राजेश शर्मा..चंडीगढ़।
1997 के बाद पहली बार है कि अकाली दल, भाजपा से अलग होकर निकाय चुनाव लड़ रहा है। यही वजह है कि शहरी एरिया में होने जा रहे चुनाव में अकाली दल को कई इलाकों में प्रत्याशी नहीं मिले हैं। शिअद ने पांचों नगर निगम में ऑब्जर्वर भी नियुक्त किए लेकिन फिर भी कई इलाकों में उम्मीदवार पूरे नहीं हो पाए।
हरीश राय ढांडा को जालंधर, बिक्रम सिंह मजीठिया और गुलजार सिंह रणीके को अमृतसर, बलदेव सिंह खैहरा को फगवाड़ा, मंतार सिंह बराड़ और एसआर कलेर को लुधियाना, एनके शर्मा और गुरप्रीत सिंह राजू खन्ना को पटियाला नगर निगम चुनावों के लिए ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया था।
पटियाला में अकाली दल 55 उम्मीदवारों को ही उतार पाया। पांच वार्डों में अकाली दल उम्मीदवार खड़े नहीं कर सका। इन वार्डों में वार्ड नंबर 15, 17, 33, 45 और 60 शामिल हैं।
लुधियाना में अकाली दल मेयर बनाता रहा है लिहाजा वहां पर अकाली दल के उम्मीदवार पूरे मिल गए हैं। लुधियाना में अकाली दल ने 95 में से 94 सीटों पर उम्मीदवारों को टिकट दिया है। अमृतसर में अकाली दल 85 में से 67 सीट पर उम्मीदवार उतार पाया है। हालांकि वहां पर कमान बिक्रम मजीठिया के हाथ में है।
जालंधर में सबसे अधिक बुरा हाल हुआ है। यहां पर अकाली दल 85 में से सिर्फ 29 सीट पर मैदान में है। अकाली दल के वरिष्ठ नेता सुखविंदर सिंह राजपाल का कहना है शहरों में अकाली दल अभी तक भाजपा के साथ मिलकर मैदान में उतरता रहा है। अधिकतम सीट भाजपा के पास होती है, इसलिए अकाली दल के पास कम उम्मीदवार हैं।