दावा-नहीं है उनका किसी के साथ मुकाबला…मतदाता परंपरागत पार्टियों से आ चुके है तंग…नए चेहरे को देंगे लोग अवसर
ललित खन्ना.अमृतसर/चंडीगढ़।
गरीबों की मसीहा के नाम से परिचित बाल कृष्ण शर्मा (बीके ढाबा) किसी भी पहचान के मोहताज नहीं है। इस बार फिर अमृतसर विधानसभा हलका उतरी से निर्दलीय चुनाव के रूप में अपनी किस्मत आजमा रहे है। बड़े खिलाड़ी चुनाव में खड़े होने के बावजूद किसी के साथ अपना मुकाबला नहीं होने का दावा कर रहे है। उनके मुताबिक, आम-जनता के साथ प्यार तथा विश्वास जुड़ा है। लोग बड़ी-बड़ी पार्टी से तंग आ चुके है, इसलिए लोगों के विश्वास की वजह से चुनाव मैदान में खड़े है। चुनाव मैदान में आम आदमी प्रत्याशी पूर्व आईपीएस कुंवर विजय प्रताप सिंह, शिअद-बसपा प्रत्याशी अनिल जोशी, कांग्रेस के निर्वतमान विधायक सुनील दत्ती, भाजपा के सुखमिंदर सिंह पिंटू है। दल बदल प्रत्याशियों पर बाल-कृष्ण शर्मा आरोप लगाते कह रहे है कि इनके पास कोई मूल मुद्दा नहीं है, जबकि , उनके पास हर वर्ग की आवाज उठाने तथा उनके प्रति सेवा करने का जज्बा है।
अल-सुबह उठकर बाल-कृष्ण भगवान के समक्ष नतमस्तक होते है। लगभग एक घंटा भगवान की भक्ति में लीन होने के उपरांत अपने चंद साथियों समेत मैदान में निकल पड़ते है। लोगों के साथ मुलाकात कर, उनसे अहम मुद्दे के बारे चर्चा करते है। उन मुद्दों को गंभीरता से लेते हुए, उसे अपनी डायरी में लिख लिया जाता है। लोगों का विश्वास बाल कृष्ण शर्मा की तरफ बढ़ रहा है। उनकी जीत के लिए दुआएं का दौर भी शुरू हो चुका है। बच्चों के साथ शर्मा का लगाव काफी है। बच्चों को बैट देकर, उन्हें खेलने के लिए उत्साहित भी कर रहे है। बच्चे भी शर्मा जी के पहुंचने पर गर्मजोशी के साथ अभिवादन करते है। उनके मुताबिक, शर्मा उनके अंकल के साथ-साथ, उनके लिए एक मसीहा से कम नहीं है। बहुत प्यार करते है। उन्हें जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उज्जवल भविष्य के लिए साहस भी देते है।
बचपन से ही शर्मा ने अपनी जिंदगी समाज सेवा के नाम लिख दी थी। पढ़ाई के साथ-साथ खानपान का एक छोटा सा ढाबा अमृतसर के बटाला रोड में खोला। खूब कड़ी परिश्रम करने के उपरांत, उसे प्रदेश देश-विदेश में नाम चमकाया। अब मेहनत का पैसा होने के साथ-साथ अपनी पूंजी को गरीबों की मदद में लगाकर, मन में सुकून महसूस कर रहे है।
बताया जाता है शर्मा ने अमृतसर में लावारिस शव को सहारा देने में भी काफी सराहनीय कार्य किए। उनका खर्च वहन के साथ-साथ उन्हें कंधा देने से भी नहीं कभी पीछे हटे। शर्मा के मुताबिक, ऐसा करने से उन्हें अच्छा लगता है तथा रात को नींद अच्छी आती है। मन को सुकून मिलता है। अगर जीत संभव हुई तो गरीब-बेसहारा लोगों की आवाज विधानसभा (विस) में उठाएंगे। नशा, बेरोजगारी, बुढ़ापा पेंशन जैसे मुद्दे उनकी सूची में प्राथमिक है। इनका समाधान निकालना उनकी तरफ से पहल कदम होगा।
भूखे-प्यासे को पेट भर खाना दिया
निर्धन तथा भूखे के दर्द को देख शर्मा का दिल पसीज जाता है। उन्हें अपने ढाबे से निशुल्क पेट भर खाना अपने हाथ से खिलाते है। अगर, उसे आर्थिक मदद की जरूरत आ जाए, उसे पूरा करने से भी नहीं पीछे हटाते। कहने का मतलब, किसी बेसहारा को शर्मा की दहलीज से कभी खाली हाथ जाने की नौबत नहीं आई।
लोग , इनके काम को याद करते है तथा मत देने का भी वचन दे रहे है। उनके मुताबिक, सत्ता में शासन करने वाली सभी पार्टियों के उम्मीदवारों को अवसर दिया। लेकिन, किसी ने आज तक किए वादे को पूरा नहीं किया। उन्हें विश्वास है कि बाल कृष्ण शर्मा जैसा नेता ही उनकी हर मांग को पूरा कर सकता है।
निर्दलीय प्रत्याशी बालकृष्ण शर्मा। (सौजन्य इंटरनेट मीडिया)