बदनाम कर रही धर्म को निहंग-सिंहों की नागवार हरकतें

आए दिन देश में निहंग-सिंहों की नागवार हरकतें धर्म को बदनाम कर रही है। निहंग सिंहों की स्थापना बुराई के खिलाफ लड़ने के लिए गुरु-साहिबान ने की थी। अब यहीं निहंग सिंहों की सेना अपने हाथ में कानून लेकर खुद ही फैसला कर रही है। यह एक प्रकार से विशेष रूप से धर्म को बदनाम करने की ओर संकेत जाता है। दिल्ली के सिंघु सीमा पर पिछले दिनों निहंग सिंहों ने एक व्यक्ति को इसलिए मौत के घाट उतार दिया कि उसपर गुरु साहिब की बेअदबी करने का आरोप लगा । कत्ल इतनी निर्मम तरीके से किया गया कि हर किसी की आत्मा कांपने लगें। 


इस घटना को लेकर एक बात का दुख होता है कि सिख धर्म की सबसे ऊंची संस्था ने तो घटना वाले दिन कोई भी अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी। शनिवार को एसजीपीसी की अध्यक्ष बीबी जागीर कौर ने इतना जरूर कहा कि यह घटना काफी निंदनीय है तथा निष्पक्ष जांच की मांग की गई। मगर, उनके बयान में एक भी शब्द हत्या करने वाले निहंग सिंहों के खिलाफ नहीं लिखा गया। इससे एक बात स्पष्ट हो जाती है कि एसजीपीसी भी एक राजनीति पार्टी की तरह अपनी भूमिका निभा रही है। 


इस पूरे घटनाक्रम को लेकर सिर्फ तो सिर्फ भाजपा ने कड़े शब्दों में निंदा की। जबकि, पंजाब के सीएम , कांग्रेस, आप ने तो इस घटना को लेकर बयान से दूरी बनाई रखी। इससे एक बात स्पष्ट हो जाती है कि राजनीति करने वाली कुछ राजनीतिक पार्टियों को तो सिर्फ उन मुद्दों पर राजनीति करनी होती है, जिसमें उन्हें अपना स्वार्थ दिखाई देता हों। उनके लिए एक इंसानियत से संबंधित मुद्दा कुछ नहीं अहमियत  रखता। 


सवाल इस बात का पैदा होता है कि जिस व्यक्ति को निहंगों ने मौत के घाट उतार दिया, क्या वो मरने वाला कांग्रेस , आप , सिख संगठनों की नज़रो में एक इंसान नहीं था, या फिर वे लोग जानबूझकर इस मुद्दे को भूल जाना ही बेहतर समझते है। इस हरकत ने इस बात का जरूर प्रमाण दे दिया है कि निहंग सिंह अब तालिबान हकुमत से कम नहीं है। वायरल वीडियो में इन सब बातों के पक्के प्रमाण मिल जाते है, जिसमें हत्या करने वाले निहंग सिंहों ने साफतौर पर कह दिया कि सिख धर्म की बेअदबी करने वाले हर इंसान के साथ ऐसा ही बर्ताव किया जाएगा।


दिल्ली पुलिस के अधिकारियों तथा  खुफिया विभाग की रिपोर्ट में साफ हो चुका है कि मरने वाले के खिलाफ कोई आपराधिक रिकार्ड दर्ज नहीं था। इतना जरुर सामने आया कि उसकी पत्नी ने दावा किया कि पति बच्चों सहित अपने मायके परिवार में पिछले समय से अलग रह रही थी। इसके पीछे कारण, मरने वाला नशे का आदी था। पत्नी ने कई सवाल खड़े करते कहा कि पति तो कभी अमृतसर तक नहीं आया तो फिर उसे सिंघु बार्डर कौन ले गया। यह सभी सवाल वो है, जिनका जवाब मिलना अति अनिवार्य है। तभी जाकर इसमें सच्चाई सामने आ सकती है। 


इस मामले में अब प्राथमिक जांच में साजिश के तहत हत्या करने की बात भी सामने आने शुरु हो गई। फिलहाल, आधिकारिक रूप से दिल्ली तथा हरियाणा पुलिस ने अभी पुष्टि नहीं की। मरने वाले का परिवार अब इस पूरे प्रकरण को लेकर उच्च स्तरीय जांच की मांग करने लग पड़ा है। सवाल है कि क्या इस केस को लेकर सरकार तथा प्रशासन उचित कदम उठा पाती है या फिर इसे शांत ही कर दिया जाएगा। 


जैसा कि मरने वाला पेशे से मजदूर तथा गरीब होने की वजह से आर्थिक रूप से काफी कमजोर है।  अनुसूचित जाति से संबंध रखता है। ऐसे में अनुसूचित जाति आयोग ने मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए डीजीपी हरियाणा से रिपोर्ट तलब कर ली गई। अब आगे यह देखना होगा कि इस पूरे प्रकरण को लेकर क्या कुछ होगा। 


अब आंदोलन नहीं , क्राईम सीन बना क्षेत्र

कृषि कानून बिल के खिलाफ किसानों का आंदोलन अब-अब धीरे क्राईम सीन का स्थल बनता जा रहा है, जबकि किसान संगठन ,इस बात पर अधिक जोर दे रहे है कि आंदोलन को बदनाम करने के लिए, उनके खिलाफ किसी के इशारे पर इस प्रकार के हथकंडे अपनाए जा रहे है। इस बात को भी बिल्कुल नहीं भूलना चाहिए कि इस आंदोलन के दौरान एक लड़की के साथ आंदोलन में हिस्सा लेने द्वारा यौन-शोषण करने की घटना का मामला सामने आया था। अंजाम देने वाले एक किसान नेता के बिल्कुल खास होने की बात सामने आई थी।  इसी प्रकार लड़ाई-झगड़े जैसी घटनाएं तो हर दूसरे तीसरे दिन सामने आती रहती है। पुलिस को आंदोलन वाली जगह में घुसने दिया जाता है।

 
कहा गए वो किसान नेता

आंदोलन स्थान पर अगर किसी प्रकार से कोई घटना उनके क्षेत्र में हो जाती है तो ऐसे में किसान संगठनों के नेताओं की जवाबदेही बन जाती है कि वह इसका जवाब दें, जबकि हैरान करने वाली बात यह है कि बड़ी-बड़ी बातें करने वाले उक्त किसान नेता, उस दौरान अपने आपको , इस मुद्दे से पीछे धकेल लेते है। सरकार-प्रशासन पर जिम्मेदारी डालकर अपना पल्ला झाड़ लेते है। 


वक्त की मांग बड़ी कार्रवाई का इंतजार

इस आंदोलन को लेकर देश की सर्वोच्च न्यायालय ने तो इतना तक कह दिया कि अगर तीन कृषि बिलों के खिलाफ दो वर्ष तक रोक लगा दी है तो फिर किस बात का आप आंदोलन कर रहे है। यहां पर आपका आंदोलन चल रहा है, वहां पर हर राहगीर, वाहन चालक को इतनी दिक्कतों से गुज़रना पड़ रहा है कि उन्हें हर प्रकार के नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। वक्त की मांग है कि सरकार को इसके लिए कोई उचित कदम उठाना चाहिए, अन्यथा इस आंदोलन का रूप-रंग भविष्य में प्रतिकूल दिशा तय कर सकता है।   
एसएनई न्यूज़, प्रधान संपादक-विनय कोछड़।

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