नितिन धवन.देहरादून।
विभिन्न संयोगों के साथ महाशिवरात्रि का पर्व शनिवार को मनाया जाएगा। सभी मंदिर और शिवालय सज चुके हैं। इस पावन मौके पर आपको ऐसे दो शिव मंदिरों में बारे में बताने जा रहे है। जहां भक्तों की अटूट आस्था है और मान्यता है कि यहां आने से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं। देवभूमि उत्तराखंड अनेक मंदिरों, तीर्थस्थलों, ऋषि-मुनियों की तपोभूमि के रूप में अपनी विशेष पहचान रखता है। मान्यता है कि यहां के शिवालय दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं का कष्ट हरते हैं।
अंग्रेजों के शासन काल से है यह मंदिर
देहरादून जिले में चकराता छावनी बाजार में ब्रिटिश काल में बसे श्री चिंताहरण महादेव मंदिर में दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं की चिंता दूर हो जाती है। इसी मान्यता के चलते क्षेत्रवासियों में श्री चिंताहरण महादेव के प्रति अटूट आस्था व विश्वास है। महाशिवरात्रि को देखते हुए मंदिर में विशेष तैयारियां की गई है। मंदिर के चारों ओर मनमोहक बांझ, बुरांश, चीड़ और देवदार के पेड़ हैं। मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग है, जो आकार में अन्य शिवलिंग से काफी बड़ा है। मंदिर के पास जलकुंड भी स्थित है। इस कारण इसे बावड़ी मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर के बाबा सिद्धेश्वर गिरी महाराज बताते हैं कि मंदिर में विराजमान शिवलिंग स्वयंभू है, जब शिवलिंग प्रकट हुआ, तब यह आकार में इतना बड़ा नहीं था।
धीरे-धीरे अपना आकार बदल रहे महादेव
उन्होंने दावा किया कि अब महादेव धीरे-धीरे अपना आकार बदल रहे हैं। कहा कि मंदिर का नाम चिंता हरण महादेव इसलिए भी पड़ा, जो लोग काफी परेशानियों में थे, वे यहां आए, उनको मन की शांति मिले और हर चिंता का निवारण मिला। ऐसी मान्यता है कि मंदिर में सच्चे दिल से जो कोई प्रार्थना करता है, महादेव उसकी चिंता दूर करते हैं।
उन्होंने बताया कि चिंताहरण महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि की तैयारी जोरों से चल रही है। महाशिवरात्रि के दिन मंदिर में संध्या आरती के समय 11,100 दीपक से भव्य आरती की जाएगी और शिव भक्तों के लिए प्रसाद व भंडारे का भी आयोजन होगा।
यह है मान्यता
मान्यता यह भी है कि जो श्रद्धालु एक बार महादेव के दर्शन को आता है, वह फिर बार-बार आता रहता है, क्योंकि उसकी सारी चिंताएं महादेव के दर्शन मात्र से दूर हो जाती है।