….इसलिए अब पाकिस्तान भारत से मांग सकता मदद, यह है असल वजह

वरिष्ठ पत्रकार.अंतरराष्ट्रीय डेस्क। 

सिंध प्रांत के केती बंदर पोर्ट के पास 45 मछुआरों को ले जा रही एक नाव पलट गई थी। 31 मछुआरों को तो बचा लिया गया लेकिन 14 लोग अब भी लापता हैं। ऐसे में पाकिस्तान सरकार शव भारत से मदद मांग सकती है।


दुर्घटना पांच मार्च को केती बंदर पोर्ट के पास हिजामक्रो क्रीक में हुई थी। पाकिस्तानी नौसेना, समुद्री सुरक्षा एजेंसियों और ईधी फाउंडेशन के गोताखोरों का लापता लोगों की तलाशी के लिए अभियान शनिवार को भी जारी रहा लेकिन किसी भी मछुआरे को पता नहीं चला।


पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सासंद आगा रफीउल्लाह ने बताया कि उन्होंने शनिवार को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सिंध के मुख्यमंत्री सैयद मुराद अली शाह से बात की और उनसे भारतीय अधिकारियों से संपर्क करने और लापता मछुआरों का पता लगाने में उनकी मदद मांगने को कहा।


उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री शरीफ उन्हें आश्वासन दिया है कि सरकार इस मामले को भारतीय अधिकारियों के सामने उठाएगी, क्योंकि ऐसी आशंकाएं हैं कि समुद्र की लहरें लापता मछुआरों को भारत की क्षेत्रीय सीमा तक ले गई होंगी। कराची से सीट से निर्वाचित हुए रफीउल्ला ने कहा कि लापता मछुआरे इब्राहिम हैदरी में उनके निर्वाचन क्षेत्र के हैं और वह उनके रिश्तेदारों के संपर्क में हैं। पाकिस्तान मछुआरा संघ के अधिकारी कमाल शाह ने आशंका जताई कि ऊंची लहरें मछुआरों को शायद भारत के जलक्षेत्र में ले गई होंगी, क्योंकि चार दिन की तलाश के बाद भी वे नहीं मिले।

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