सीएम साहब..।…..पगार सिर्फ-10-12 हजार…..काम कर रहे 4-4 प्रकार के…..फिर भी पिछले 4 माह से अटकी सैलरी..ये दुखड़ा है सिविल अस्पताल अमृतसर के आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का….?

CIVIL HOSP.OUTSOURCING EMPLOYEE ASR IMAGE

चेतावनी…..अगर हल नहीं हुआ तो करेंगे तीखा संघर्ष……जिम्मेदार होगी सरकार तथा सिविल अस्पताल प्रशासन

मैं मानता हूं कि उनकी मांगें बिल्कुल जायज….हल होगा पहले के आधार पर….एसएमओ

वरिष्ठ पत्रकार.अमृतसर। 

पिछले कुछ माह से सिविल अस्पताल के दर्जा 3 तथा 4 कर्मचारियों (कच्चे, आउटसोर्सिंग) की तनख्वाह अटकी है। बुधवार सुबह 9 बजे 40 कर्मचारी (महिला-पुरुष) अपनी जायज मांगों को लेकर कलम छोड़ कर फर्श पर बैठ गए। राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया। उधर, अस्पताल के एसएमओ पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का आरोप लगा, जबकि, अधिकारिक तौर पर बात का कोई खंडन नहीं हुआ। एसएमओ ने इतना आवश्यक कहा कि उनकी मांगें बिल्कुल जायज है तथा मांगों संबंधी फाइल को सिविल सर्जन कार्यालय भेज दिया गया। समाधान 1-2 दिन में निकल आएंगा। हड़ताल की वजह से ओपीडी पर कुछ खासा असर नहीं पड़ा, क्योंकि, अस्पताल प्रशासन ने पूर्व में ही रोगियों की परेशानियों का विकल्प निकाल रखा था। 

बुधवार की सुबह 9 बजे उस समय आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने कलम छोड़ कर हड़ताल पर जाने का फैसला लिया, जब रोगियों की लंबी लाइनें खड़ी थी। उसी समय अन्य स्टाफ की मदद से रोगियों की परेशानी का समाधान निकालते हुए काम को निर्विघ्न जारी रखा गया। दरअसल, उक्त कर्मचारियों को पगार पिछले चार माह से अटकी पड़ी है। कई बार वे लोग शिकायत लेकर एसएमओ कार्यालय पहुंचे, लेकिन एक बार नहीं समाधान निकला। मजबूरीवश, सभी  ने बुधवार को हड़ताल पर जाने का बेहतर समाधान ढूंढा।

बताया जा रहा है कि इससे पहले एसएमओ को एक लिखित पत्र सभी कर्मचारी उनके कार्यालय लेकर पहुंचे। दोनों की बीच लंबे समय बातचीत हुई। एसएमओ ने उन्हें भरोसा दिया कि उनकी जायज मांग को थोड़ी दिन में हल कर दिया जाएगा। लेकिन, वे लोगों ने प्रदर्शन करने का ही फैसला लिया। बताया जा रहा है कि सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई। चेतावनी दी गई अगर जल्द उनकी मांग को पूरा नहीं किया जाता है तो वे लोग अपने संघर्ष को तीखा करेंगे। 

इतनी कम पगार है कि गुज़रा करना भी मुश्किल

पता चला है कि यह स्टाफ लंबे समय से कच्चे तौर पर एक निजी कंपनी के अधीन काम करता है। पगार प्रति माह सिर्फ तो सिर्फ 10-12 हजार के मुताबिक मिलती है। हैरान करने बात है कि अब तक इनकी पगार को भी नहीं बढ़ाया। पक्का करने की बात तो काफी दूर की है। सोचने की बात है कि इतनी कम पगार में ये लोग घर का कैसे गुजरा कर पाते है। इनमें अधिकतर ऐसे केस है जिनमें कमाने वाला एक है, जबकि खाने वाले 4-5 सदस्यों की संख्या है। ऊपर से 4-4 माह की पगार को रोक देना, इस बात की और संकेत जाता है कि उनका पूर्ण रूप से शोषण किया जा रहा है।  

सरकार को भी समझनी होगी इनकी मजबूरी

प्रदेश की भगवंत मान सरकार दावे तथा बातें तो बहुत बड़ी करती है कि वे हमेशा पंजाब के सरकारी कर्मचारियों के साथ खड़ी है। लेकिन, शायद लगता है कि उन्हें उनकी मजबूरी नहीं दिखाई दे रही है। माना कि सरकार उन्हें चाहे पक्का करने में अपनी मजबूरी समझती है, लेकिन, उनकी समय पर पगार देकर उनकी समस्या को कम भी कर सकती है। विशेषज्ञ यह भी मानकर चलते है, इसमें कुछ विभाग की बड़ी गलती सामने आती है, क्योंकि, कई बार वे लोग तकनीकी दुविधा को दूर करने में नाकाम रहते है, इसलिए नतीजा उक्त कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है। अगर सरकार के पास शायद यह समस्या पहुंच जाए तो निवारण होने के साथ-साथ अधिकारियों पर भी बड़ी गाज गिर सकती है। क्योंकि, इस समय प्रदेश सरकार वैसे भी अधिकारियों की जरा सी भी गलती को माफ नहीं कर रही है। 

मांगें बिल्कुल जायज है—एसएमओ

सिविल अस्पताल के सीनियर चिकित्सा अधिकारी (एसएमओ) डा. धवन ने बताया कि उक्त कर्मचारियों की मांगें बिल्कुल जायज है। मानता हूं कि ऊपर ने इनकी प्रतिमाह पगार भी काफी कम है। दरअसल, पीछे से कोई तकनीकी गलती हुई, जिस वजह से पगार में देरी हुई। फाइल को सिविल सर्जन कार्यालय भेज दिया गया। उम्मीद करता हूं कि कुछ दिनों के भीतर उनकी पगार खाता में पहुंच जाएंगी। उन्हें घबराने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है।  

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