एसएनई न्यूज़.चंडीगढ़।
पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी (पीएयू) के वीसी की नियुक्ति पर विवाद बढ़ गया है। राज्यपाल और मान सरकार आमने-सामने आ गई है। राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने पत्र लिखकर वीसी को हटाने को कहा तो वहीं कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने इस मामले में पलटवार किया। मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा कि पंजाब सरकार को भेजा गया राज्यपाल का पत्र वास्तव में दिल्ली भाजपा मुख्यालय से तैयार किया गया है।
पंजाबियों से तुरंत माफी मांगे राज्यपाल
दरअसल, पीएयू हरियाणा और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम 1970 के तहत आता है। यूजीसी का पीएयू से कोई लेना देना नहीं है। यह कार्रवाई करने से पहले राज्यपाल को विश्वविद्यालय अधिनियम को पढ़ना चाहिए था और अगर यह अवैध नियुक्ति है तो उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि विश्वविद्यालय के वीसी का पद एक साल से खाली क्यों है? धालीवाल ने कहा कि मान सरकार ने पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन कर तीन नामों का चयन करके यूनिवर्सिटी बोर्ड को भेजा था। बोर्ड ने ही यह नियुक्ति की है। उन्होंने राज्यपाल से राज्य सरकार को भेजे गए अपने पत्र को तुरंत वापस लेने और पंजाबियों से तुरंत माफी मांगने को कहा है।
राज्यपाल का आदेश असंवैधानिक: आप
आम आदमी पार्टी (आप) ने राज्यपाल के फैसले की तीखी आलोचना की। आप के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग ने कहा है कि राज्यपाल का आदेश पूरी तरह असंवैधानिक और गैर-कानूनी है। कंग ने कहा कि पंजाब एंड हरियाणा एग्रीकल्चर एक्ट 1970 के सेक्शन 15 ए के अनुसार पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वीसी की नियुक्ति का अधिकार राज्यपाल के पास नहीं बल्कि विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के पास है।
राज्यपाल से इजाजत की कोई जरूरत नहीं
बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट को वीसी की नियुक्ति के लिए चांसलर (राज्यपाल) से इजाजत की कोई जरूरत नहीं है। राज्यपाल पीएयू के वीसी को न तो नियुक्त कर सकते हैं और न ही हटा सकते हैं। कंग ने कहा कि राज्यपाल भाजपा के इशारे पर सरकार के कामकाज में जानबूझकर दखलअंदाजी कर रहे हैं। कंग ने राज्यपाल से कहा कि अगर उन्हें राजनीति करनी है तो भाजपा में शामिल हो जाए और चुनाव लड़ लें लेकिन राज्यपाल पद की गरिमा को नुकसान न पहुंचाएं। कंग ने राष्ट्रपति से भी अपील की है कि पंजाब के राज्यपाल भाजपा के राजनीतिक एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं, इसलिए उन्हें तुरंत बर्खास्त किया जाए।
पहले भी होते रहे हैं विवाद
पंजाब में सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद नया नहीं है। वायुसेना दिवस के मौके पर राज्यपाल ने पंजाब राजभवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के स्वागत में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भगवंत मान की अनुपस्थिति पर सवाल उठाते हुए इसे प्रोटोकॉल का उल्लंघन करार दिया था। इससे पहले राज्यपाल और सरकार उस समय सामने आ गए थे, जब सरकार की ओर से बुलाए विशेष सत्र को मंजूरी देने के बाद पुरोहित ने अपने आदेश वापस ले लिए थे। इसके बाद सरकार ने फिर से विशेष सत्र बुलाने का फैसला लिया तो राज्यपाल ने मंजूरी देने से पहले सरकार से सत्र के दौरान किए जाने वाले कामकाज का ब्योरा मांग लिया था।