सत्ता के भोगी प्यासे नेता विकास की आड़ में कर रहे भ्रष्टाचार

सत्ता के भोगी, भूखे-प्यासे नेता विकास की आड़ में भ्रष्टाचार कर रहे है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र देश भारत के अधिकतर नेता भोली-भाली जनता के साथ धोखा कर रहे है। देश की जनता का पैसा नेता की बड़ी-बड़ी तिजौरियों को भर रहा है। इतना बी नहीं, विदेशी बैंकों में इनका दो नंबर का पैसा जमा है। हर सरकार देश की जनता से एक वायदा जरुर करती है कि उनका पैसा विदेश से वापिस भारत लाया जाएगा। यह एक प्रकार से लोगों के साथ मुंगेरीलाल का झूठा सपना दिखाने वाली बात है। ‘


एक अनुमान के मुताबिक, विश्व में सत्ता के नेताओं का काला पैसा विदेशी बैंक में इतना जमा है कि अगर उन पैसों को भारत वापिस लाया जाए तो हर भारतीय नागरिक के खाता में लगभग 10-15 लाख रुपए जमा हो सकता है। यानी भारत में गरीबी पूरी तरह से समाप्त हो सकती है। ऐसा सपना तो तब ही पूरा हो सकता है, जब सत्ता में एक ईमानदार प्रधानमंत्री तथा उसकी सेना (यानी ईमानदारी मंत्री) सत्ता में आते है। 


देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सौ पैंतीस करोड़ भारतीय जनता को वायदा किया था कि भाईयों-बहनों देश में वह प्रधानमंत्री बनें तो विदेश में जमा भ्रष्टाचारियों का पैसा देश में वापिस लाया जाएगा। देश की भोली-भाली जनता ने एक-एक मत मोदी जी को डाला। देश की जनता को कई उपेक्षाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से थी। एक-एक करके जनता की हर वह उपेक्षा टूट गई, जब किसी के खाता में 10-15 लाख रुपए नहीं पहुंचा। 


कहते है कि यह डायलाग एक हिंदी फिल्म में ही अच्छा लगता है। यहां पर एक नेता जनता के साथ किया अपना वायदा पूरा करता है । सच्चाई में यह सब कुछ भारत में संभव नहीं होता है। एक-एक करके देश की जनता अब मोदी जी के किए वायदे को भूल चुकी है। शायद, उन्हें इस बात का अहसास हो चुका है कि मोदी जी उनके सपने पर खरा नहीं उतर सकते।  


देश में भ्रष्टाचार , अब भी पूरे चरम पर है। मंत्रियों के खास अधिकारी बड़े स्तर पर गरीब जनता के पैसों के साथ घबला कर रहे है। इतना हीं नहीं, इन मामलों को राष्ट्रीय अख्बार की सुर्खियों को बनने से पहले ही रोक दिया जाता है। क्योंकि , हमें कहने में संकोच हो रहा है कि देश की आवाज कहलाने वाली सच्ची पत्रकारिता , अब धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। सुर्खियों में सिर्फ मंत्रियों के कामकाज तथा उनके वायदों को सजा कर प्रकाशित या फिर टेलिविजिन की स्क्रीन में दर्शाया जाता है। 


देश में महंगाई, भ्रष्टाचार ऐसे दो मुद्दें है, जिन्हें सत्ताधारी, विपक्ष, मीडिया बिल्कुल ही भूल चुकी है। जो मीडिया इनके खिलाफ आवाज उठाती है, उनकी आवाज को अगले दिन ही बंद कर दिया जाता है। सिर्फ तो सिर्फ भ्रष्टाचारी सिस्टम का भारत में बोलबाला है। इतना ही नहीं, जिन मंत्रियों तथा अधिकारियों का इस सिस्टम में नाम सार्वजनिक हो जाता है। उनके खिलाफ कार्रवाई भी  नामात्र होती है, या कह सकते है कि मामला ही हमेशा के लिए दबा दिया जाता है। 


केंद्र की भाजपा सरकार ने गरीबों का चहेता बताते हुए, उनसे एक वायदा किया था कि देश में महंगाई कभी बढ़नी नहीं दी जाएगी। गरीब को सस्ता अनाज दिया जाएगा। माध्यम वर्ग को हर वह सुविधा मिलेगी, जिसका उसे लंबे समय से इंतजार था। मगर कहते है कि ये वायदे सिर्फ मुंगेरीलाल के सपने जैसे ही साबित हुए। अब महंगाई की मार से हर गरीब तथा मध्यम वर्ग त्राहि-त्राहि कर रहा है। पेट्रोल पर कीमत नियंत्रण करने में मोदी सरकार एकदम से असफल रही। इससे एक बात तो साफ जाहिर हो जाती है कि कांग्रेस-भाजपा में कोई खास अंतर नहीं है। 


 एक कहावत किसी ने सही कही है कि भारत की जनता काफी भोली-भाली है, जो यहां के नेताओं के झांसे में आकर, उन्हे मत दे देती है। मगर यहीं नेता यहां की जनता के साथ बाद में विश्वासघात करते है। इन सत्ताधारी तथा भूखे प्यासे सत्ता के भोगी नेताओं को शायद, इस बात का बिल्कुल अहसास नहीं है कि देश की जनता भी उनका मुंह देख रही है, जब उन्होंने अपना फैसला सुनाया तो हर वो भ्रष्टाचारी नेता के लिए मुश्किल घड़ी हो जाएंगी, जिसने देश की जनता के साथ विश्वासघात किया है। 


एसएनई न्यूज़ प्रधान संपादक -विनय कोछड़।

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