वरिष्ठ पत्रकार विजय शर्मा.नितिन धवन.गुरदासपुर।
सुर्खियों में रहने वाला सिविल अस्पताल गुरदासपुर का एक नया कारनामा सामने आया है। आज कल सिविल अस्पताल गुरदासपुर केंद्रीय जेल से आने वाले विचाराधीन कैदियों के लिए आरामगाह बना साबित हो रहा है। अस्पताल में इस गर्मी के दौर में जहां मरीज दिन काट रहे होते हैं, ऐसे में केंद्रीय जेल गुरदासपुर से आने वाले मरीजों को अस्पताल प्रशासन प्राइवेट रूम जिसमें एसी तथा अन्य सुविधाओं वाले कमरे उपलब्ध करवा रहा है।
गौरतलब है कि सिविल अस्पताल गुरदासपुर में गत दिवस केंद्रीय जेल गुरदासपुर से एक विचाराधीन कैदी को पेट और चेस्ट में दर्द होने के चलते सिविल अस्पताल में भेजा गया। डॉक्टर चेकअप के बाद उसे अस्पताल में दाखिल होने के लिए कह दिया गया। नियम अनुसार केंद्रीय जेल से आने वाले कैदी को अस्पताल में बने कैदियों के लिए बनाये वार्ड में रखा जाता है।
लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उस कैदी को जेल से आये कैदियों की वार्ड में रखने के लिए बनाए गए वार्ड में दाखिल करने की बजाय उसे अस्पताल के एक प्राइवेट रूम में जगह दी जा रही हैं। वहां पर एसी तथा अन्य सुविधाओं उपलब्ध हैं। एसएनई न्यूज़ के वरिष्ठ संवाददाता ने जब प्राइवेट रूम में दाखिल विचाराधीन कैदी से बात की तो उसने बताया कि दूसरे वार्ड भरे हुए हैं, इसलिए उन्हें प्राइवेट रूम में अस्पताल प्रशासन ने रखा है। जबकि ऐसा कोई नियम नहीं है कि किसी कैदी या विचाराधीन कैदी को प्राइवेट रुम उपलब्ध करवाया जा सके।
सिविल सर्जन बोले, मुझे नही कोई जानकारी
जेल से आने वाले मरीजों पर इतनी दरियादिली दिखाने वाले सिविल अस्पताल प्रशासन की इस नए कारनामे संबंधी जब सिविल सर्जन डा. विजय कुमार से बात की गई तो उन्होंने ने तो साफ साफ कह दिया कि उन्हें इस मामले संबंधी कोई जानकारी नहीं है, इसके लिए जिम्मेदारी एसएमओ की होती है, वह जल्द उनसे मामले की जानकारी हासिल करेंगे और अभी तक उनके पास कोई शिकायत भी नहीं आयी है।
एसएमओ चेतना ने झाड़ा पल्ला
सिविल अस्पताल के एसएमओ डा. चेतना से जब बात की तो उन्होंने कहा कि उनके अस्पताल में ऐसा कोई मरीज नहीं है आया जिसे प्राइवेट रूम में रखा गया हो। वह पूरे मामले संबंधी जानकारी देने की बजाय अपना पल्ला झाड़ते हुए नजर आयी। उनकी बातचीत से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जानबूझ कर मामले को दबाने का प्रयास किया गया।
जांच होगी मामले की…जिलाधीश मौं.इशफाक
इस मामले संबंधी जब डिप्टी कमिश्नर गुरदासपुर डा. मुहम्मद इश्फाक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामले की निष्पक्ष तौर पर जांच होगी। इसके लिए सिविल सर्जन गुरदासपुर को आदेश कर दिए गए है कि मामले की गंभीरता से जांच-पड़ताल हों। एक हफ्ते के भीतर जांच रिपोर्ट भेजी जाए। जिलाधीश ने भरोसा दिया कि अगर कोई भी इस मामले में आरोपी पाया गया तो उसके खिलाफ विभागीय तथा कानूनी तौर पर कड़ी कार्रवाई होगी। किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा।