AMRITSAR BREAKING…खाकी के नाम पर ये दबा…SSP सहित 9 पुलिस कर्मचारी होंगे जेल की सलाखों के पीछे, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Punjab Police Khaki-SNE

वरिष्ठ पत्रकार.अमृतसर / चंडीगढ़। 

पुलिस द्वारा गैंगस्टर की बजाय अकाली नेता मुखजीत सिंह मुक्खा को फर्जी मुठभेड़ में मार गिराने के मामले में एक एसएसपी सहित 9 पुलिस कर्मियों की मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रही है। क्योंकि, इस मामले में देश की सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी अपील को सिरे खारिज कर दिया। ऐसे में अब उनका जेल जाना लगभग तय है। बता दें कि वर्ष 2015 में अमृतसर की बटाला रोड पर स्थित कस्बा वेरका में  अकाली नेता मुखजीत सिंह मुखा का पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर कर दिया था। तब प्रदेश में अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार थी। 

एसएसपी परमपाल की क्लीन चिट रद्द


15 जून 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने नौ पुलिस कर्मियों द्वारा बचाव के लिए दाखिल की गई अपील को खारिज कर दिया है। एसएसपी परमपाल सिंह की क्लीन चिट भी रद्द कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सादे कपड़ों में नागरिक वाहन को घेरना और उसमें सवार लोगों पर गोली चलाने वाले पुलिसकर्मियों के आचरण का सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने या वैध गिरफ्तारी करने के कर्तव्यों से कोई वाजिब संबंध नहीं है। इसके साथ कोर्ट ने कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में पंजाब के नौ पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या के आरोपों को रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।


दरअसल, यह था पूरा मामला


दरअसल, वर्ष 2015 के दौर कुख्यात गैंगस्टर जगदीप सिंह जग्गू उर्फ जग्गू भगवानपुरिया की प्रदेश में पूरी दहशत थी। उसकी दहशत को खत्म करने के इरादे से पुलिस कमिश्नर जितेंद्र सिंह औलख ने एक विशेष टीम बनाई। डिप्टी कमिश्नर आफ पुलिस परमपाल सिंह, डीएसपी अमनदीप सिंह बराड़ की अध्यक्षता में नारकोटिक्स सेल अमृतसर सिटी की टीम को भगवानपुरिया को पकड़ने के लिए तैयार किया गया। 


पुलिस को पता चला कि जग्गू भगवानपुरिया गैंग के साथ बटाला रोड के आसपास घूम रहा है। उसकी गाड़ी में गैंगस्टर सोनू कगला, गैंगस्टर बॉबी मल्होत्रा, गैंगस्टर करण उर्फ मस्ती भी है। 16 जून 2015 को वेरका में गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया के लिए ट्रैप लगाया गया। इसी दौरान वहां अकाली नेता मुखजीत सिंह मुक्खा अपनी कार में आए। पुलिस ने उनको जग्गू भगवानपुरिया समझा और फायरिंग कर दी। इस फायरिंग के दौरान अकाली नेता की मौत हो गई।


हर मोर्चें पर पुलिस रही पूरी तरह फेल


पुलिस को जब गलती का अहसास हुआ तो हड़कंप मच गया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर सबूत मिटाना शुरू कर दिया। अकाली नेता के परिजनों ने पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और पुलिस का जमकर विरोध किया। इस मामले में पुलिस का कहना था कि पहले मुक्खा ने उन पर गोली चलाई। एक कांस्टेबल घायल हुआ। फिर पुलिस ने गोली चलाई। 

एसआईटी गठित हुई

मुक्खा के परिजनों की मांग पर पंजाब सरकार और डीजीपी द्वारा स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम गठित की। इस टीम के इंचार्ज आईजी पुलिस जी नागेश्वर को बनाया गया। उनके साथ डीआईजी बार्डर रेंज एके मित्तल और आईजी जोनल क्राइम तेजेंद्र सिंह शामिल थे। टीम ने एक सप्ताह अमृतसर में जांच की। सिट की रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि पुलिस ने मुक्खा को देखते ही गोलियों की बौछार कर दी और उसको गोली चलाने का मौका तक नहीं मिला। इतना ही नहीं, पुलिस ने गोली चलाने से पहले किसी बड़े अधिकारी का आदेश नहीं लिया।


रिपोर्ट के उपरांत दर्ज हुआ मामला


इस मामले में हाईकोर्ट ने एसआईटी की रिपोर्ट पर 8 पुलिस कर्मचारियों पर मामला दर्ज करने और उन्हें गिरफ्तार करने के आदेश दिए। इस मामले में एसआई रमेश कुमार, एएसआई जोगिंदर सिंह, हेड कांस्टेबल रणबीर सिंह, राजेश कुमार, संदीप कुमार, जसबीर सिंह, कांस्टेबल नवजोत सिंह और सतविंदरजीत सिंह पर अमृतसर सिटी के थाना वेराक में मामला दर्ज किया गया था। पुलिसकर्मियों ने बचाव के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें हत्या का केस न चलाने की अपील की गई थी, लेकिन वर्ष 2019 में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से पुलिसकर्मियों को कोई राहत नहीं मिली थी।


चोरी की गाड़ियों का पुलिस ने किया था प्रयोग


आईजी नागेश्वर राव की अध्यक्षता में बनाई गई टीम ने जांच में पाया था के पुलिस टीम द्वारा एनकाउंटर के दौरान जिन गाड़ियों का प्रयोग किया गया है वह चोरी की थीं। आईजी जी नागेश्वर राव ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की थी। इसमें कहां गया था कि पुलिस टीम ने वरना गाड़ी और और एक अन्य वाहन का प्रयोग किया गया। यह दोनों ही वाहन चोरी के केस में मालखाना में बंद थे। इस संबंध में उसे समय के सब इंस्पेक्टर रमेश कुमार और साइबर क्राईम सेल के इंचार्ज हेड कांस्टेबल कमलजीत सिंह पर कार्रवाई के लिए भी लिखा गया था।


किसी दूसरे पुलिस मुलाजिम के नाम पर थी प्रयोग की गई एके 47 राइफल


इस एनकाउंटर के दौरान प्रयोग किए गए हथियारों की जांच में पाया गया था कि एक के 47 राइफल के साथ मुक्खा पर फायरिंग की गई थी। यह राइफल कांस्टेबल लव कुमार के नाम पर जारी की गई थी। लेकिन एनकाउंटर के दौरान इस राइफल का प्रयोग हेड कांस्टेबल राजेश कुमार द्वारा किया गया था।

100% LikesVS
0% Dislikes