शीर्ष अदालत ने किसानों को जबरन हटाने के मामले में सख्त टिप्पणी की

वरिष्ठ पत्रकार.नई दिल्ली। 

सुप्रीम कोर्ट ने शंभू और खनोरी बॉर्डर से किसानों को जबरन हटाने के मामले में सख्त टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने कहा कि हम अनजान नहीं हैं। हमें पता है कि कुछ लोग किसानों की शिकायतों का निपटारा नहीं चाहते थे। अदालत ने पंजाब और हरियाणा सरकार सरकार से जमीनी हालात पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह टिप्पणी तब की, जब पंजाब के महाधिवक्ता (एजी) गुरमिंदर सिंह ने अदालत को बताया कि शंभू और खनौरी बॉर्डर को किसानों से खाली करा लिया गया है और राजमार्ग पर यातायात सुचारू हो गया है। गुरमिंदर सिंह ने यह भी बताया कि हरियाणा की तरफ भी राजमार्ग से सभी बैरिकेड हटा लिए गए हैं और यातायात खुल गया है। उन्होंने राजमार्ग बंद होने से यात्रियों को प्रतिदिन परेशानियों का सामना करना पड़ता था। उन्होंने कहा कि राजमार्गों के साफ हो जाने से अब लाखों लोगों को लाभ मिलेगा, क्योंकि पहले उन्हें चक्कर लगाना पड़ता था।


‘विरोध प्रदर्शनों के कारण लोगों को न हो परेशानी’


पीठ ने कहा कि सड़कों पर विरोध प्रदर्शनों के कारण लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए। राजमार्गों के नाकेबंदी के कारण जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश तक लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही और वस्तुओं और अन्य सेवाओं का परिवहन प्रभावित हुआ। पीठ ने किसानों की शिकायतों पर गौर करने के लिए हाईकोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति से एक पूरक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए भी कहा। सितंबर, 2024 में शीर्ष अदालत ने प्रदर्शनकारी किसानों की शिकायतों का सौहार्दपूर्ण समाधान करने के उद्देश्य से इस समिति का गठन किया था।


किसान नेता डल्लेवाल की तारीफ की


पंजाब सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि किसानों की विभिन्न मांगों के समर्थन में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने शुक्रवार सुबह पानी पीकर अपना अनशन तोड़ दिया। इस पर पीठ ने डल्लेवाल के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि वह बिना किसी राजनीतिक एजेंडे के एक सच्चे किसान नेता हैं। अदालत ने कहा कि डल्लेवाल ने किसानों के वास्तविक मुद्दों को उठाया।


पीठ ने डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के शीर्ष अदालत के आदेश का पालन नहीं करने के लिए पंजाब के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के खिलाफ शुरू की गई अवमानना कार्यवाही को भी रद्द कर दिया। शीर्ष अदालत ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर 19-20 मार्च की रात को प्रदर्शन कर रहे किसानों को जबरन हटाने पर राज्य सरकार के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, हम उनसे (पंजाब और हरियाणा) हाईवे खोलने के लिए कहते रहे हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग को स्थायी रूप से बंद नहीं किया जा सकता।


19 मार्च को गिरफ्तार किए गए सरवन सिंह पंधेर, अभिमन्यु कोहर और काका सिंह कोटरा समेत सभी किसान नेताओं को शुक्रवार को रिहा कर दिया गया। केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत कर चंडीगढ़ से लौटते समय पंजाब पुलिस ने इन सभी को गिरफ्तार कर लिया था। किसान मजदूर मोर्चा के नेता पंधेर को मुक्तसर जेल से रिहा किया गया।

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