चर्चा–एक का दांव खेला भाजपा-कांग्रेस ने………..लुधियाना में गठबंधन मेयर बनना लगभग तय

यहां पर एक नया ही इतिहास रचने की सोच की तरफ से बढ़ रही है, देश की प्रमुख पार्टी भाजपा-कांग्रेस, चर्चा का विषय है कि दोनों ही लुधियाना में मिलकर मेयर बनवाने जा रही है। आम आदमी पार्टी के सपनों को जोर से चोट पहुंचाने का काम फाइनल मोड़ पर पहुंच चुका है। अगर ऐसा करने में कामयाब हो जाती है तो वर्ष 1992 वाला इतिहास फिर से दोनों पार्टियां दोहरा पाएंगी। तब सतप्रकाश जी जैसे नेता ने ऐसे रणनीति पर काम किया था। तब यह सोच को उन्होंने सच करके दिखाया था। फिलहाल, आम आदमी पार्टी (आप) के पास 41 सीट तो है लेकिन, वह मेयर नहीं बनवा सकती है, क्योंकि, बहुमत का आंकड़ा 50 का है। ऐसे में भाजपा-कांग्रेस का खेल चल गया है। उनके पास कांग्रेस (30) तथा भाजपा (19) तथा अकाली दल के पास 3 सीट है। ऐसे में चाहे तो दोनों का गठबंधन मेयर की कुर्सी पर राज कर सकता है। 

लुधियाना नगर निगम चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं हो सका है। वैसे आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है फिर भी निगम की सत्ता पर काबिज होने के लिए पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं है।

चर्चा का बाजार गर्म है कि दोनों ही पार्टी ढाई-ढाई साल तक अपना-अपना मेयर बना सकती है। ऐसे में कोई भी नाराज नहीं रह सकता है। ऊपर से आप के स्वप्न को मजा चखाने का इससे बढ़िया अवसर भी नहीं है। भीतरघात दोनों पार्टी ने यह रणनीति को तैयार कर लिया है। गुपचुप तरीके से बड़े-बड़े नेता मीडिया से दूर रह कर बैठकें भी कर रहे है। पता चल रहा है कि बैठक काफी सौंदर्यपूर्ण माहौल में हो रही है। नतीजा अच्छा निकलने की संभावना बढ़ चुकी है। मेयर किस पार्टी का बनने जा रहा है, इस पर मुहर भी लग चुकी है। उसमें एक नाम काफी चर्चा में चल रहा है, जिसे दोनों तरफ से पसंद किया जा रहा है।  क्योंकि, उन भाई साहब की हर पार्टी के बीच काफी लोकप्रियता है। उधर, डिप्टी मेयर के लिए एक दलित समाज के नेता को चुन लिया गया है। वह हमेशा ही दलित समाज के मुद्दों को उठाने में कारगर साबित रहे है।उन्हें समाज का हीरो माना जाता है। उस समाज के लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। उन्हें अभी से लगने लगा कि अब हमारे समाज को आगे बढ़ने का एक अवसर मिलने जा रहा है। इसी प्रकार वरिष्ठ महापौर एक हिंदू समाज का बनने जा रहा है, जिसे भाजपा की तरफ से नाम को आगे बढ़ाया गया। दोनों ही तरफ से नाम की सहमति बन चुकी है। उक्त नेता का पंजाब में हिंदू समाज में काफी नाम लोकप्रिय है, क्योंकि उक्त नेता ने समाज में काम ही ऐसे कर दिखाए, जिसे कोई भूला ही नहीं सकता है। 

उधर , अफवाह इस बात की भी चल रही है कि आम आदमी पार्टी मेयर की कुर्सी पर विराजमान होने के लिए हर प्रकार के हथकंडे इस्तेमाल कर रही है। सरकारी दांव तथा धक्केशाही करने का मास्टर प्लान तैयार कर रही है। इसके लिए अन्य पार्टी के जीत के आए प्रत्याशियों को पैसे तथा सत्ता में ऊंचा कद देने के लिए लालच का खेल शुरु हो चुका है। इस खेल का काम आप का एक बड़ा कर रहा है। चर्चा , इस बात की भी है, वह नेता प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा केजरीवाल का बेहद करीब है। उसे हर दांव पेच का माहिर माना जाता है, क्योंकि, उसके पास जोड़ तोड़ राजनीति का पूरा ज्ञान हासिल है। इतना ही नहीं, कांग्रेस, भाजपा शिअद के बड़े-बड़े नेता को आप में शामिल करवाने के लिए इस नेता की नीति ने ही आप के लिए काम किया। दिल्ली दरबार से लेकर पंजाब दरबार इस नेता की फैन है। अब इस चुनाव में मेयर बनाने के लिए पार्टी इसे आगे लेकर आई है। पार्टी ने बहुत बड़ा दांव इस नेता पर खेल दिया है। दांव कितना सटीक बैठता है। फिलहाल, टिप्पणी करना इतना आसान नहीं होगा। क्योंकि, इस सामने तरफ की खिलाड़ी भी काफी मंजे हुए है, उन्हें बड़े-बड़े दांव को कैसे आउट करना है, उस बारे सब कुछ पता है। इसलिए, उक्त नेता के लिए यह खेल इतना आसान नहीं होगा, जितना वह समझ रहे है। खैर, इस बात के बारे 2 दिन में पता चल ही जाएगा कि किसका दांव चल गया और किसे पछाड़ दिया।  

प्रधान संपादक-विनय कोछड़ (एसएनई न्यूज)। 

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