पंजाब रोडवेज अस्थायी कर्मचारियों को कैप्टन का बुलावा……राजनीति चाल या फिर धोखा….बड़ा सस्पेंस….?

अमृतसर में पंजाब रोडवेज कर्मचारियों का सरकार के खिलाफ प्रदर्शन। (फाइल फोटो)

सिंधवा फार्म हाउस क्यों चुना गया बातचीत के लिए, इसके पीछे क्या है अहम बात…..जानिए, इस खबर में……….  ?

एसएनई न्यूज़.चंडीगढ़।

लगभग बीस वर्ष से यात्रियों की लंबी दूरी को चंद मिनट में कवर कर उनके गंतव्य तक पहुंचाने वाले पंजाब रोडवेज अस्थायी कर्मचारी वर्तमान में भी अपनी जायज मांगों को लेकर सड़कों पर डटे है।  सिर्फ तो सिर्फ इनकी जायज मांगों में पक्का करने, वेतन बढ़ोत्तरी, निकाले गए कर्मचारियों की बहाली जैसी चंद मांगे है, जिन्हें सरकार पूरा करने में इन्हें अपने अधिकार हासिल करने के लिए सरकार के विरुद्ध रोष प्रदर्शन करने के लिए मजबूर करना पड़ा रहा। अब इनका दो दिन से पंजाब में लगातार चक्का जाम होने से सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी इन्हें बातचीत के लिए न्योता भेजा है। इसमें भी एक बड़ी राजनीतिक चाल होने की दुर्गंध सामने आ रही है या फिर कह सकते है कि एक बड़ा सस्पेंस है, जिसका राज खुद कैप्टन के पास है। चर्चा इस बात की भी चल रही है कैप्टन ने बातचीत के लिए सिंधवा फार्म हाउस क्यों चुना, इसके पीछे क्या अहम कारण, उसे लेकर एक तरफ बड़ी बहस भी छिड़ गई। 


  एक नई किरण के साथ अतीत में पंजाब रोडवेज अस्थायी कर्मचारियों ने चालक तथा सह-चालक के रूप में नौकरी ज्वाइन की थी। उस समय इन्हें सरकार ने कच्चे तौर पर भर्ती किया था कि अगले पांच साल के बाद आपको पक्का कर दिया जाएगा। मगर यहीं पांच सालों ने अब बीस साल का रूप धारण कर लिया। किंतु, इनकी पक्की नौकरी तो नहीं हुई, जबकि जिल्लत भरी जिंदगी व्यतीत करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।  तनख्वाह के नाम पर इनके साथ भद्दा मजाक किया जा रहा है। उस पगार से तो इनका घर का गुज़ारा भी बड़ी मुश्किल से हो रहा है। कई ऐसे अस्थायी कर्मचारी थे, जिन्होंने बीच में अपनी संघर्ष की पारी को विराम लगाते हुए हमेशा के लिए अलविदा बोल दिया। जिन्होंने संघर्ष का रास्ता अख्तियार किया है, उन्हें सिर्फ उम्मीद है कि कभी न कभी वे लोग अपना अधिकार सरकार से लेकर ही छोड़ेगे। 


दूसरे दिन भी पूरे पंजाब में पंजाब रोडवेज कच्चे कर्मचारियों ने अपना कामकाज ठप्प कर सरकार के खिलाफ विरुद्ध रोष प्रदर्शन किया। सरकारी बसों के पहिए सड़कों पर थमे रहे। सिर्फ तो सिर्फ निजी बसें ही सड़को पर दिखाई दी। लोग काफी परेशान भी रहे। मगर लोगों इन प्रदर्शनकारियों के दर्द का भी अहसास रहा तथा उन्होंने किसी प्रकार परेशानी जैसी शब्द का बिल्कु
ल ही नहीं इस्तेमाल किया। 


सीएम कैप्टन को साढ़े चार साल तक इन कच्चे कर्मचारियों का दर्द महसूस नहीं हुआ। अब जाकर उन्होंने इन कर्मचारी संगठनों को बातचीत के लिए न्योता भेज दिया। न्योता भी अपने सिंधवा फार्म में भेजा है। इसके पीछे कई अहम राज है, जिनके बारे अभी सस्पेंस ही बना हुआ है।शायद, सीएम सोच रहे है कि चुनाव में जीत हासिल करने के लिए इन रुठे कर्मचारियों को मनाने का इससे ओर कुछ अच्छा तरीका नहीं है, जबकि कर्मचारियों ने भी ऐलान कर दिया है कि अगर सरकार उनकी हर एक मांग को मान लेती है, तब ही जाकर उनका हड़ताल वापिस लेने का समझौता होगा, अन्यथा उनका संघर्ष ऐसे ही निरंतर जारी रहेगा।   

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