहुंचने में कामयाब रहे, जबकि, अन्य को इधर-उधर भटकने के लिए मजबूर होना पड़ा।