खुशखबरी, खुशखबरी-हम किसानों को समझा नहीं पाए, यह कहकर मोदी सरकार ने वापस लिए तीन कृषि कानून ….सिंघु -टीकरी बार्डर पर किसानों में खुशी का माहौल

एक-दूसरे का लड्डू से मुंह-मीठा कर जीत का मनाया जश्न, वाहेगुरु जी दा खालसा, वाहेगुरु जी दी फतेह के लगे जयकारे

एसएनई न्यूज़.नई दिल्ली।

देश के इतिहास में किसानों के लिए गुरु पर्व पर दोहरी खुशी लेकर आया। क्योंकि, आज के दिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन दौरान इस बात पर जोर देते कहा कि , उनकी सरकार तीन कृषि सुधार कानून पर कुछ किसानों को समझा नहीं पाई। इसलिए, उन्होंने तीन कृषि कानून वापिस लेने का फैसला कर लिया।

इस खबर के बारे, जब टीकरी बार्डर पर बैठे किसानों तक पहुंची तो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का स्वागत करते हुए खुशी जाहिर की। इतना ही नहीं, एक-दूसरे का लड्डू के साथ मुंह-मीठा कराने की कुछ तस्वीरें वायरल हो रही है। वाहेगुरु जी दा खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह के जयकारों से पंडाल गूंज उठा। अब यह उम्मीद नज़र आने लगी है कि किसान अपना आंदोलन समाप्त कर वापिस लौट सकते है, जबकि, इस बारे किसानों ने कोई ऐलान तो नहीं किया। इतना जरूर पता चला है कि शुक्रवार किसान संयुक्त मोर्चा की बैठक हो सकती है। इसमें आंदोलन समाप्त करने का बड़ा फैसला ले सकते है।

अगर ऐसा संभव हो जाता है तो वहां के स्थानीय लोग एवं राहगीरों को बड़ी राहत मिल सकती है। नेताओं की राजनीति शुरुप्रधानमंत्री के कृषि कानून को लेकर किए गए बड़े फैसले के उपरांत नेताओं को राजनीति करने का अवसर मिल गया। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट के माध्यम से कहा कि आखिर सरकार का अहंकार टूट ही गया। जबकि, सिद्धू ने कहा कि किसानों की शहादत के उपरांत सरकार को कानून वापिस लेने के लिए सोचना पड़ा। इसी प्रकार आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्वीट के माध्यम से किसानों की बड़ी जीत हासिल करने की बात कहीं। 

लगभग एक साल चला आंदोलन

तीन कृषि सुधार कानून लगभग एक साल तक केंद्र सरकार के खिलाफ चला। इस बीच दिल्ली के टिकरी-सिंघु बार्डर पर लंबे समय से किसान संगठन कानून वापिस लेने की मांग को लेकर आंदोलन दौरान डटे हुए थे। उनकी एक ही मांग थी कि सरकार तत्काल तीन कृषि कानून वापिस लें, अन्यथा उनका संघर्ष जारी रहेगा। 

इसलिए वापिस लेने पड़े कानून

सरकार को तीन कृषि कानून वापिस लेने के लिए, इसलिए मजबूर होना पड़ा , क्योंकि, केंद्र की बीजेपी सरकार को पिछले समय हुए चुनाव दौरान मुंह की खानी पड़ी। इतना ही नहीं, पश्चिम-बंगाल चुनाव दौरान बीजेपी द्वारा पूरी ताकत झोंकने उपरांत भी, वहां पर सत्ता पर काबिज करने में नाकाम रही। जबकि, हाल ही में उप-चुनाव में भी बीजेपी कई सीटों पर हार गई। इसी के मद्देनजर भाजपा की केंद्र सरकार को तीन कृषि कानून वापिस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।

ऊपर से वर्ष 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव है। वहां पर भाजपा के नेताओं के साथ किसानों द्वारा कई बार विरोध झेलने का समाचार हासिल होता रहा। इतना ही नहीं, किसानों संगठनों ने इस बात को भी साफतौर पर दोहरा दिया था कि पंजाब विधानसभा चुनाव में किसान भाजपा पार्टी का बहिष्कार करेगी। 

किसानों की शहादत ने सरकार को सोचने पर किया मजबूर

लंबे समय से आंदोलनरत किसानों में कई किसान साथियों ने कड़ाके की ठंड की वजह से दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि इस आंदोलन दौरान सैकड़ों किसानों की मौत हुई। पिछले दिनों हरियाणा में तीन महिलाओं की आंदोलन वाली जगह में सड़क हादसे दौरान मौत हो गई। तब इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था। 

सबसे बड़ा कारण….सरकार किसानों को समझाने में रही नाकाम

इन तीन कृषि सुधार कानून को पारित करने के उपरांत देश की केंद्रीय सरकार किसानों को समझाने में नाकाम रही। जब-जब किसानों संगठनों तथा सरकार के कृषि मंत्री के बीच वार्ता हुई। उस दौरान सरकार के कृषि विशेषज्ञ तक कृषि मंत्री तक, उन्हें इस कानून को समझाने में विफल रहें। जिस कारण लंबे दौर की वार्ता अंतिम समय जाकर बेनतीजा साबित हुई। 

प्रधानमंत्री , अगर आंदोलनरत किसानों के बीच जाकर,,,,,,,उन्हें समझा पाते, शायद मिल सकती थी कामयाबी

प्रधानमंत्री ने इन कानूनों को लेकर, हमेशा ही अपने संबोधन दौरान बेहतर कानून का हवाला लेकर किसानों को समझाने की कोशिश की। जबकि आंदोलनरत किसान हमेशा ही , इस बात पर अड़े रहे कि अगर प्रधानमंत्री खुद, उनके बीच पहुंचकर समझाने का प्रयास करते है तो बात किसी एंगल पर आकर समाप्त हो सकती है। जबकि प्रधानमंत्री का अड़ियल स्वभाव , उन्हें समझाने में नाकाम रहा। जिस कारण , यह आंदोलन एक साल तक पहुंच गया। 

किसान आंदोलन में कईयों ने लिया फायदा

किसान आंदोलन को हाईजैक करने के लिए देशविरोधी ताकतों ने खूब फायदा लिया। समय-समय पर देश के सुरक्षा एजेंसियों ने उनका पर्दाफाश भी किया। जबकि, इस आंदोलन में कईयों को अपना मतलब सीधा करने का अवसर मिल गया। हालांकि, अब जैसे कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानून वापिस लेने का निर्णय ले लिया। इसके बाद इन कानून पर सियासत करने का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता है। 

50% LikesVS
50% Dislikes