पांच ट्रेनें रद्द, लंबी दूरी की ट्रेनें चली देरी से, बटाला-लुधियाना में रोकी ट्रेनें
शांतिपूर्ण किसानों का धरना जारी, रेल विभाग की चेतावनी, रेल पर डटे किसानों के खिलाफ होगी कानूनी कार्रवाई
एसएनई न्यूज़.चंडीगढ़।
किसानों संगठनों की काल पर सोमवार किसानों ने पंजाब के सभी रेलवे स्टेशनों पर रेल ट्रैक जाम कर , वहां पर केंद्र सरकार के खिलाफ डटे रहें। केंद्रीय सरकार के खिलाफ खूब नारेबाजी हुई। केंद्रीय राज्य मंत्री की बर्खास्तगी पर प्रदर्शनकारी किसान डटे रहें। पांच ट्रेनें रद्द, दो लंबी दूरी की ट्रेन देरी से चलने का समाचार प्राप्त हुआ, जबकि बटाला-लुधियाना में किसानों ने चलती ट्रेन को रोक देने की खबर सामने आ रही है। फिलहाल, किसानों का धरना काफी शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है। उधर, रेल विभाग ने चेतावनी देते कहा कि रेल ट्रैक पर बैठे किसानों के खिलाफ रेल अधिनियम के प्रावधान के तहत कार्रवाई की जाएगी।
एसएनई न्यूज़ के पूरे पंजाब के पत्रकारों ने अपने-अपने जिले में रेल रोको आंदोलन की तस्वीरें अपने-अपने कैमरा में कैद की। जिला अमृतसर में किसान संगठनों ने सुबह ही रेलवे स्टेशन की पटरियों पर धरना लगा दिया। एक सुर में केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए तीन कृषि कानून तत्काल वापिस लेने की मांग की गई।
बटाला में किसानों ने ट्रेन को रोक कर उस पर चढ़कर किसानी झंडा उठाकर विरोध प्रदर्शन किया, जबकि किसी प्रकार से विवाद की कोई खबर सामने नहीं आई। रेल पटरियों पर बैठकर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध जताया तथा कृषि के तीन काले कानून वापिस लेने की मांग की गई। चेतावनी दी कि अगर जल्द सरकार ने कोई उचित कदम नहीं उठाया तो उनका विरोध भविष्य में भी इस प्रकार चलता रहेगा।
पठानकोट में सुबह नौ बजे संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसान रेल पटरियों पर डट गए। वहां पर उन्होंने विरोध प्रदर्शन शांतिमय तरीके से किया। किसी को परेशानी नहीं होने दी गई। सिर्फ अपनी जायज मांगों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी तथा तीन कानून वापिस लेने की मांग पर जोर दिया।
लुधियाना से खबर आई है कि यहां के किसानों ने वहां से ट्रेन को आगे नहीं जाने दिया तथा ट्रेनों की आवाजाही को काफी प्रभावित किया। नारेबाजी की और तीन कृषि कानून वापिस नहीं लेने तक अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखने की केंद्र सरकार को चेतावनी दी। बताया जा रहा है कि किसानों के आंदोलन का समर्थन कुछ राजनीतिक पार्टियों एवं आम लोगों ने भी दिया।
कपूरथला में भी किसानों ने एक पंक्ति में रेल पटरियों पर बैठक केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ खूब नारेबाजी की। उन्होंने मांग की कि केंद्र कृषि के तीन काले कानून तत्काल रद्द करें, अन्यथा उनका संघर्ष और तीखा हो जाएगा। उन्होंने रेल की कानूनी कार्रवाई की बात पर अपना जवाब देते कहा कि किसान इस तरह की चेतावनियों से कदापि नहीं डरने वाला है।
देश के गिने-चुने रेल जंक्शन में एक पंजाब के बठिंडा में भी किसानों का गुस्सा केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ सातवें आसमान पर देखा गया। यहां के किसानों ने तो सुबह नौ बजे से पहले रेल पटरियों में जमा होना शुरू कर दिया। पूर्ण रूप से रेल आवाजाही ठप रही। यात्री परेशान हुए, उन्हें यात्रा के लिए बसों में सफर करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
लंगर-जल का विशेष प्रबंध
खास बात यह रही की कि किसानों ने विरोध के साथ-साथ इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए जल-चाय-लंगर का विशेष प्रबंध किया। आमजन तथा किसानों ने एक साथ पंक्ति में बैठकर लंगर छका तथा वाहेगुरु को याद भी किया। किसान नेताओं का कहना था कि विरोध तो उनका जायज मांगों को लेकर जारी है, जबकि इसके साथ-साथ इंसानियत की मिसाल पेश करना उनका दायित्व भी बनता है। सिक्ख धर्म में खासतौर पर लंगर व्यवस्था को अहम स्थान दिया गया।
इनपुट- एसएनई पंजाब ब्यूरो सहित स्पेशल टीम।