कितनी लालत है इस समाज पर शव लेने पर लगा दी रोक 

एसएनई न्यूज़.दिल्ली।

समाज में इस कदर इंसानियत गिर चुकी है कि इस बात का अंदाजा यही से लगाया जा सकता है कि बिना गलती के प्रमाण से मरने वाले का शव लालती समाज ने लेने से ही इंकार कर दिया। या फिर यूं कह सकते है कि समाज के कुछ वर्ग ने खुद ही फैसला कर लिया, उस (मरने वाले) ने धर्म के खिलाफ जाकर , उनके गुरु-साहिब की बेअदबी की है, इसलिए उसका शव को गांव में आने से रोक लगा दी गई। इतना ही नहीं, अंतिम संस्कार के दौरान रीति-रिवाज को दरकिनार करते हुए प्रशासन ने भी बड़ी गलती का सबूत देते हुए, उसके शव पर मिट्टी का तेल डालकर जला दिया। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि मरने वाला एक अनुसूचित वर्ग का है, मगर इस बात को भी नहीं भूलना चाहिए कि मरने वाला एक इंसान भी था।   

 पिछले दिनों दिल्ली की सिंघु सीमा पर जिस तरह से निहंग सिंहों ने बेअदबी का आरोप लगाकर अनुसूचित वर्ग से संबंधित लखबीर सिंह को तालिबान ढंग से निर्मम हत्या कर दी थी। क्या, उनके जहन में इतना भी नहीं आया की कि मरने वाला तीन बेटियों का बाप भी था ? गलती का फैसला करने वाले आप लोग कौन होते है? क्या देश कानून का समाप्त हो चुका है या फिर आप लोगों ने कानून खुद बना लिया? अगर आप लोग इतना ही ताकतवर है तो पिछले दौर में पंजाब में कई जगह पर बेअदबी के मामले सामने आए। उनमें शामिल आरोपियों के खिलाफ आप लोगों ने क्या किया? क्या, उन लोगों के पीछे बड़ी ताकत थी या फिर उनके खिलाफ करने से पहले डर गए थे? 

शर्म, इस बात की है कि राजनीति करने वाली कांग्रेस , आप, दलितों की समर्थक बहुजन समाजवादी पार्टी (बीएसपी) इस मुद्दे को लेकर कहां गई। इस घटना के बारे एक बार ट्वीट नहीं करके , इस बात को साबित कर दिया है कि आप लोगों को तो सिर्फ अपना नाम चमकाना या फिर जिस बात पर आपको स्वार्थ है, उसपर आप कुछ करते है, अन्यथा एक खास गरीब या अनुसूचित जाति के साथ जुड़े मुद्दे को तो आप लोग दरकिनार करना ही ठीक समझते है। मगर , इन नेताओं को इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं है कि देश का आम मतदाता सब कुछ देख रहा है, उसने तो अपने एक -एक कीमती मत से इन्हें जवाब देना है। 

 जांच-पड़ताल में एक बात सामने आई है कि इस पूरी घटनाक्रम के तार पंजाब के साथ जुड़े हुए है। जिन्होंने, इस वारदात को अंजाम दिया, उन सबका नाता पंजाब के साथ है। काफी योजना बंद तरीके से काम किया। कहीं न कहीं, इस बात के भी संकेत मिल रहे है कि यह काम करने से पहले , इन हत्यारे निहंग सिंह को किसी बड़ी शक्तिशाली ताकत या फिर (देश विरोधी )  लोगों ने पूरा समर्थन दिया।

इस पूरे घटनाक्रम में अब पंजाब में नए-नए भ्रम तथा शर्मनाक कदम उठाने की घटनाएं भी सामने आ रही है। मरने वाले के शव को जिला तरनतारन में पहुंचने से पहले सिख संगठनों तथा राजनीति पार्टी से जुड़े नेताओं ने सोशल मीडिया पर अपना वीडियो डालकर साफतौर पर कह दिया कि उसने हमारे गुरुओं का निरादर किया, इसलिए इसका शव यहां पर नहीं घुसने दिया जाएगा। इतना ही नहीं पुलिस-सिविल प्रशासन ने भी इन ताकतों के समक्ष झुक कर अपना पीछा छुड़ाने का किरदार निभाया। 

शव के दर्शन परिवार वालों से नहीं करने दिए गए। मिट्टी का तेल डालकर सिर्फ जलाने का प्रयास हुआ। बिना धर्म के रीति रिवाज से इस शव अंतिम संस्कार कर दिया गया। सवाल, उन किसान नेताओं से भी जुड़ा हुआ जो बड़ी-बड़ी बातें करते है कि उनका आंदोलन तो शांतिपूर्ण चल रहा है? देश की सबसे बड़ी शर्मसार घटना पर क्यों नहीं इन किसानों ने कोई बयान नहीं दिया? क्या, उनके मुताबिक यहां कोई घटना ही नहीं हुई, या फिर एक बार से साजिश का हिस्सा बताकर अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास कर रहे है?  

परिवार, समाज के प्रति निष्ठावान तरीके से फर्ज निभाने वाला खास वर्ग की अब सिर्फ तो सिर्फ सबकी निगाहें , अनुसूचित जाति आयोग पर है, क्योंकि इस मुद्दे को सबसे पहले आयोग ने प्रमुखता से उठाते हुए डीजीपी को पूरी रिपोर्ट के साथ तलब किया। जब तक पीड़ित परिवार की मांग मुताबिक उन्हें इंसाफ नहीं मिल जाता, तब तक हर किसी की इस आयोग पर नजर रहेगी। 

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