गरीब दलित बच्चों के स्कालरशिप फंड का हुआ था घोटाला, पूर्व सीएम ने धर्मसोत का नाम आने के बावजूद बचाया था, अब चन्नी सरकार क्या धर्मसोत के खिलाफ करेगी कार्रवाई या फिर होगी मंत्री को बचाने की पूरी-पूरी कोशिश………जनता मांगे सरकार से जवाब ?
सीबीआई जांच जारी, पंजाब सरकार ने दाखिल की भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट
एसएनई न्यूज़.चंडीगढ़।
बहुचर्चित 63.91 करोड़ स्कालरशिप घोटाला मामले में राज्य सरकार ने विभाग के पांच अधिकारियों (प्यादों ) को खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए , उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी, जबकि पूर्व मंत्री साधु सिंह धर्मसोत के खिलाफ एक बार फिर से मेहरबानी की गई। इस मामले में दूर-दूर तक धर्मसोत के खिलाफ किसी प्रकार से नाम नहीं डाला गया। इससे नए कांग्रेस के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ भी बड़े सवाल खड़े कर दिए गए। जबकि, सामाजिक न्याय, सशक्तिकरण व अल्पसंख्यक मंत्री डॉ. राजकुमार वेरका इस बात का दावा कर रहे है कि इस मामले में किसी को नहीं बख्शा जाएगा। प्रमाण मिलने पर कानूनी कार्रवाई होगी।
लगभग डेढ़ वर्ष पहले पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की कैबिनेट में मंत्री साधु सिंह धर्मसोत के खिलाफ 63.91 करोड़ स्कालरशिप घोटाला में उनका नाम काफी चर्चा में आया था। विपक्ष ने मंत्री का इस्तीफा मांगने के साथ-साथ उचित रूप से जांच की मांग भी कर डाली थी, जबकि सीएम कैप्टन ने इस केस साधु सिंह धर्मसोत का बचाव करते हुए , उन्हें साफ तौर पर क्लीन चिट दे दी थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो की टीम को इस केस को हवाले करने का भी कैप्टन ने विरोध किया था। फिलहाल, केंद्रीय जांच ब्यूरो की रिपोर्ट कार्रवाई रिपोर्ट आनी शेष है।
अब चन्नी सरकार पर हर किसी का दबाव है कि क्या वाक्य वह धर्मसोत के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर पाते है या फिर उन्हें बचाने का पूरा-पूरा प्रयास किया जाएगा। इस पूरे प्रकरण को लेकर पंजाब की जनता सरकार से जवाब मांग रही है कि गरीब दलितों के पैसों का गबन करने वालों के खिलाफ कितनी बड़ी कार्रवाई कर पाती है।
पंजाब सरकार के सामाजिक न्याय, सशक्तिकरण व अल्पसंख्यक मंत्री डॉ. राजकुमार वेरका ने विभाग के पांच अधिकारी डिप्टी डायरेक्टर परमिंदर सिंह गिल, डीसीएफए चरणजीत सिंह, सुपरिटेंडेंट (अधीक्षक) राजेंद्र चोपड़ा, सीनियर सहायक राकेश अरोड़ा, एसओ मुकेश भाटिया के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
क्या थी रिपोर्ट जिसके बारे जानना, हम सब के लिए हुत जरुरी।
दरअसल, इस केस की जांच अतिरिक्त प्रमुख सचिव कृपा शंकर सरोज को सौंपी गई। उनकी जांच में पाया गया कि 24.91 करोड़ की चपत, 39 करोड़ का कोई रिकॉर्ड नहीं, 24.91 करोड़ अतिरिक्त भुगतान किया गया। यह जांच वर्ष 2019 की दिसंबर को हुई। रिपोर्ट को जांच अधिकारी ने तत्कालीन पंजाब प्रमुख सचिव विनी महाजन को सौंपी गई। जांच में सबसे बड़ी चौकन्य वाली बात यह सामने आई की कि इनमें 8 कालेज ऐसे भी थे, जिनका कभी आडिट ही नहीं हुआ।
इन कॉलेज में हुआ था घोटाला
जांच में रिपोर्ट में सामने आया की कि विभाग के पांच अधिकारी तथा एक बड़े मंत्री के इशारे पर घोटाला किया गया। लगभग पंजाब के आठ कालेज थे, जिनमें घोटाले की गूंज दूर-दूर तक सुनाई दी। इनमें सरस्वती पॉलिटेक्निक कॉलेज, बठिंडा, रीजनल पॉलिटेक्निक कॉलेज, बठिंडा, लार्ड कृष्णा पॉलिटेक्निक कॉलेज, कपूरथला, मॉडर्न कॉलेज एंड एजुकेशन, संगरूर, सीजीसी टेक्नीकल कालेज (कैंपस झंझोरी, मोहाली), यूनिवर्सल एजुकेशन सोसायटी ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट , एनएसएस इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी , पठानकोट। जानकारी मुताबिक, इन कालेज के खिलाफ भी जल्द कानूनी कार्रवाई हो सकती है।