कविता की चंद लाईन………….

हरेक पत्थर तो मुजस्समा नहीं बना करता।

कुछ को बुनियाद में खपने का जुनून होता है।

हर सफ़ीने को किनारा नहीं मिला करता।

कश्तियों का मंझधार भी साहिल होता है।

सीप हर बूंद का खैरमकदम नहीं करती।

बेशुमार बारिशों का कीचड़ में दफ़न होता है।

इश्क परवान चढ़े, हर हाल, जरूरी तो नहीं।

प्यार के जाम में अक्सर जुदाई का जहर होता है।

हर सुखनवर मुशायरों की रौनक नहीं होता।

उम्दा शायर भी,कई बार, अंधेरों में गुम होता है

मंजिलें हर मुसाफिर की चाहत नहीं हुआ करती।

मील के पत्थर का जज्बा क्या बेमिसाल होता है।

हम जो सोच और सोचें बड़ी शिद्दत से भले।

हर इरादे को कहां अमलीजामा नसीब होता है।


           प्रसिद्व कवित्री नीलम।

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