सौदेबाजी—80 लाख तक गई बोली आप की टिकट पाने वालों की

यू तो आम आदमी पार्टी (आप) हमेशा ही एक पाक साफ, ईमानदारी, अच्छी छवि का दावा करती है, लेकिन, इन दावों की हवा तब निकल जाती है, जब पार्टी के कुछ संगठन से जुड़े नेता तथा वर्कर अपनी पार्टी की पोल को खोल देते है कि इस बार पार्टी ने ईमानदार वर्करों को नजरअंदाज कर सिर्फ तो सिर्फ पैसे का दम रखने वालों को ही निगम चुनाव में टिकट दिया। उनका मानना था कि इस बार पार्टी की टिकट पाने के लिए 80 लाख तक बोली गई। बोली को बढ़ा चढ़ा कर देने वाले कुछ कांग्रेस पार्टी छोड़ कर आने वाले नेताओं का नाम सामने आया। सूत्रों से पता चला है कि वह टिकट पाने के लिए मंत्री, विधायक, मेयर के घर में चले गए। उन्हें इतनी मोटी रकम देकर पुराने वर्करों की टिकट को कटवा दिया। सूत्रों ने इस बात का भी दावा किया कि इस बार पार्टी ने आपराधिक गतिविधियों में लिप्त कई गैंगस्टरों को भी टिकट बांट दिया गया। पार्टी यह मान कर चल रही है कि उनका जीतना लगभग तय है। लेकिन, पुराने वर्कर पार्टी से नाराज चल रही है। उनकी नाराज़गी कही न कही चुनाव में पार्टी के लिए मुश्किलें भी खड़ी कर सकती है। 

चर्चा इस बात की चल रही है कि नाराज चल रहे वर्करों ने एक धड़ा भी बना लिया है जो कि अपनी पार्टी प्रत्याशियों को कैसे हराना है, उस पर जुट चुका है। इसके लिए उन्होंने एक रणनीति भी तैयार कर ली है। अब उस पर जोर देना आरंभ कर दिया। पार्टी सूत्रों से पता चला है कि वह इस बार विपक्ष के प्रत्याशियों की भीतरघात मदद करने जा रहे है। उनका जोर इस बार पर रहेगा कि कैसे अपने प्रत्याशियों को हरा कर विपक्ष को मजबूत किया जा सके तथा पार्टी को कमजोर। फिलहाल सत्तारूढ़ पार्टी उनकी रणनीति से बिल्कुल वाकिफ नहीं है, इसलिए वह इस बात को काफी हलके में लेते दिखाई दे रही है। लेकिन, परिणाम में काफी उल्ट फेर देखने को मिल सकता है। वैसे भी निगम चुनाव में पार्टी का झंडा इतना दम नहीं रखता है, इसमें सिर्फ तो सिर्फ नेता की आम जनता के बीच छवि खास अहमियत रखती है। 

चर्चा इस बात की भी चल रही है कि पार्टी का एक माझा से युवा नेता पर टिकट आवंटन दौरान पैसों की खूब वर्षा हुई। क्योंकि, उसे ही टिकट आवंटन का प्रभारी नियुक्त किया गया। पता चला है कि उसने ही टिकट की बोली लगाने पर सभी को मजबूर किया। नोटों का बैग उसके पास पहुंचता रहा। उसने ही पार्टी में 60 फीसद टिकट अपराधी छवि से ताल्लुक रखने वालों को बांट दी। यह वहीं नेता है, जिस पर अपने क्षेत्र में नशा बेचने का संगीन आरोप विपक्ष द्वारा लगाया गया। मालूम हुआ है कि वह सीएम मान का छोटा भाई भी कहलाया जाता है, इसलिए उस पर कोई उंगली उठाने के लिए 100 बार विचार करेंगा। हवा इस बात की भी उड़ रही है कि उक्त नेता अपने प्रत्याशियों को हराने की भी चाल चल रहा है। इसके लिए तो उसकी कांग्रेस के कुछ नेताओं से बातचीत चल रही है तथा भीतरघात मदद करने का भी प्रस्ताव रख दिया। ऐसे में विपक्षी पार्टी के प्रत्याशियों के लिए सोने पर सुहागा जैसे बात हो गई है। 

अफवाह, इस बात की भी रही कि संगठन की पार्टी में कुछ खास नहीं चली। सिर्फ तो सिर्फ पैसे वालों का ही जोर चला। पुराने वर्करों की नजरअंदाज करना पार्टी के लिए काफी हद तक नुकसान पहुंचा सकता है। संगठन से जुड़े नाराज वर्कर तथा नेताओं ने इसके लिए पार्टी विधायक , मंत्री तथा चुनाव समिति प्रभारियों को कसूरवार माना है। उनके मुताबिक, हाईकमान की तरफ से भी गलत हुआ है, उन्होंने एक बार भी इनके फैसले को ध्यान से नहीं देखा। अगर देखा होता तो शायद आज के हालात इस प्रकार के नहीं होते।        

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