वरिष्ठ पत्रकार.राष्ट्रीय डेस्क।
पहलगाम आतंकी हमले के चलते पूरे देश में आक्रोश का माहौल है। इसी बीच गुरुवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इस हमले पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने लोगों से उनका धर्म पूछकर उन्हें मारा, जो बहुत ही दर्दनाक और अमानवीय है। बता दें कि बीते मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बड़ा आतंकी हमला हुआ। इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से ज्यादातर पर्यटक थे।
‘हिंदू कभी ऐसा नहीं करते’
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आगे कहा कि हिंदू कभी किसी से उसका धर्म पूछकर उसे नहीं मारते। यह लड़ाई धर्म और अधर्म के बीच की है। उन्होंने कहा कि रावण को भी पहले सुधरने का मौका दिया गया था, लेकिन जब उसने बदलाव से इनकार कर दिया, तब राम ने उसका अंत किया। इसके साथ ही भागवत ने आगे कहा कि हमारे दिल में दुख है, हम गुस्से में हैं। लेकिन इस बुराई को खत्म करने के लिए ताकत दिखानी होगी।
समाज पर एकता पर दिया जोर
साथ ही भागवत ने समाज में एकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि अगर समाज एकजुट रहेगा, तो कोई भी दुश्मन हमें नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर कोई हमें बुरी नीयत से देखेगा, तो उसकी आंख निकाल दी जाएगी। भागवत ने कहा कि हिंसा हमारे स्वभाव में नहीं है, लेकिन चुपचाप सहना भी ठीक नहीं। एक सच्चे अहिंसक व्यक्ति को मजबूत भी होना चाहिए। ताकत हो और जरूरत पड़े, तो उसे दिखना भी चाहिए।
‘जनादेश के नाम पर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाना तानाशाही’
वहीं आरएसएस के प्रचार प्रभारी सुनील आंबेकर ने कहा कि जनादेश के नाम पर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाना तानाशाही है। उन्होंने कहा कि जो लोग ईमानदार राजनीति करना चाहते हैं, उन्हें लोगों को सच बताना चाहिए और आम सहमति बनानी चाहिए। आंबेकर ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि अगर कुछ लोग जनादेश के नाम पर अपना एजेंडा आगे बढ़ाते हैं तो यह तानाशाही है और यह गलत है। सभी को संयम के साथ और राष्ट्रीय हित में अपने विचार प्रकट करने चाहिए।
उन्होंने कहा कि जो लोग ईमानदार राजनीति करना चाहते हैं, उन्हें लोगों को सच बताना चाहिए, उनकी राय को आकार देना चाहिए, उन्हें भविष्य में अच्छे कार्यों के लिए तैयार करना चाहिए और आम सहमति बनाने का प्रयास करना चाहिए। इसके साथ ही आंबेकर ने राजनीतिक नेताओं के समर्थकों की चुप्पी के प्रति आगाह करते हुए कहा कि बड़े समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख संगठनों को व्यापक हित में बोलना चाहिए। अगर अनुयायी कहते हैं कि उन्हें बोलने की जरूरत नहीं है क्योंकि उनके नेता ऐसा करेंगे, तो कुछ लोग जनादेश की आड़ में अपना एजेंडा आगे बढ़ते रहेंगे। लेकिन मौन रहकर आम सहमति नहीं बनाई जा सकती।
तिरंगे पर बने चक्र पर बोले आरएसएस नेता मनमोहन वैद्य
दूसरी ओर आरएसएस के संयुक्त महासचिव मनमोहन वैद्य ने बुधवार को एक कार्यक्रम में कहा कि भारत विविधताओं का देश जरूर है, लेकिन हमारी संस्कृति एक ही है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की एकता की जड़ें ‘धर्म’ में हैं, और यह धर्म का मतलब ‘रिलीजन’ से अलग है। मनमोहन वैद्य ने कहा, “हमारे पास अलग-अलग संस्कृतियां नहीं हैं, बल्कि एक ही संस्कृति है, जिसका उत्सव अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है।
इसके साथ ही उन्होंने तिरंगे के बीच बने चक्र की बात करते हुए कहा कि वह चक्र ‘धर्म चक्र’ है, जो हमारे समाज के मूल सिद्धांतों का प्रतीक है। वैद्य ने कहा कि तिरंगा, सुप्रीम कोर्ट, लोकसभा और राज्यसभा सभी जगह ‘धर्म’ शब्द का इस्तेमाल होता है। इसका मतलब सिर्फ रिलेशन नहीं है।