कयास-चारों राजनीतिक दलों के एकजुट होने की संभावना-संकेत-कांग्रेस, आप को पीछे धकेलने का करेंगे प्रयास
एसएनई न्यूज़.बठिंडा/चंडीगढ़।
वर्ष 2022 में पंजाब प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर चुनावी तड़का शुरु हो चुका है। सभी राजनीतिक दलों ने जोड तोड की राजनीति शुरू कर दी है। पंजाब की सियासत में विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी हासिल हुई है कि अकाली दल बादल, भाजपा, कैप्टन एवं बसपा का साझा गठबंधन होने की संभावना नजर आ रही। उक्त चारों राजनीतिक दल एकजुट होकर कांग्रेस के हाथ और आप के झाड़ू को आगे बढ़ने से रोकने का प्रयास करेगें।
दिल्ली के विश्वसनीय सूत्रों ने बताया कि इस माह के आखिरी तक पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को उनकी पार्टी को मंजूरी मिल जाएगी और वो अपनी नई पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का भाजपा के साथ गठबंधन करेगें। जिस के बाद कैप्टन की चुनावी रणनीति के अनुसार भाजपा से नाता तोड़ चुके अकाली दल को फिर से भाजपा के साथ जोडा जाएगा। जबकि बसपा पहले से ही अकाली दल के साथ है।
प्रधानमंत्री मोदी ने गुरपूर्व मौके कृषि कानूनों को वापिस लेने का एलान भी चुनावी रणनीति के तहत प्रदेश के भाजपा नेताओं और शिअद एवं कैप्टन के अनुसार ही किया है। इस गुरु पर्व मौके बडे एलान के बाद खासकर भाजपा नेताओं को बडी राहत मिली, क्योंकि किसान अब उनका विरोध कम करते हुए दिखाई दे रहे।
मालवा एरिया के दस जिलों की बात की जाए तो वहां के किसानों में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पकड मजबूत थी। लेकिन अब कैप्टन के पिछले साढ़े चार वर्षों के कार्यकाल ने उक्त पकड़ को पूरी तरह से ढीला कर दिया। लोगों में आमतौर पर चर्चा चलती है कि अच्छा हुआ कांग्रेस ने कैप्टन को कुर्सी से उतार दिया, जो बादलों के साथ मिलकर पंजाब को लूट रहा था।
सूत्रों ने बताया कि दिल्ली में धरना दे रहे पंजाब के किसानों का एक राजनीतिक दल बनकर जल्दी ही चुनाव मैदान में आ सकता है। जो किसान वोट बैंक पर सभी पार्टियों के लिए चुनौती पैदा करने का काम करेगा। हालांकि हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने भी पंजाब विधानसभा चुनाव में प्रदेश की 117 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। लेकिन अभी तक चढूनी की ओर से प्रदेश में चुनावी हलचल तेज नहीं की गई।
बेरोजगारी, बेअदबी एवं नशे का बड़ा मुद्दा होगा बडी चुनौती
2017 में कांग्रेस एवं आम आदमी पार्टी की ओर से अपने प्रमुख विरोधी अकाली दल बादल को बेअदबी एवं नशे के बड़े मुद्दों पर घेरा था। परिणाम स्वरूप कांग्रेस इन दो बड़े मामलों पर राजनीति कर सरकार बनाने में कामयाब हो गई थी। हालांकि आम आदमी पार्टी भी विधानसभा में विपक्षी दल बनने में कामयाब हो गई थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में शिअद, भाजपा, आप, कांग्रेस के लिए बेअदबी और नशे समेत बेरोजगारी जैसे मुद्दे सबसे बडी चुनौती होगें। 2017 में कांग्रेस ने चुनाव के समय प्रदेश के लोगों को घर-घर नौकरी देने का वादा किया था। लेकिन इस वादे को कैप्टन पूरा नहीं कर पाए थे।