प्रधान संपादक.विनय कोछड़।
मेरा देश भारत महान हैं। माटी की खुशबू हर भारतीय के दिल में महसूस होती हैं। खालिस्तानी, जिहादी, कट्टर हिंदू-राष्ट्र का स्वप्न देखने वाले भारत को दोफाड़ करने की हवा को बल दे रहे हैं। अपने निजी स्वार्थ को पूरा करने के लिए विदेशी ताकतों तथा राजनीति का सहारा लिया जा रहा हैं। सांप्रदायिक ताकतें खुशहाल भारत को मिट्टी में धूमिल करने का हर तरह से प्रयास कर रही हैं। देश की अखंडता, संप्रभुता को कायम रखने के लिए हर भारतीय नागरिक, राष्ट्रविरोधी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए कायम हैं। क्योंकि, उन्हें मालूम है कि इस माटी ने उन्हें सब कुछ दिया हैं।
एक बात तो साफ है कि यह 21वीं सदी का भारत हैं। सभी प्रजाति के रहने वाले लोग हर धर्म की भावना को समझते हुए सभी त्योहार को एक-साथ मिलजुल कर मनाते हैं। एक-दूसरे की खुशियों में शरीक होकर , अपनेपन का अहसास महसूस करते हैं। कुछ समय से देश विरोधी ताकतें , सांप्रदायिक विचारों वाले स्वाभाविक लोग भारत की संप्रभुता को खतरे में डालने का हर प्रकार से प्रयास कर रही हैं। विदेशी फंडिंग से लेकर राजनीतिक लाभ जैसी हर प्रकार की सुविधा, उन्हें हासिल हो रही हैं। धर्म में बांटने तथा आपस में विवाद करना इनका मेन महत्व हैं। इनकी कोशिशों में तब पानी फिर जाता है, जब भारतीय इनके मंसूबों को नजरअंदाज करते हुए आपसी सद्भावना की मिसाल पैदा कर देते हैं।
मालूम होना चाहिए, कि भारतीयों को तोड़ने की कोशिश अतीत में कई बार हो चुकी हैं। लेकिन, भारतीय नागरिकों ने इन ताकतों को हमेशा ही धर्म-जाति से उठकर आपसी एकता की मिसाल बनकर, उनके बुरे मंसूबों को मात दी। देश के सर्वोच्च स्थान पर हर जाति से संबंधित लोगों ने शासन किया। हर भारतीय ने उन्हें पूरा सम्मान दिया। हमें इस बात को बिल्कुल ही नहीं भूलना होगा , क्योंकि देश की उन्नति से लेकर नई खोज को बल देने में प्रत्येक जाति का पूरा-पूरा सहयोग रहा हैं।
देश में हिंदू-राष्ट्र का नारा देने वाले कहीं न कहीं अपने निजी स्वार्थ को लेकर एक एजेंडा चला रहे हैं। इसके पीछे राजनीति ताकत पूरा सहयोग दे रही हैं। उन्हें हर प्रकार की सुरक्षा से लेकर सुख-सुविधा वीआईपी तरीके से मिल रही हैं। धर्म का प्रचार करना कोई बुरी बात नहीं हैं। लेकिन, अगर एक विशेष धर्म का राष्ट्र बनाने की सोच उत्पन्न हो जाए तो इसमें देश को दोफाड़ करने की कड़ियां जोड़ने लग पड़ती हैं। समय के मुताबिक, इस प्रकार की ताकतों को रोक देना ही हर किसी के लिए अच्छा होगा। क्योंकि, यह सोच कभी नहीं देश को जोड़ने का काम करती, बल्कि, लोगों के दिमाग में एक-दूसरे को बांटने का ही काम करती हैं।
इसी प्रकार खालिस्तान की मांग करने वाले देश में कट्टरवाद तथा आतंकी सोच को पैदा कर रहे हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि इनकी सोच को एक उन्नत देश (विदेश) की सरकार बल दे रही हैं। वोट की राजनीति से उठकर, गंदी सोच को कुचलना ही समय की मांग हैं। नहीं तो यहीं लोग उक्त देश की धरती में अपना ही शासन तथा देश बना लेने की मांग उठा लेंगे। तब जाकर एहसास होगा कि शायद इनके खिलाफ पूर्व में ही बड़ा कदम उठा लेना चाहिए था। देश विरोधी सोच किसी जाति-धर्म के लिए सही नहीं होती हैं। इतिहास इस बात का साक्षी रहा कि इस सोच ने हमेशा ही हर किसी को नुकसान ही पहुंचाया हैं।
जिहाद सोच को हमेशा से ही राजनीतिक संरक्षण ने ही बल दिया। अच्छी बात है कि भारत के अमन पसंद लोग तथा मजबूत सरकार ने इन्हें कभी उठने ही नहीं दिया। अब भी देश में कुछ राजनीतिक पार्टियां उन्हें जिंदा रखने के लिए पीछे से सहयोग कर रही हैं। अपनी वोट बैंक की राजनीति को चमकाने के लिए , देश को तोड़ने के लिए समय-समय पर अपनी चाल चलती रहती हैं। इसलिए, चुनाव में लोग इन पार्टियों के खिलाफ मत का अधिकार इस्तेमाल कर उनके नाकाम मंसूबों को नाकाम कर देते हैं।