नशे की 12 लाख गोलियां जब्त करने के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं-सीबीआई ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की

एसएनई न्यूज़.चंडीगढ़।

नशे की 12 लाख गोलियां जब्त करने के बावजूद एफआईआर दर्ज न करने के मामले में सीबीआई ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की। साथ ही जांच पूरी करने के लिए मोहलत मांगी। हाईकोर्ट ने इस पर सीबीआई को 15 दिसंबर तक की मोहलत दे दी। पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने पंजाब के अधिकारियों पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि अधिकारी जानबूझ कर ड्रग कारोबारियों की रक्षा करने में जुटे हुए हैं, जिसका कारण वह बेहतर जानते होंगे।


पिछली सुनवाई पर जांच सीबीआई को सौंपते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा था कि दिसंबर 2019 को फूड एंड ड्रग एडमिनस्ट्रेशन विभाग ने ट्रामाडोल की 12 लाख गोलियां जब्त की थी और ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था। उस समय यह दवा प्रतिबंधित थी और एनडीपीएस का मामला दर्ज होना चाहिए था।


एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान इस बात का जिक्र सामने आने के बाद हाईकोर्ट ने जब्त की गई 12 लाख ट्रामाडोल के बारे में ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन और जॉइंट कमिश्नर (ड्रग्स) से हलफनामा मांगा था। दोनों के हलफनामों में यह बताया ही नहीं गया कि यह 12 लाख ट्रामाडोल कहां गई और उनका बैच नंबर भी नहीं बताया गया। हाईकोर्ट ने कहा था कि यह न सिर्फ एक बहुत बड़ी लापरवाही है बल्कि इस मामले में पंजाब पुलिस और ड्रग कंट्रोलर ने कुछ किया ही नहीं। यह कोई सामान्य मामला नहीं है, इससे यह साफ हो जाता है कि पंजाब में एनडीपीएस केसों की जांच सामान्य तरीके से नहीं की जा रही है।


80 फीसदी मामले पंजाब के : हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा था कि पंजाब में और खास तौर पर अमृतसर में लोगों को फर्जी तरीके से इन मामलों में फंसाने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। आम तौर पर ड्रग को सप्लाई करने वाले पकड़े जाते हैं लेकिन यह ड्रग कहां से आ रही है और इसके सरगना कौन हैं उसका कुछ नहीं पता चलता और आरोपी बरी हो जाते हैं। हाईकोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट में पहुंचने वाले इस तरह के मामले में औसतन 10 में से 8 मामले पंजाब के होते हैं। लिहाजा हाईकोर्ट ने 12 लाख ट्रामाडोल टैबलेट्स जब्त करने के मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।

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