वरिष्ठ पत्रकार.तरनतारन।
रिश्वतखोरी पुलिस विभाग में सबसे अधिक चलती है। यूं कहे कि बड़े अधिकारियों से लेकर छोटे कर्मचारी इसके बगैर तो रह ही नहीं सकते है। यह प्रमुख वजह कि पंजाब में अपराध कम नहीं हो रहा है। प्रमुख अपराधियों के पैसों के समक्ष पुलिस अपना ईमान बेच चुकी है। ताजा मामला, स्थानीय अदालत से जुड़ा है। अदालत ने एक पुराने मामले को लेकर 10 लाख की रिश्वत मामले में डीआईजी को तलब कर लिया। खास बात यह है कि उक्त मामले में डीएसपी को सरकारी गवाह बना लिया गया। 1 अप्रैल को अगली सुनवाई है।
क्या था पूरा प्रकरण, जानिए, खास रिपोर्ट में….?
मामला, जून 2022 का बताया जा रहा है कि माडी मेघा से सुरजीत सिंह को अफीम सहित गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने तस्कर पिशोरा सिंह का नाम कबूला। डीएसपी लखबीर सिंह संधू ने तस्कर से उसका नाम नहीं डालने के बदले 10 लाख की घूस मांगी। मामला, विजिलेंस के पास पहुंच गया। विजिलेंस ने जांच-पड़ताल में डीएसपी को गुनहगार माना तथा अदालत में रिश्वत से जुड़े एक-एक सबूत को पेश कर दिया। उससे साफ साबित हो गया कि रिश्वत 10 लाख मांगी गई।
अब डीएसपी लखबीर सिंह संधू अदालत में सरकारी गवाह बन चुके है। उन्होंने इस बात का खुलासा किया कि रिश्वत खुद ने नहीं, बल्कि रखम डीआईजी इंदरबीर सिंह को दी गई। अदालत ने इस मामले को काफी गंभीरता से लिया तथा डीआईजी को समन भेज दिया। उन्हें 1 अप्रैल को पेश होने के लिए बोला गया। बताया जा रहा है कि इस मामले में डीआईजी की नौकरी जाने के साथ-साथ सजा भी हो सकती है