किसान परिवार में जन्में मूसे वाला 29 में ही युवाओं के दिल की धड़कन बन गए..ओह चौबर दे चेहरे उत्ते नूर दसदां नी, एहदा उठेगा जवानी विच जनाजा मिठिये…यह गीत सिद्वू के जीवन का रहा आखिरी

वरिष्ठ पत्रकार विजय शर्मा.चंडीगढ़।

सिद्धू मूसेवाला का जन्म 11 जून 1993 को मानसा के मूसा गांव में भोला सिंह व चरण कौर के घर हुआ। असली नाम  सिद्धू मूसेवाला का   शुभदीप सिंह सिद्धू था।  महज 29 वर्ष की आयु में अपनी गायकी से युवाओं के दिलों की धड़कन बन गए थे। सिद्धू मूसेवाला को बचपन से ही गायकी का शौक था। मूसेवाला स्कूल, कॉलेज के दिनों में भी गीत गाकर तालियां बटोर लिया करते थे। अपनी गायकी के दम पर सिद्धू मूसेवाला ने अपने गांव का नाम दुनियाभर में चमका दिया था।


बता दें कि सिद्धू मूसेवाला ने गीत लिखने से अपने करियर की शुरुआत की थी। मगर उनका ये सफर आगे बढ़ते बढ़ते गायकी से उन्हें राजनीति तक ले आया था। हालांकि बचपन से ही गायकी के प्रति आकर्षित सिद्धू मूसे वाला बनना तो गायक ही चाहते थे, मगर शुरुआत में कोई रास्ता नजर न आने पर गीत लिखने लगे थे और पहला गीत ‘लाइसेंस’ लिखा था।गीत के प्रसिद्ध गायक निंजा ने अपनी आवाज दी। ये गीत इतना मशहूर हुआ कि इसे बतौर राइटर सिद्धू मूसेवाला को भी अच्छी पहचान मिली। इसके बाद तो उनका बड़े-बड़े संगीत निदेशकों व गायकों के बीच उठना-बैठना हो गया था।

कनाडा भी गए मूसे वाला
मूसे वाला कनाडा भी गए। जहां वह एक  संगीत निर्देशक के संपर्क में आए और उनके साथ अच्छी पहचान हो गई। 2017 में ‘सो हाई गीत’ बनाया। हालांकि इससे पहले सिद्धू एक दो गीत गा चुके थे। मगर इस गीत ने उन्हें नई पहचान दी। इसके बाद सिद्धू ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2018 में अपने एल्बम पीबीएक्स वन निकाला, जो काफी हिट रहा है। इस एलबम को काफी अवार्ड भी मिले थे। सिद्धू मूसेवाला ने गांव के सरकारी स्कूल से शिक्षा पूरी करने के बाद गुरु नानक देव इंजीनियरिंग कॉलेज लुधियाना से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की।

2022 में सिद्धू मूसेवाला ने कांग्रेस का दामन थामा 
इसके बाद पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा भी किया। हाल ही में विधानसभा चुनाव 2022 में सिद्धू मूसेवाला ने कांग्रेस का दामन थामा और राजनीति में कदम रखा और मानसा से चुनाव भी लड़ा। मगर गायकी की पिच की तरह सियासत की पिच में वह लोगों की उम्मीदों पर खरा न उतर सके थे और चुनाव हार गए थे। सिद्धू मूसेवाला के करीबी मित्र गायक खुदाबख्श और अफसाना खान ने कहा कि वे इस समय स्टेज शो करने दुबई आए हैं। मगर जब से सिद्धू मूसेवाला की मौत की खबर सुनी है दिल को गहरा धक्का लगा है। वे ये सदमा बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। बता दें कि सिद्धू मूसे वाला खुदाबख्श के परिवार के काफी करीबी रहे हैं और चुनाव दौरान अनेकों बार बादल स्थित उनके निवास पर भी आते-जाते रहे।


जिंदगी का आखिरी गीत
ओह चौबर दे चेहरे उत्ते नूर दसदां नी, एहदा उठेगा जवानी विच जनाजा मिठिये…यह गीत सिद्धू मूसेवाला ने वजीर रैपर के साथ मिलकर 24 मई को रिलीज किया था, शायद उन्हें पता नहीं था कि यह उनकी जिंदगी का आखिरी गीत है और इसी गीत के बोल सच होने वाले हैं। महज, दो सप्ताह बाद ही सिद्धू मूसेवाला की गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। सिद्धू ने यह गीत खुद पर ही गाया था।

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