”No-आयु”, ”No-आर्थिक प्रॉब्लम”, ”only for ”रविशेर सिंह”

एसएनई न्यूज़.चंडीगढ़।

लो, ”जी ‘कैप्टन’ ने कर ली फिर तो अपनी ”मर्जी”—कार्मिक विभाग, खुद के विधायकों के विरोध के बावजूद रविशेर की नौकरी कर दी पक्कीएसएनई न्यूज़.चंडीगढ़। ”No-आयु”, ”No-आर्थिक प्रॉब्लम”, ”only for ”रविशेर सिंह” यह मुहावरा कैप्टन की इच्छा शक्ति की ओर इशारा करता है। पंजाब की सत्ता में अगर किसी की चलती है तो वो है, महाराजा कैप्टन अमरिंदर सिंह की। किसी बात को मनवाने के लिए कैप्टन के पास चाल खेलने तथा शक्ति बल का प्रयोग करने जैसे कई हथकंडे है। मामला , राजस्व मंत्री गुरप्रीत सिंह कांगड़ के दामाद से जुड़ा है। दामाद की नौकरी पक्का कराने के लिए कैप्टन ने तो अपने मंत्रिमंडल की भी एक नहीं सुनी , जबकि उस परव अंतिम मोहर लगाकर , इसे पारित कर दिया। बरहाल, एक बात तो साफतौर सामने आने लगी है कि कैप्टन अपने विधायकों तथा विपक्षी पार्टियों के निशाने पर आ गए। 


कैप्टन ने जिस रविशेर सिंह को आबकारी विभाग में नौकरी पक्की कर दी है। वहां के नियमों की बात कीजिए, तो रविशेर एक भी नियम के मुताबिक खरा नहीं उतरता है। क्योंकि नियमों के मुताबिक अनुकंपा के आधार पर उसे नौकरी मिलनी की आवश्यकता है, जो पीछे से आर्थिक तौर पर कमजोर है, जबकि इसके विपरीत रविशेर सिंह एक करोड़पति इंसान है। आयु के हिसाब से निर्धारित तय सीमा भी निकल चुकी है। 


कहते है कि राजा की मूछ का सवाल था , इसलिए राजा कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नियमों को ताक पर रखते हुए, इस कार्य को निपटाने के लिए हर संभव अपने अधिकारों का इस्तेमाल किया। सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी मुताबिक कई मंत्रियों ने तो नौकरी देने के खिलाफ अपने कमेंट्स भी दिए, जबकि राजा ने उन कमेंट्स को दरकिनार करते, मंत्री कांगड़ के दामाद को खुश करना ही अपनी प्राथमिकता समझा। 


विरोधी सुर तो ये भी उठने लगे है कि अगर कैप्टन को इतना ही नौकरी देने की इच्छुकता है तो उन कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों की तरफ   ध्यान क्यों नहीं देते है। जिन्हें अपने अधिकार हासिल करने के लिए सड़कों पर लंबे समय से जद्दोजहद के लिए सरकार के समक्ष विरोध प्रदर्शन जारी है।

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