विशेष पीठ का आदेश—-उत्तर प्रदेश और राजस्थान अपने पहले आदेश का करें पालन
एसएनई न्यूज़.दिल्ली।
देश की सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के स्तर में ‘मामूली’ सुधार की बात कहीं। इसी प्रकार न्यायालय ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को एक सप्ताह के भीतर निर्माण गतिविधियों पर लगाए गए प्रतिबंधों में ढील देने की मांग करने वाले विभिन्न अभ्यावेदनों पर निर्णय लेने की अनुमति दी।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की एक विशेष पीठ ने उत्तर प्रदेश और राजस्थान को अपने पहले के आदेश का पालन करने के लिए कहा, जिसके द्वारा उसने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के राज्यों को उनके द्वारा एकत्र किए गए उपकर से निर्माण श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान करने के लिए कहा था। रियल एस्टेट फर्मों से ऐसा कहा गया था, क्योंकि प्रतिबंध के कारण उनका काम प्रभावित हुआ था।
कहा गया कि राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकारों को निर्माण करने वाले श्रमिकों को पैसे के भुगतान से संबंधित मुद्दे पर अनुपालन हलफनामा दाखिल करना होगा।
शर्तों में छूट के निर्देश
बेंच ने कहा, ‘हम आयोग (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) को हमारे आदेशों के आधार पर या अन्यथा उनके परिपत्रों के अनुसार लगाई गई शर्तों में छूट के बारे में विभिन्न उद्योगों और संगठनों के अनुरोधों की जांच करने का निर्देश देते हैं। हमें उम्मीद है कि आयोग एक सप्ताह के भीतर इस पर गौर करेगा।’
पीठ ने आयोग और शीर्ष अदालत सहित अन्य द्वारा लगाए गए कुछ प्रतिबंधों के खिलाफ बिल्डरों के निकाय, चीनी, चावल और पेपर मिलों द्वारा दायर कई हस्तक्षेप याचिकाओं को निपटाने का फैसला किया और पैनल से इन मुद्दों पर फैसला करने को कहा।
हवा की गुणवत्ता में थोड़ा सुधार
पीठ ने शुरू में ही कहा कि अब हवा की गुणवत्ता में थोड़ा सुधार हुआ है और आयोग को प्रतिबंधों से संबंधित मुद्दों पर फैसला करने की अनुमति दी जा सकती है।
वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि महत्वपूर्ण अवधि समाप्त होने के बाद से अब चीजें बेहतर हो गई हैं और पहले के एक आदेश को रद करने की मांग की जिसके द्वारा निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध फिर से लगाया गया था।
बेंच ने कहा कि हम इन हस्तक्षेप आवेदनों पर विचार नहीं करेंगे। इन सभी आवेदनों पर आयोग (वायु गुणवत्ता) द्वारा विचार किया जाएगा और राज्यों के परामर्श से छूट के अनुदान पर विचार किया जाएगा।