अमित मरवाहा.तरनतारन।
पिछले दिनों गांव कद गिल में हुई डकैती की वारदात को अंजाम देने वालों को पुलिस ने पकड़ लिया। सभी ने अपना जुर्म कबूल लिया। बाद में पुलिस ने सभी को एक-एक करके छोड़ दिया। किस आधार पर उन्हें छोड़ दिया गया। इसका पुलिस के पास कोई जवाब नहीं है। लिहाजा, चर्चा का विषय बन चुका है कि यह हाल है तरनतारन पुलिस का……।
बता दें कि प्रवासी भारतीय परिवार (एनआरआई) की कोठी से 2 लाख नकद ( 20 तोला सोना), 2 महंगे हथियार की डकैती हुई थी। डकैती 10 मार्च की मध्यकालीन रात्रि 1.05 को हुई। वारदात को अंजाम देने वालों की कुल संख्या 7 के करीब थी। सभी नकाबपोश थे। परिवार आधे से ज्यादा यूरोप के ऑस्ट्रिया देश में रहता है। घर में बूढ़े मां-बाप रहते है।
इन दिनों जिला तरनतारन पुलिस की काफी फजीहत हो रही है। क्योंकि, उनकी एक हरकत ने जनता के बीच बड़ा सवाल खड़ा कर दिया। एक डकैती के मामले में सभी गुनहगारों को थाना सदर पुलिस ने पकड़ लिया। एक-एक करके सभी ने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया। उसके बाद पुलिस ने सभी को छोड़ भी दिया। अब पुलिस पूछने पर बता रही है कि ऐसी कोई बात नहीं है। उन्होंने किसी को नहीं पकड़ा है। हिरासत में लेकर पूछताछ हुई, गुनाह साबित किसी का नहीं हुआ, इसलिए छोड़ दिया गया। पुलिस की खिचड़ी क्या पक रही है, किसी बड़े अधिकारी के पास जवाब नहीं है। लेकिन, इस पूरे मंजर के दर्द सहने वाले परिवार में सहम का माहौल है। बुजुर्ग जरनैल सिंह सही ढंग से चल भी नहीं सकते। बच्चे आस्ट्रिया में रहते है। वहां के पक्के निवासी है। घर में डकैती की खबर उन तक पहुंची तो वापस देश लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा।
पता चला है कि जरनैल सिंह के घुटने चलने एकदम बंद हो चुके है। बच्चों ने पिता के ऑपरेशन के लिए 2 लाख भेजे थे, जिसे डकैतों ने चुरा लिए।
सीएम साहब, एनआरआई परिवार की सुनो पुकार
भारतीय अप्रवासी परिवार (एनआरआई) ने राज्य के मुख्यमंत्री तथा एनआरआई मामलों के मंत्री से उन्हें इंसाफ दिलाने के लिए गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि सीएम साहब परिवार की पुकार सुन लीजिए। पुलिस उनकी किसी प्रकार से कोई मदद नहीं कर रही है। वारदात को अंजाम देने वाले पकड़ लिए गए, उन्होंने जुर्म भी कबूल लिया, लेकिन बाद में छोड़ दिया गया। अब पुलिस के पास कोई जवाब नहीं है।
सबसे कमजोर साबित हो रही जिला तरनतारन पुलिस
डकैती मामले से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला तरनतारन पुलिस सबसे कमजोर साबित हो रही है। शिकायतकर्ता द्वारा केस में शामिल लोगों के बताए जाने के बावजूद पुलिस ने एक बार पकड़ कर उन्हें छोड़ दिया। पता चला है कि पुलिस के समक्ष उन्होंने अपना जुर्म भी कबूल लिया था। उसके बावजूद उन्हें छोड़ देना पुलिस कार्यप्रणाली पर एक बड़ा सवाल खड़ा होता है।
पुलिस थ्योरी
केस की जांच पड़ताल कर रहे थाना सदर के प्रभारी के मुताबिक, किसी अपराधी को इस केस में नहीं पकड़ा गया। पूछताछ के लिए कईयों को हिरासत में लिया गया। कोई गुनाह नहीं सामने आया, बाद में छोड़ दिया गया। पूछताछ के लिए बुलाए गए किसी को अपराधी नहीं माना जा सकता है। जांच-पड़ताल जारी है।
चिप में छिपा है राज…..अब पुलिस ने वापस लौटाई
वारदात वाले दिन गुरु घर वाले कमरे के भीतर एक सीसीटीवी की चिप छिपा कर लगाई थी। सीसीटीवी कैमरा की डीवीआर तो साथ ले गए। लेकिन, इस चिप में उनकी वारदात कैद हो गई। हैरान करने वाली बात है कि पीड़ित परिवार ने पुलिस को चिप दी थी। 3 दिन तक उस चिप का कुछ नहीं किया। आखिरकार, पीड़ित परिवार को वापस लौटा दिया। इससे एक साबित हो जाती है कि पुलिस इस केस को काफी हलके में ले रही है।
यह लोग वारदात के उपरांत गायब
पीड़ित परिवार ने बताया कि उनके आवास में काम करने वाले नौकर वारदात के बाद गायब है। वे लोग घर के पास गांव में रहते है। उन्हें पूरा शक है कि इन लोगों ने वारदात को अंजाम देने में सक्रिय भूमिका निभाई। पूर्व में इनके रिश्तेदार घर आकर नौकरों के साथ लंबी-लंबी बातचीत करते थे। इस बात पर उन्हें पूर्व में शक था। पुलिस को उनके बारे सब कुछ बताया , लेकिन पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया।